Chamatkari Baba – Ek Baba Ki
Kahani
बात आज से बहुत पहले की हैं. किसी गाँव मे
एक गरीब परिवार रहा करता था. वो परिवार इतना गरीब था की एक वक़्त का खाना खाता तो
दूसरे वक़्त का खाना जुटा पाना बहुत मुसकिल हो जाता. दिन भर अपनी गरीबी को कोसता
रहता. भगवान से शिकायत भी करता की हे भगवान किसी को इतना गरीबी न दे.
किसी तरह जीवन की गाड़ी चला पता. कही मेहनत मजदूरी का काम मिल जाता तो कर लेता नहीं तो सारा दिन बेकारी मे काटता. उसका खुद का खेत भी तो नहीं था की अपने खेत मे काम कर सके. दूसरे के खेत मे काम करता या फिर मेहनत मजदूरी करता. उसके घर मे ज्यादा लोग नहीं थे. एक वो था और एक उसकी पत्नी थी.
बहुत ही छोटा परिवार पर हमेशा खाने की किल्लत लगी रहती थी. एक बार की बार हैं वो गरीब मजदूर काम की तलाश मे कही गया हुआ था. पर उसे काम नहीं नहीं मिला. सुबह का निकला हुआ दोपहर भी हो गया पर कही भी काम नहीं मिला. बहुत ही मायूष हो कर अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. फटे पुराने कपड़े और कंधे पर एक गमछा लपेटे हुए था.
ये वही गमछा था जिस से वो अपने चेहरे का पसीना पोछता था. अपने कंधे पर गमछा लटकाए हुए बहुत ही मायूष हालत मे अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. तभी उसे रास्ते मे एक बाबा मिले. गर्मी का मौषम, तेज धूप चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था.
कच्ची सड़क और सड़क के दोनों तरफ बड़े बड़े पेड़. जो थोड़ा गर्मी से राहत पाहुचा रहा था. बेचारा मजदूर बहुत ही निराश मन से अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. जब बाबा की नजर उस गरीब मजदूर पर पड़ी तो उसने मजदूर को रोकते हुए बोला. बेटा तुम्हारे पास कुछ हैं तो मुझे दे दो. मैं बहुत भूखा हूँ.
पर उस मजदूर के पास कुछ होता तब न वो बाबा को देता. उसके पास तो एक फूटी कौड़ी तक नहीं थी. जिसे वो बाबा को दे सके. उसने उदाश मन से बाबा को कहा की बाबा मेरे पास तो कुछ भी नहीं हैं जो मैं आप को दे सकु. बाबा भी समझ गए की इसके पास सच मे कुछ भी नहीं हैं. वो मजदूर इतना कह कर आगे की तरफ बढ़ गया. पर जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ा की बाबा उसे पीछे से आवाज दे कर बोले.
ऐ लड़का थोड़ा रुकना तो. बाबा की आवाज सुन कर वो रुक गया. बाबा ने कहा की सच मे तुम्हारे पास कुछ भी नहीं हैं. तुम्हारा उदाश चेहरा और फटा पुराना कपड़ा देख कर ऐसा लगता हैं. की सच मे तुम बहुत ही गरीब हो.
लड़का बाबा की बात बहुत ही ध्यान से सुन रहा था. बाबा ने उस मजदूर से कहा की अगर मैं तुम्हें कुछ दूंगा तो उसे लोगे. लड़का बोला की आप जो भी कुछ मुझे दीजिएगा. मैं उसे खुशी खुशी ले लूँगा. बाबा अपने पोटली से एक फल निकाले और उस फल को लड़का के हाथ मे थमाते हुए बोले. ये फल ले लो और इसे अपने गमछे मे बांध दो.
जब तुम घर पहुच जाओगे तो ही गरछा खोल कर देखना और फल को बाहर निकालना. लड़का फल को अपने हाथ मे ले लिया. बाबा इतना कह कर वहा से आगे की तरफ चल दिये.
लड़का अब भी फल को हाथ मे ले कर खड़ा था और बाबा वहा से जा चुके थे. लड़का बाबा को जाते हुए भी देख रहा था. लड़का जिस फल को हाथ मे पकड़ा हुआ था. वो फल पक कर इतना सड़ चुका था की उसका रस नीचे की तरफ टपक रहा था. हाथ मे भी उसका सड़ा हुआ रस लग चुका था. अब लड़का सोचने लगा की बाबा ने मुझे क्या दिया.
