बात आज से बहुत पहले की हैं. ये बात उस वक़्त की है जब मैं
बच्चा था. अगर जिन्न बाबा नहीं होते तो मैं मारा जाता. जिन्न बाबा के
कृपा से ही मैं जिंदा हूँ. मेरे गाँव के पास ही जिन्न बाबा का स्थान हैं. लोग कहते
हैं जिन्न बाबा हमेशा लोगे की मदद करते हैं.
जो भी सच्चे दिल से जिन्न बाबा से जो
कुछ भी मांगता हैं. जिन्न बाबा उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं. जिन्न बाबा का
स्थान मेरे घर से थोड़ा दूरी पर हैं. मेरे घर के थोड़ा दूर पर ही एक नहर बहता हैं.
नहर के दोनों तरफ कच्चा रास्ता हैं. गाँव से कही जाना हो तो उसी कच्चा रास्ता से
हो कर जाना पड़ता हैं. कोई पक्का रास्ता नहीं होने के कारण गाँव के लोग उसी कच्चे
रास्ता से आना जाना करते हैं. गाँव मे ज्यादा लोग नहीं हैं. बस कुछ ही घरों का
गाँव हैं.
मेरे गाँव से बहुत दूर पर बाज़ार हैं. वैसे तो गाँव मे जगह बदल बदल कर
हाट लगता हैं. लोगो को याद रखना पड़ता हैं की आज कहा का हाट हैं. तब ही जा कर जरूरत
के समान खरीद पाएगा. नहीं तो अगला हाट का इंतेजर करना पड़ता हैं. हाट शफ़ताहिक होता
हैं. कभी किसी गाँव मे हाट लग गया तो कभी किसी गाँव मे. एक बार की बात हैं मैं हाट
करने के लिए दूसरे गाँव गया हुआ था. शाम के समय अपने घर से बाहर निकला हाट मे समान
खरीदते खरीदते रात हो गया.
समय का पता ही नहीं चला. वैसे गर्मी का मौसम था मुझे
कोई परवाह नहीं था. अगर रात हो भी गया तो अपने घर आराम से जा सकता था। मुझे घर
जाने का रास्ता पता था. मैं समान खरीदते खरीदते रात कर दिया. अब मुझे घर जाना था
मैं अपना साइकल ले कर हाट गया हुआ था. अपना साइकल चलाता हुआ अपने घर की तरफ वापस आ
रहा था. पर एक दुबिधा थी. मौसम तो गर्मी का था पर घोर अंधेरीय छाया हुआ था. मैं
अंधेरीय रात मे अपना साइकल चला रहा था. दूर तो क्या सामने का चीज भी नहीं दिख रहा
था. नहर के ऊपर रास्ता था अगर थोड़ा भी साइकल चलाने मे दिक्कत हुआ की साइकल सीधे
नहर के अंदर चला जाएगा.
नहर मे पानी इतना था की मैं साइकल के साथ आराम से डूब सकता
था. किसी तरह अपना साइकल चलाता हुआ अपने घर की तरफ बढ़ रहा
था. पर जब मैं नहर के कुछ दूर ही बढ़ा था की मैंने देखा की एक बिलकुल सफ़ेद रंग का
कपड़ा पहने हुए कोई मेरे साइकल के आगे खड़ा है. मैं समझ नहीं पाया की इतनी रात गए इस
जगह पर कौन हैं. जो सफ़ेद रंग का कपड़ा पहने हुए मेरे साइकल से कुछ ही दूरी पर खड़ा
हैं. मैं साइकल चला भी रहा था और सोच भी रहा था. वो रास्ते मे ही खड़ा था और मुझे
उसी रास्ते से गुजरना भी था.
बिलकुल सफ़ेद वो भी अंधेरीय रात मे, साफ पता चल रहा था की कोई तो जरूर हैं. मैं साइकल चलाता हुआ उसके सामने
से पार किया. पर जैसे ही कुछ दूर बढ़ा की उसने मुझे पीछे से आवाज दिया और बोला की ऐ
लड़का रुक तो. जब मैं उसका आवाज सुना तो डर गया क्यू की अकसर गाँव वालों के मुह से
सुना था की नाहर मे एक भूत भी रहता हैं.
जब भी कोई अकेले उस रास्ता से गुजरता हैं.
तो नाहर वाला भूत उसे नाहर मे डुबो कर मार देता हैं. पर उस रात तो मैं नहर वाले
भूत के इलाके मे था. नहर का भूत मुझे पीछे से आवाज दिया की ऐ लड़का रुक. पर मैं
रुका नहीं मैं तो अपना साइकल और भी तेज चलाने लगा. मुझे डर था की जैसा लोगो से सुन
रखा हैं की नाहर का भूत लोगो नाहर मे डुबो कर मार देता हैं. मुझे लोगो की बात याद
आने लगी. सोचने लगा की आज तो लगता हैं मैं गया. नाहर का भूत ऐसा न हो की मुझे नाहर
मे डुबो कर मार न दे. रात का अंधेरा चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा. दूर दूर तक कोई
भी नजर नहीं आ रहा था. चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा हुआ था.
