Do Saheli , Khauff Ki Darawni Kahani



Do Saheli , Khauff Ki Darawni Kahani


ये कहानी दो सहेली की हैं. आत्मा होते हैं और कभी कभी अपनी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए इस दुनियाँ मे भटकती रहती हैं. दो सहेली भी ऐसी ही कहानी हैं.
 जो अपना अधूरा इछा की पूरा करने के लिए बहुत दिनो तक इस दुनियाँ मे भटकते रही. ये आत्मा भी बहुत चालक होती हैं.
 हर तरह का पैतरा अपनाती हैं. कब किसे मारना हैं की किसी को शक भी न हो. हर समय सही वक़्त का इंतेजर करते रहती हैं. भूत प्रेत इसी दुनिया मे हैं और अपने अकेलेपन को दूर करने का उपाय सोचते रहती हैं.
 मारे हुए को जीवित इंसान से डर है और ज़िंदे को मारे हुए इंसान हैं.
 दो सहेली के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दो सहेली जो की कॉलेज के दिनो मे अच्छी सहेलियाँ हुआ करती हैं. वे दोनों कॉलेज मे पढ़ा करती थी. कॉलेज आवासीय था जिस कारण कॉलेज के सामने ही रहने के लिए हॉस्टल था. दोनों सहेली कॉलेज मे पढ़ती और हॉस्टल मे रहती.
 हॉस्टल मे एक साथ रहती थी. वो भी एक ही कमरे मे. दोनों का जीवन अच्छा चल रहा था. पर एक दिन अचानक एक सहेली का तबीयत खराब हुआ. उसके घर वाले आए और उसे ले कर अपने घर चले गए. पर कुछ ही दिनो के बाद खबर मिला की वो जिसका तबीयत खराब था.
 वो मर गई, बेचारी जो सहेली जीवित थी उसे बहुत दुख पहुचा. वो अपना पढ़ाई बीच मे ही छोड़ कर अपने घर वापस चले गईं. अब वो पढ़ाई छोड़ चुकी थी और अपने घर मे रहती थी. पर बहुत बार उसके साथ ऐसा हुआ की जब वो सोये रहती थी तो अपनी मरी हुई सहेली को सपने मे देखती थी.
 जब भी वो मरी हुई सहेली सपने मे आती तो उस से कहती की मैं तो मर चुकी हूँ. मर कर मैं बहुत अकेली हो चुकी हूँ. यहाँ मेरा जान पहचान का कोई भी नहीं हैं. मर कर भी मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ. तुम मेरे पास आ जाओ. मैं तुम्हारा यहा इंतेजर कर रही हूँ.
 पर जब वो सपने मे अपनी मरी हुई सहेली को देखती तो डर जाती. ऐसा बहुत बार हुआ. उसे अक्सर ऐसा लगता की मरी हुई उसकी सहेली उसे अपने पास बुला रही हैं. उसने ये बात अपने माँ से बताया. उसकी माँ बोली की हो सकता हैं. तुम दोनों मे बहुत ज्यादा दोस्ती रही होगी. जिस कारण तुम हमेशा अपनी सहेली के बारे मे सोचती हो.
 अब तुम्हें वहम हो चुका हैं की तुम्हारी मरी हुई सहेली तुम्हें बुला रही हैं. उसकी माँ उसे नसीहत दी की अपनी सहेली को याद करना बंद कर दो. खुद ब खुद वो तुम्हारे सपने से चले जाएगी. हकीकत तो ये हैं की वो अपनी सहेली को याद करना कहाँ चाहती थी.
 पर उसकी सहेली उसके सपने मे आ ही जाती थी. ऐसा बहुत दिनो तक चला जब उसकी मरी हुई सहेली अपने जीवित सहेली को भी मरने के लिए बोल रही हो. उस की शादी भी हो गई. बच्चे भी हुए पर मरी हुई सहेली उसके सपने मे आना बंद नहीं की.
 बार बार सपने मे आ कर उसे मर जाने के लिए बोल रही थी. बार बार यही बात की मैं यहा बहुत अकेली हूँ. मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ. तुम मेरे पास आ जाओ. हम दोनों यहा एक साथ रहेंगे. उसकी सहेली ये मरे हुए बहुत साल भी बीत चुका था.
 अपने घर और परिवार के साथ वो बहुत खुश थी. अपनी सहेली को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाना चाह रही थी. पर उसकी मरी हुई सहेली थी जो उसे भूलना नहीं चाह रही थी. वो तो जीवित सहेली को भी मार देना चाह रही थी.
 एक दिन की बात हैं. घर के सभी लोग कही दूसरे जगह गए हुए थे. घर मे वो अकेली थी. घर के बस थोड़ी ही दूरी पर किसी का शादी था. जिस वजह से सभी शादी मे गए हुए थे. पर जब घर के सभी सदस्य वापस आ कर देखे तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए.
 सभी ने देखा की उसकी लाश फासी मे लटक रही थी. न तो किसी से झगरा न की कोई बहसा बहसी फिर भी अचानक वो फासी क्यू लगा ली. बहुत से लोग कहते हैं की उसकी मरी हुई सहेली बहुत दिनो से अच्छा मौका का इंतेजर कर रही थी.
 उसे अच्छा मौका मिल गया और उसने अपनी सहेली को मरने के लिए बिवश कर दिया. जिस कारण वो फासी मे झूल कर मर गई.