ये सड़ा हुआ फल जिसका रस नीचे जमीन पर गिर रहा हैं. लड़का सोचा की चलो बाबा ने कहा हैं की इसे अपने गमछे मे बांध लेना और घर ले कर जाना. वो मजदूर ऐसा ही किया उस फल को अपने गमछे मे बांध कर आगे की तरफ बढ़ गया. पर फल इतना सड़ चुका था की उसका सड़ा हुआ रस गमछे को खराब कर रहा था.
मजदूर भी सोचने लगा की ये सड़ा हुआ फल मेरे गमछे को खराब कर रहा हैं. इसका सड़ा हुआ रस गमछे मे दाग लगा रहा हैं. अगर ऐसा ही रहा तो मेरा पूरा गमछा खराब हो जाएगा. उसके मन मे बार बार ये सवाल आ रहे थे की बाबा को कुछ देना ही था तो कुछ और दे देते.
ये सड़ा हुआ फल क्यू दिये. इस से तो मेरा पूरा गमछा ही खराब हो जाएगा. अगर ये सड़ा हुआ फल ले कर घर चला जुंगा तो मेरी पत्नी बहुत नाराज हो जाएगी. वो बोलने लगेगी की तुम्हें ये सड़ा हुआ फल लाने की जरूरत ही क्या थी. बेकार मे अपनी पत्नी से भी डांट सुनना पड़ेगा.
ये सोच कर उसने उस फल को रास्ते मे ही फेल देना उचित समझा. अब वो बार बार पीछे मूड कर देखने लगा की कब ये बाबा मेरी आँखों के नजर से दूर हो जाएंगे की मैं इस फल को फेक दु.
कुछ देर के बाद बाबा इतने दूर जा चुके थे की आंखो से ओझल हो गए. अब एक अच्छा मौका था की उस फल को रास्ते मे फेक कर आगे की तरफ बढ़ा जा सके. उस मजदूर ने अपना गमछा का गाठ खोला और फल को रास्ते मे ही फेक कर आगे की तरफ बढ़ गया.
वहा से कुछ दूरी पर ही एक तलब था उसने तलब मे अपने गमछे को धोया. फिर पानी पिया और अपने घर की तरफ चल दिया. दोपहर का समय था घर पहुच कर गमछा को बिस्तर के ऊपर रख दिया. अभी गमछा पूरी तरह सूखा भी नहीं था. उसने अपनी पत्नी से कहा की बहुत ही ज़ोर का भूख लगा हैं. घर मे खाना हैं तो लगा दो. उसकी पत्नी अपने पति के लिए खाना लगा दी. मजदूर भी खाना खाने के लिए एक जगह बैठ गया.
तभी उसकी पत्नी की नजर गमछे पर पड़ी उसने देखा की गमछे मे पीला पीला कुछ लगा हुआ हैं और गमछा अभी भीगा हुआ है. अपने पति के ऊपर चिल्लाते हुए बोली की थोड़ा भी अकल नहीं हैं. भीगा हुआ गमछा ल कर बिस्तर पर रख दिये. देखो तो पूरा बिस्तर भी गीला हो रहा हैं. उसकी पत्नी गमछे को उठाई और बाहर की तरफ चल दी. गमछे को बाहर पसार दी.
तभी उसकी नजर उस पीले दाग पर पड़ी. वास्तव मे वो पीला कोई दाग धब्बा नहीं बल्कि कुछ और ही था. बहुत गौर से उसने उस पीले चीज को देखा और अपने पति के ऊपर चिल्लाते हुए बोली. अजी थोड़ा बाहर आइयेगा इतना चिल्ला कर बोली की उसका पति खाना छोड़ कर बाहर आया. उसने बाहर आ कर अपनी पत्नी से कहा की इतना चिल्ला क्यू रही हो.