घोर अंधेरीय रात
और मुझे घर भी जाना था. मैं अपना साइकल तेज चलाने लगा. सोचा की जितना ज्यल्दी हो
सके यहा से भाग जाऊ. ये सोच कर अपना साइकल तेज चलाने लगा. पर जैसे ही थोड़ा दूर बढ़ा
तो देखा की फिर से वही सफ़ेद साया मुझ से कुछ दूरी पर खड़ा हैं. अब किया तो क्या
किया जाए. अगर आगे बढ़ता हूँ तो वो सफ़ेद साया जो की एक भूत का हैं. मुझे मार देगा
अगर पीछे हटता हूँ तो फिर से वो मेरे सामने आ सकता हैं. भूत प्रेत का कोई ठिकाना
होता हैं वो तो काही से भी आ सकता हैं. जो भी उसके इलाके मे जाता हैं अब उसके नीयत
के ऊपर ही निर्भर रहता हैं. भूत प्रेत चाहे तो मार दे या छोड़ दे. मुझे अपने घर भी
जाना था.
मैंने आगे की तरफ बढ़ना ही उचित समझा क्यू की उस जगह से थोड़ी ही दूरी से
जिन्न बाबा का स्थान शुरू हो जाता था. अगर मैं जिन्न बाबा का स्थान तक किसी भी तरह
से पहुच जाता हूँ तो ये नाहर का भूत मेरा कुछ भी नहीं बिगार पाएगा. ये सोच कर मैं
आगे की तरफ बढ़ा. मैं बहुत डर भी चुका था क्यू की वो भूत मेरा जान भी ले सकता हैं.
पर जैसे ही मैं उसके सामने पाहुचा तो देखा की वो भूत भी मेरे तरफ ही बढ़ रहा हैं.
लंबा सा भूत बिलकुल सफ़ेद कपड़ा पहने हुए. उसका कपड़ा बहुत ही चमक रहा था. मैं जैसे
ही उसके सामने पाहुचा उसने मेरे साइकल का हैंडल पकड़ लिया और मुझ से बोला. तू क्या
मेरे ही इलाके से मुझ से बच कर भाग जाएगा.
आज मैं तुम्हें मार कर अपने साथ मिला
लूँगा. आज से तू भी मेरे ही साथ रहेगा. आज मैं तुम्हें नाहर मे डुबो कर मार दूंगा.
उसने मेरा साइकल पकड़ रखा था. मैं बहुत ही ज्यादा डर चुका था क्यू की मेरे सामने ही
मेरा मौत खड़ा था. अगर वो चाह ले तो तुरंत मुझे नाहर मे ढेकेल कर मुझे मार दे. मैं
जान गया था की अब मैं बचने वाला नहीं हूँ. बहुत ही ज्यल्द मैं मरने वाला हूँ. भूत
ने मेरा साइकल भी पकड़ रखा था. मैं साइकल से नीचे उतर गया. जैसे ही नीचे उतरा उसने
मेरा साइकल को उठा कर नाहर मे फेक दिया. अब मेरा पारी था.
पर जैसे ही मुझे उठाने
के लिए आगे बढ़ा की मैं सीधा वहा से दौड़ना शुरू कर दिया. मैं आगे आगे दौरने लगा. जब
की नाहर का भूत मुझे पीछे पीछे दौराने लगा. नाहर का भूत मुझे दौरता और बोलता की
रुकजा नहीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा. पर मैं कहा रुकने वाला था. मैं भागता हुआ
सीधे जिन्न बाबा का स्थान तक पहुच गया. जब जिन्न बाबा का स्थान तक पहुच गया तो वो
भूत उनके इलाके से कुछ दूर पहले ही खड़ा हो गया. नाहर का भूत बहुत ही गुस्से मे था
उसने अंधेरे मे चिल्लाते हुए मुझ से कहा की जा आज तेरी किस्मत अच्छी थी. जो जिन्न
बाबा का स्थान तक पहुच गया. नहीं तो मैं आज तुम्हें मार देता. आज तो तुम मुझ से बच
गए पर याद रखना कभी न कभी मैं तुम्हें मार दूंगा.
नाहर का भूत बहुत ही गुस्से मे
था और मुझे बाहर निकलने के लिए बोल रहा था. पर मैं बाहर नहीं निकला क्यू की मैं
जनता था की जहा मैं बाहर निकला की ये भूत मुझे मार देगा. रात भर भूत मेरा जिन्न
बाबा का स्थान से बाहर ही इंतेजर करता रह गया. मैं रात भर वहा से बाहर नहीं निकला.
क्यू की मैं जनता था की जहा मैं बाहर निकला की ये मुझे मार देगा. जब सुबह का पहला किरण
निकला तो नाहर का भूत वहा से गायब हो गया. जिन्न बाबा ने मुझे बचा लिया. अगर उस
रात मैं दौर कर जिन्न बाबा का स्थान तक नहीं पाहुचता तो नाहर का भूत मुझे मार
देता.
मैं हमेशा जिन्न बाबा का शुक्रगुजार हूँ की उनके वजह से ही मेरा जान बच गया.