Ghadi Ka Sui, Jo Bhoot Pret Ke Aane Ka Samay Batata Hain
भूत प्रेत का नाम सुनते ही
शरीर मे अजीब तरह का शिहरण होने लगता हैं. भूत प्रेत को मैं देखा तो नहीं हूँ. अगर
बिना देखे शरीर मे शिहरण शुरू हो जाए. वो भी सिर्फ नाम सुन कर अगर देख ले तो क्या
होता हैं. मुझे तो लागत हैं की देखने वालों की हालत ही खराब हो जाएगी.
ऐसा नहीं हैं की लोग कह दे की भूत प्रेत होते
नहीं हैं. मुझे उन सभी ताकतों से डर नहीं लगता हैं. पर असल डर तो उस वक़्त लगता हैं
जब भूत प्रेत सामने आ जाए. अच्छे अच्छे सुर्मा भी भूत प्रेत जैसी ताकत को देख कर
डर जाते हैं. वो झूठ बोलते हैं की उन्हे भूत प्रेत से डर नहीं लगता हैं.
भूत प्रेत तो एक एहसास होता हैं जो की हर किसी
के अंदर मौजूद हैं. बस सही समय और सही वक़्त का इंतेजर हैं. बस सही वक़्त मिला नहीं
की ये अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं. मैं भूत प्रेत या डायन देखा तो नहीं हूँ.
पर जनता जरूर हूँ की भूत प्रेत होते जरूर हैं. मुझे उसकी मौजूदगी का एहसास जरूर
हुआ हैं. कितनी बार लगा हैं की वो यही कही पर हैं. पर दिखा नहीं हैं.
मेरा नाम रमेश हैं मैं बिहार का रहने वाला हूँ.
मैं कोडरमा मे जॉब करता हूँ. यहाँ पर मैं सेल्स मैन का काम करता हूँ. कंपनी का
समान जिसे दुकान दुकान तक पहुचाता हूँ. वैसे मेरी कंपनी ऑटो मोबाइल की हैं. गाड़ी
का पार्ट्स सप्लाइ करता हूँ. पहले जा कर ऑर्डर ले लिया फिर उसके बाद उसे दुकान तक
पहुचा दिया. दूर दूर तक ऑर्डर लेने जाना पड़ता हैं. मुझे इस काम मे कुछ एक्सट्रा
पैसे भी मिल जाता हैं.
जितना मेरा पेमेंट हैं मैं उस से कही ज्यादा कमा
लेता हूँ. मेरा ऑफिस कोडरमा मे हैं. मैं यहाँ पर रहने के लिए एक किराए का मकान भी
लिया था. मेरे साथ जो भूत प्रेत का घटना घटा वो उसी किराए के मकान मे घटा. जिसके
बारे मे आज मैं यहा लिख रहा हूँ. मैं किराए के मकान मे रहता था. पर जैसे ही घड़ी का
सुई बारह पर जाता.
मतलब की कुछ देर के लिए ही सही मेरे घर मे
शैतानी हरकत होना शुरू हो जाता. ऐसा लगता की घड़ी का सुई बारह पर गया और आस पास
किसी का शाया आ गया. घड़ी के सुई के साथ ही मुझ मे खौफ दौड़ जाता. मैं बहुत डर जाता
की अब यहा कोई पहुच चुका हैं. इस खौफ का एहसास यू ही शुरू नहीं हुआ. ये धीरे धीरे
मुझ मे अपना घर करता चला गया.
डर क्या होता हैं तब मैंने जाना. पहले तो मुझे
वहम मात्र लगता था. पर बिश्वश तो बिश्वश होता हैं. कितने दिनो तक छुपेगा कभी न कभी
खुल कर सामने आ ही जाएगा. एक रात की बात हैं मैं अपने कमरे मे सोया हुआ था। रात भी
बहुत हो चुकी थी वही लगभग रात का बारह बजने वाला था.
जैसे ही घड़ी का सुई रात के बारह बजे तक पहुचा.
वैसे ही मुझे लगा की घर के छत पर कोई चल रहा हैं. किसी के कदमो की आहट साफ सुनाई
देने लगी. ऐसा लगता की कोई घर के छत पर जोड़ जोड़ से चल रहा हैं. मैं पहले तो सोचता
की हो सकता हैं कोई होगा पर. जब छत पर चलने की आवाज खत्म होता तो. मेरे घर के
दरवाजे के पास किसी बिल्ली के बोलने की आवाज आने लगती.