कौन सा पहाड़ गिर गया हैं. तो उसकी पत्नी बोली की सच सच बताना की ये गमछा कहा से लाये हो. इस गमछे मे क्या रखे थे. उसका पति बोला की इस गमछा मे दाग लग गया था जिस वजह से मैंने इसे धो दिया. तब उसकी पत्नी बोली की जरा यहा गौर से देखना क्या लगा हुआ है. जब उसने गमछे को गौर से देखा तो तंग रह गया.
क्यू की गमछा मे जो पीला पीला लगा हुआ था. वो किसी फल का रस नहीं बल्कि सोने का पानी था. उसने अपनी पत्नी से कहा की ये कोई रस नहीं बल्कि सोना चहरा हुआ हैं. उसके तो होश ही उड़ गए. उसने सारी हकीकत अपनी पत्नी से बता दिया. की किस तरह रास्ते मे उसे एक चमत्कारी बाबा मिले थे.
जिन्होने उसे एक सड़ा हुआ फल दिया था. कैसे उसने उस फल को रास्ता मे फेक कर आगे की तरफ बढ़ गया. अब पूरा मजरा उसके और उसकी पत्नी को समझ मे आ गया. उसकी पत्नी बोली की चल कर ज्यालदी से फल को घर ले आते हैं. वो सड़ा हुआ फल नहीं बल्कि सोना हैं. दोनों तुरंत घर से बाहर निकले और फल को लेने चल दिये. पर जैसे ही फल वाले स्थान पर पहुचे तो देखा की आस पास कुछ भी नहीं हैं. जिस जगह पर उसने फल फेका था उस जगह पर फल नहीं था. इधर उधर खोजने लगे.
पर कही भी कुछ नजर नहीं आया. फिर उसकी पत्नी बोली की चल कर चमत्कारी बाबा को खोजते हैं. दोनों चमत्कारी बाबा को खोजने लगे. चमत्कारी बाबा को खोजते खोजते बहुत दूर तक गए. पर कही भी चमत्कारी बाबा नजर नहीं आए. दोनों बहुत उदाश हो गए न तो फल ही मिला और न ही चमत्कारी बाबा. अगर चमत्कारी बाबा मिल जाते तो कुछ हो सकता हैं.
अपनी गरीबी दूर करने का एक मौका जरूर मिला था. पर उस मजदूर ने मौका को हाथ से गवा दिया. अगर किसी तरह भी चमत्कारी बाबा का दिया हुआ फल ले कर घर चले आते तो. उनकी गरीबी दूर हो सकती थी.
किसी तरह जीवन की गाड़ी चला पता. कही मेहनत मजदूरी का काम मिल जाता तो कर लेता नहीं तो सारा दिन बेकारी मे काटता. उसका खुद का खेत भी तो नहीं था की अपने खेत मे काम कर सके. दूसरे के खेत मे काम करता या फिर मेहनत मजदूरी करता. उसके घर मे ज्यादा लोग नहीं थे. एक वो था और एक उसकी पत्नी थी.
बहुत ही छोटा परिवार पर हमेशा खाने की किल्लत लगी रहती थी. एक बार की बार हैं वो गरीब मजदूर काम की तलाश मे कही गया हुआ था. पर उसे काम नहीं नहीं मिला. सुबह का निकला हुआ दोपहर भी हो गया पर कही भी काम नहीं मिला. बहुत ही मायूष हो कर अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. फटे पुराने कपड़े और कंधे पर एक गमछा लपेटे हुए था.
ये वही गमछा था जिस से वो अपने चेहरे का पसीना पोछता था. अपने कंधे पर गमछा लटकाए हुए बहुत ही मायूष हालत मे अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. तभी उसे रास्ते मे एक बाबा मिले. गर्मी का मौषम, तेज धूप चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था.
कच्ची सड़क और सड़क के दोनों तरफ बड़े बड़े पेड़. जो थोड़ा गर्मी से राहत पाहुचा रहा था. बेचारा मजदूर बहुत ही निराश मन से अपने घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. जब बाबा की नजर उस गरीब मजदूर पर पड़ी तो उसने मजदूर को रोकते हुए बोला. बेटा तुम्हारे पास कुछ हैं तो मुझे दे दो. मैं बहुत भूखा हूँ.