कोई बिल्ली कही से आती और घर के दरवाजे के पास
बोलती. ऐसा लगता की वो दरवाजा खोलने के लिए बोल रही हो. कुछ देर तक वो बोलती फिर
उसके बाद चारों तरफ खामोशी छा जाता. सब कुछ खामोश हो जाता. कुछ दिन तक तो मुझ ये
मात्र संयोग ही लगा की हो सकता हैं.
कोई बिल्ली होगी. जो रात के बारह बजे ठीक मेरे
घर के छत पर चले आती होगी और फिर दरवाजा के पास आ कर मियाऊ...... मियाऊ .......
बोलती होगी. पर ये एक दो बार हो तो समझ मे आता हैं की ये कोई बिल्ली होगी. ऐसा
होना जो शुरू हुआ वो लगातार चालू रहा. खत्म होने का नाम ही नहीं लिया. हर रोज का
यही किस्सा होने लगा.
जब रात का बारह बजता जैसे ही रात के समय घड़ी का
सुई बारह बजे तक पहुचता. वैसे ही घर के छत के ऊपर किसी के चलने की आवाज आती. फिर
उसके बाद लगता की कोई छत के ऊपर दौर रहा हैं. फिर उसके बाद ठीक एक बिल्ली मेरे घर
के दरवाजे के पास आती और बोलने लगती.
उसके कुछ देर के बाद चारों तरफ खामोशी छा जाता. ऐसा
लगता की कुछ हुआ ही नहीं हैं. एक दो दिनो तक ऐसा चलता तो उसे वहम माना जा सकता था.
पर ये तो जो एक बार शुरू हुआ खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. रात के समय मुझे
नींद नहीं आता.
अगर नींद आता भी तो रात के बारह बजे के बाद. जब
चारों तरफ खामोशी छा जाता तब. जब भी मैं रात के समय घर मे अकेले रहता तो घड़ी मे
समय देखता रहता. जैसे ही घड़ी का सुई बारह तक ठीक पहुचता की शैतानी हरकत होना शुरू
हो जाता. पहले तो डर का एहसास नहीं हुआ पर बाद मे मुझे डर लगने लगा.
की कौन हैं जो रात के समय घर के छत पर दौड़ता हैं
और फिर एक बिल्ली दरवाजे के पास आ कर बोलती हैं. मान लेते हैं की बिल्ली घर के छत
पर दौड़ेगी. तो उसका आवाज अलग होना चाहिए था. पर रात के समय जो छत पर दौरता हैं.
उस से साफ पता चलता हैं की ये किसी बिल्ली के
पैरों की आवाज नहीं हो सकती हैं. इतना ज्यादा और भाड़ी आवाज किसी बिल्ली के हो ही
नहीं सकते हैं. ये तो किसी आदमी के हैं, हो सकता हैं छत पर भूत प्रेत या कुछ और हो. जब कोई
नहीं हैं तो फिर कौन हैं.
रोज रात को मैं यही सोचता था. एक रात की बात हैं,
मैं और मेरा दोस्त दोनों मेरे कमरे मे सोये हुए थे. दोनों बात कर रहे थे,
रात मे दारू पीने का प्लान था. वैसे भी घर मे कोई नहीं था. सिर्फ हम दोनों ही थे.
रात के समय हम दोनों दारू पी कर आपस मे बातें कर रहे थे.
दारू बहुत पी लिए थे नशा तो चहर चुका था. नशा के
हालत मे हम दोनों थे. नहीं पता कब बात करते करते रात का बारह भी बज गया. पर जैसे
ही रात का बारह बजा उसी समय छत पर किसी के दौड़ने का आवाज आने लगा. मैं तो जानता था
की जब भी रात का बारह बजता हैं छत पर किसी के दौरने और चलने का आवाज आता हैं. पर
मेरा दोस्त नया था उसे इस बात का जानकारी नहीं था.
उसने आवाज सुना और मुझ से बोला की यार कौन हैं
जो इतनी रात गए घर के छत पर हैं. कौन हैं जो छत पर चहर गया हैं. मैं बोला की यार
बिल्ली हैं. उसने कहा की नहीं यार ये आवाज बिल्ली का हो ही नहीं सकता हैं. किसी
बिल्ली या फिर आदमी के पैरों की आवाज मैं जानता हूँ.