पर उस मजदूर के पास कुछ होता तब न वो बाबा को देता. उसके पास तो एक फूटी कौड़ी तक नहीं थी. जिसे वो बाबा को दे सके. उसने उदाश मन से बाबा को कहा की बाबा मेरे पास तो कुछ भी नहीं हैं जो मैं आप को दे सकु. बाबा भी समझ गए की इसके पास सच मे कुछ भी नहीं हैं. वो मजदूर इतना कह कर आगे की तरफ बढ़ गया. पर जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ा की बाबा उसे पीछे से आवाज दे कर बोले.
ऐ लड़का थोड़ा रुकना तो. बाबा की आवाज सुन कर वो रुक गया. बाबा ने कहा की सच मे तुम्हारे पास कुछ भी नहीं हैं. तुम्हारा उदाश चेहरा और फटा पुराना कपड़ा देख कर ऐसा लगता हैं. की सच मे तुम बहुत ही गरीब हो.
लड़का बाबा की बात बहुत ही ध्यान से सुन रहा था. बाबा ने उस मजदूर से कहा की अगर मैं तुम्हें कुछ दूंगा तो उसे लोगे. लड़का बोला की आप जो भी कुछ मुझे दीजिएगा. मैं उसे खुशी खुशी ले लूँगा. बाबा अपने पोटली से एक फल निकाले और उस फल को लड़का के हाथ मे थमाते हुए बोले. ये फल ले लो और इसे अपने गमछे मे बांध दो.
जब तुम घर पहुच जाओगे तो ही गरछा खोल कर देखना और फल को बाहर निकालना. लड़का फल को अपने हाथ मे ले लिया. बाबा इतना कह कर वहा से आगे की तरफ चल दिये.
लड़का अब भी फल को हाथ मे ले कर खड़ा था और बाबा वहा से जा चुके थे. लड़का बाबा को जाते हुए भी देख रहा था. लड़का जिस फल को हाथ मे पकड़ा हुआ था. वो फल पक कर इतना सड़ चुका था की उसका रस नीचे की तरफ टपक रहा था. हाथ मे भी उसका सड़ा हुआ रस लग चुका था. अब लड़का सोचने लगा की बाबा ने मुझे क्या दिया.
ये सड़ा हुआ फल जिसका रस नीचे जमीन पर गिर रहा हैं. लड़का सोचा की चलो बाबा ने कहा हैं की इसे अपने गमछे मे बांध लेना और घर ले कर जाना. वो मजदूर ऐसा ही किया उस फल को अपने गमछे मे बांध कर आगे की तरफ बढ़ गया. पर फल इतना सड़ चुका था की उसका सड़ा हुआ रस गमछे को खराब कर रहा था.
मजदूर भी सोचने लगा की ये सड़ा हुआ फल मेरे गमछे को खराब कर रहा हैं. इसका सड़ा हुआ रस गमछे मे दाग लगा रहा हैं. अगर ऐसा ही रहा तो मेरा पूरा गमछा खराब हो जाएगा. उसके मन मे बार बार ये सवाल आ रहे थे की बाबा को कुछ देना ही था तो कुछ और दे देते.
ये सड़ा हुआ फल क्यू दिये. इस से तो मेरा पूरा गमछा ही खराब हो जाएगा. अगर ये सड़ा हुआ फल ले कर घर चला जुंगा तो मेरी पत्नी बहुत नाराज हो जाएगी. वो बोलने लगेगी की तुम्हें ये सड़ा हुआ फल लाने की जरूरत ही क्या थी. बेकार मे अपनी पत्नी से भी डांट सुनना पड़ेगा.
ये सोच कर उसने उस फल को रास्ते मे ही फेल देना उचित समझा. अब वो बार बार पीछे मूड कर देखने लगा की कब ये बाबा मेरी आँखों के नजर से दूर हो जाएंगे की मैं इस फल को फेक दु.
कुछ देर के बाद बाबा इतने दूर जा चुके थे की आंखो से ओझल हो गए. अब एक अच्छा मौका था की उस फल को रास्ते मे फेक कर आगे की तरफ बढ़ा जा सके. उस मजदूर ने अपना गमछा का गाठ खोला और फल को रास्ते मे ही फेक कर आगे की तरफ बढ़ गया.
वहा से कुछ दूरी पर ही एक तलब था उसने तलब मे अपने गमछे को धोया. फिर पानी पिया और अपने घर की तरफ चल दिया. दोपहर का समय था घर पहुच कर गमछा को बिस्तर के ऊपर रख दिया. अभी गमछा पूरी तरह सूखा भी नहीं था. उसने अपनी पत्नी से कहा की बहुत ही ज़ोर का भूख लगा हैं. घर मे खाना हैं तो लगा दो. उसकी पत्नी अपने पति के लिए खाना लगा दी. मजदूर भी खाना खाने के लिए एक जगह बैठ गया.
तभी उसकी पत्नी की नजर गमछे पर पड़ी उसने देखा की गमछे मे पीला पीला कुछ लगा हुआ हैं और गमछा अभी भीगा हुआ है. अपने पति के ऊपर चिल्लाते हुए बोली की थोड़ा भी अकल नहीं हैं. भीगा हुआ गमछा ल कर बिस्तर पर रख दिये. देखो तो पूरा बिस्तर भी गीला हो रहा हैं. उसकी पत्नी गमछे को उठाई और बाहर की तरफ चल दी. गमछे को बाहर पसार दी.
तभी उसकी नजर उस पीले दाग पर पड़ी. वास्तव मे वो पीला कोई दाग धब्बा नहीं बल्कि कुछ और ही था. बहुत गौर से उसने उस पीले चीज को देखा और अपने पति के ऊपर चिल्लाते हुए बोली. अजी थोड़ा बाहर आइयेगा इतना चिल्ला कर बोली की उसका पति खाना छोड़ कर बाहर आया. उसने बाहर आ कर अपनी पत्नी से कहा की इतना चिल्ला क्यू रही हो.
कौन सा पहाड़ गिर गया हैं. तो उसकी पत्नी बोली की सच सच बताना की ये गमछा कहा से लाये हो. इस गमछे मे क्या रखे थे. उसका पति बोला की इस गमछा मे दाग लग गया था जिस वजह से मैंने इसे धो दिया. तब उसकी पत्नी बोली की जरा यहा गौर से देखना क्या लगा हुआ है. जब उसने गमछे को गौर से देखा तो तंग रह गया.
क्यू की गमछा मे जो पीला पीला लगा हुआ था. वो किसी फल का रस नहीं बल्कि सोने का पानी था. उसने अपनी पत्नी से कहा की ये कोई रस नहीं बल्कि सोना चहरा हुआ हैं. उसके तो होश ही उड़ गए. उसने सारी हकीकत अपनी पत्नी से बता दिया. की किस तरह रास्ते मे उसे एक चमत्कारी बाबा मिले थे.
जिन्होने उसे एक सड़ा हुआ फल दिया था. कैसे उसने उस फल को रास्ता मे फेक कर आगे की तरफ बढ़ गया. अब पूरा मजरा उसके और उसकी पत्नी को समझ मे आ गया. उसकी पत्नी बोली की चल कर ज्यालदी से फल को घर ले आते हैं. वो सड़ा हुआ फल नहीं बल्कि सोना हैं. दोनों तुरंत घर से बाहर निकले और फल को लेने चल दिये. पर जैसे ही फल वाले स्थान पर पहुचे तो देखा की आस पास कुछ भी नहीं हैं. जिस जगह पर उसने फल फेका था उस जगह पर फल नहीं था. इधर उधर खोजने लगे.
पर कही भी कुछ नजर नहीं आया. फिर उसकी पत्नी बोली की चल कर चमत्कारी बाबा को खोजते हैं. दोनों चमत्कारी बाबा को खोजने लगे. चमत्कारी बाबा को खोजते खोजते बहुत दूर तक गए. पर कही भी चमत्कारी बाबा नजर नहीं आए. दोनों बहुत उदाश हो गए न तो फल ही मिला और न ही चमत्कारी बाबा. अगर चमत्कारी बाबा मिल जाते तो कुछ हो सकता हैं.
अपनी गरीबी दूर करने का एक मौका जरूर मिला था. पर उस मजदूर ने मौका को हाथ से गवा दिया. अगर किसी तरह भी चमत्कारी बाबा का दिया हुआ फल ले कर घर चले आते तो. उनकी गरीबी दूर हो सकती थी.