मैं बोला की यार बिल्ली ही हैं. पर वो चिल्लाते
हुए बोला की कौन हैं छत पर. पर छत से कोई आवाज नहीं आया. लेकिन थोड़ा देर के बाद
मेरे दरवाजे के पास से बिल्ली का आवाज आने लगा. मेरा दोस्त बोला की यार अभी बिल्ली
कैसे आया. चलो दरवाजा खोल कर देखते हैं.
उस वक़्त वो मेरे साथ था इस लिए मुझ मे हौसला था.
इसलिए मैं दरवाजा खोल दिया. पर दरवाजा खोल कर देखा कोई भी नहीं था. किसी तरह रात
बीत गया. सुबह वो मुझ से बोला की यार मुझे
लगता हैं की तुम्हारे घर मे कोई आदमी आया था. जो बिल्ली का आवाज निकाल कर हमे डरा
रहा था.
मैंने उसे बताया की यार ऐसा पहली बार नहीं हैं जब
इस तरह का घटना घटा. हर रात मेरे साथ इसी तरह का घटना घटता हैं. मेरा दोस्त बोला
की नहीं यार कोई हैं जो तुम्हें डराना चाह रहा हैं. इस बात का पता लगाना बहुत
जरूरी हैं की छत पर कौन हैं. मैं उस से बोला की इसका कैसे पता चल सकता हैं. उसने
कहा की दोस्त एक काम करते हैं.
आज रात के समय मैं घर के अंदर रहता हूँ और तुम
घर के बाहर रहना. छुप कर देखते रहना की कौन हैं, जो छत पर आता हैं और
बिल्ली की आवाज निकाल कर हमे डरता हैं. मैं राजी हो गया,
रात के समय मेरा दोस्त घर के अंदर था और मैं घर के बाहर छुप कर देख रहा था की वहाँ
कौन आता हैं. कोई आदमी या फिर कोई बिल्ली. मैं अपने घर के आगे का लाइट भी जला रखा
था.
की अगर कोई होगा तो मुझे दिख जाएगा. मैं अपने घर
से बस थोड़ा दूर अंधेरे मे छुप कर अपने घर की तरफ देख रहा था. मैं एक टूक देखे जा
रहा था. बस अपने घर से थोड़ा ही दूरी पर था. रात मे घड़ी का सुई ठीक बारह बजे तक
गया. मैं अपने घर के तरफ देख रहा था. थोड़ा देर तक देखता रह गया. पर मुझे कोई नहीं
दिखा कोई रहता तब न दिखता वहाँ तो कोई था ही नहीं. तभी मेरा दोस्त दरवाजा खोला और
ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा. कौन हैं यहाँ? मैं भी सोच मे पड़ गया की घर के बाहर का लाइट जल
रहा हैं.
मैं घर के बाहर लगातार देख रहा हूँ. पर मुझे कोई
दिख नहीं रहा हैं. कौन हैं कोई रहता तो जरूर दिख जाता. मेरा दोस्त घर का दरवाजा
खोला. मैं भी उसके पास पहुच गया.
वो बोलने लगा की यार कोई हैं जो
बहुत देर से बिल्ली का आवाज निकाल कर मुझे डरा रहा हैं.
छत पर भी ज़ोर ज़ोर से चलने की आवाज आ रही थी. मैं
बोला की यार तब से तो मैं घर के बाहर ही हूँ. मैंने किसी को नहीं देखा यहा तक की कोई
बिल्ली भी नहीं दिखी और तुम बोल रहे हो की बहुत देर से बिल्ली का आवाज आ रहा था.
एक पल भी मैं अपना नजर घर के आगे से नहीं हटाया और मुझे न ही तो बिल्ली दिखी. हम
दोनों घर के अंदर चले गए. बहुत देर तक आपस मे बात किए.
सुबह ड्यूटि भी चले गए. उसने मुझे बताया की यार
लगता हैं तुम्हारे घर मे किसी भूत प्रेत या आत्मा का वाश हैं. नहीं तो ऐसा हरकत
नहीं होता. वो मुझे जो समझा रहा था उस चीज को मैं बहुत पहले से महसूस कर चुका था.