Kaam Wali Reja Ka Bhoot – Bhoot Pret Ki Darawni Kahaniyan
बात आज से बहुत पहले की
हैं. उस वक़्त मैं भाटापाड़ा मे काम करता था. भाटापाड़ा छततिशगढ़ मे एक जगह हैं. मैं
वहाँ पर काम करता था. बहुत दिनो से मैं यहाँ पर काम कर रहा था. पर एक बार मैंने
इसी जगह पर एक चूड़ेल देखा था.
वो भी बहुत आमने सामने से,
कुछ चीजे ऐसी हैं जिस पर किसी को बिश्वश नहीं होता हैं. पर हकीकत तो यही हैं की वे
सभी चीजे होते हैं. मुझे भी पहले यही यकीन था की ये सभी चीजे नहीं होते हैं. जैसे
की भूत प्रेत या फिर चूड़ेल.
पर जब हकीकत सामने आया तो वो बिलकुल बिपरित था.
चूड़ेल होती हैं और कब कहाँ और किस जगह मिल जाए कह पाना बहुत मुसकिल हैं. लोग कहते
हैं की चुड़ैलों के रहने का एक जगह होता हैं. चुड़ैल एक जगह को अपना ठिकाना बना लेती
हैं और बहुत दिनो तक उसी जगह पर रहती हैं. जब कोई उस जगह पर जाता हैं तो चुड़ैल दिख
जाती हैं.
या फिर तभी वो किसी को तंग करती हैं. मेरे साथ
भी एक घटना ऐसा ही घाटा जब मैं एक जगह गया हुआ था. जहां पर मुझे चुड़ैल दिखी और
बहुत तंग भी की. बहुत मुसकिल से मैं उस से बच पाया हूँ. मेरा नाम उदित हैं मैं
बिहार का रहने वाला हूँ.
मैं छततिशगढ़ मे
काम करता हूँ. एक दिल दहला देने वाली घटना मेरे साथ यही पर घटा. जिसके बारे मे आज
यहाँ लिख रहा हूँ. मैं जब काम करता था तो उस वक़्त एक किराए के मकान मे रहता था.
वैसे मैं बहुत दिनो से काम कर रहा था.
पर जिस कंपनी मे काम कर रहा था उस जगह से बहुत
दूर पर मैंने एक कमरा किराए पर लिया था. कंपनी आने जाने मे दिक्कत हो रहा था.
ड्यूटि भी ऐसा था की वक़्त पर पहुच जाना पड़ता था. अगर थोड़ा भी देर हुआ की absent लग जाता था.
इसलिए हमेशा मेरा कोशिश यही रहता था की वक़्त से
पहले काम पर पहुच जाऊ. नहीं तो नगा लगने का खतरा रहता था. काम कर के भी पैसा मिल
पाना बहुत मुसकिल था. इस लिए मैं कंपनी समय पर पहुच जाता था. पर मेरा कमरा कंपनी
से बहुत दूर था.
जिस वजह से आने जाने मे दिक्कत होता था. मैं
कंपनी के सामने ही रूम खोज रहा था. कब रूम मिले की वही पर शिफ्ट हो जाऊ. बहुत
मुसकिल से मुझे कंपनी के सामने ही एक कॉलोनी मे रूम भी मिल गया. कंपनी से ज्यादा दूर नहीं था.
बस रूम से निकलो और पंद्रह मीनट मे कंपनी आ जाओ.
मुझे भी तो ऐसे ही रूम का इंतेजार था. रूम मालिक से भाड़ा तय कर के मैं वहाँ पर
शिफ्ट हो गया. पर जब मैं वहाँ पहुचा तो आस पास के लोग मुझ से बोलने लगे की आप ये
रूम छोड़ कर किसी दूसरे जगह शिफ्ट हो जाइए.
ये जगह अच्छा नहीं हैं. आप जिस कमरा को किराए पर
लिए हैं वो कमरा हकीकत मे भुतहा हैं. एक काम करने वाली रेज़ा का भूत उस कमरे मे
रहती हैं. अच्छा तो यही हैं की आप कमरा छोड़ कर किसी दूसरे जगह शिफ्ट हो जाइए.
उस वक़्त मैं जवान था और भूत प्रेत या फिर चुड़ैल
इन सभी चीजों पर तो मैं थोड़ा भी यकीन नहीं करता था. पहले कभी देखा नहीं तो यकीन
किस बात का. भूत प्रेत तो मन का वहम मात्र होता हैं. मैंने अपने आस पास के लोगो से
कहाँ की भूत प्रेत होते कहाँ हैं जो उस पर बिश्वश किया जाए.
भूत प्रेत तो मुझ से डरते हैं मुझे उनसे डरने की
जरूरत नहीं हैं. जब सामने आएगा तो देखा जाएगा. मैं निश्चित था क्यू की मुझे यकीन
था की भूत प्रेत नहीं होते हैं. वो भी कोई काम करने वाली रेज़ा का भूत. इस बात पर
तो मुझे थोड़ा भी यकीन नहीं था.
मैं कुछ दिनो तक उसी कमरा मे रहा. पर मुझे कभी
भी नहीं दिखी. पर लोग कहते थे की आज तक कोई भी इस कमरे मे एक महीने से ज्यादा नहीं
टीका हैं. मैं भी बोल चुका था की जब तक कंपनी मे काम चलता रहेगा और मैं यहा
रहूँगा. तब तक मैं इसी कमरा मे रह कर दिखा दूंगा. कोई भी भूत प्रेत मेरा कुछ भी
नहीं बिगार पाएगी.
अभी कुछ रात ही उस कमरा मे बिताया था की मुझे
लगने लगा की जब मैं सो जाता हूँ. तो कोई मेरे कमरे के अंदर आती हैं. मेरा आँख लगते
ही पायल की आवाज मेरे कानो से टकरा जाती. ऐसा लगता की कमरा के अंदर कोई हैं जो
पायल पहन कर चल रही हैं.
पर जब आँख खोल कर देखता तो कोई भी नजर नहीं आती.
अब ये एक नया बिडंबना शुरू हो चुका था. लोग कहते भी थे की यहाँ पर कोई चुड़ैल रहती
हैं. जो भी उस कमरा मे रहने के लिए आता हैं. वो उसे डरा कर कमरा से बाहर कर देती
हैं.
या फिर कोई अनहोनी घटना उसके साथ घट जाता हैं. अब
ऐसा ही अनहोनी घटना मेरे साथ घटना शुरू हो चुका था. जब भी मैं रात के समय सोता तो
मुझे ऐसा लगता की कोई हैं? जो मेरे कमरे मे चल रहा हैं. मुझे पूरी तरह से
यकीन हो चुका था की यहाँ पर कोई न कोई जरूर हैं.
पर दिखता नहीं हैं. लोगो की बात भी याद आने लगती
की इस कमरे मे कोई चुड़ैल रहती हैं. जो की एक रेज़ा का भूत हैं. किसी रेज़ा का आत्मा
इस कमरे मे वॉश करती हैं. वो दिखती तो नहीं थी पर उसकी मौजूदगी का एहसास जरूर हो
जाता था.
पर कुछ दिनो के बाद जब मैं रात के सोता तो ऐसा
लगता की एक औरत जो मेरे घर मे झारू पोछा कर रही हैं. सुबह जब नींद टूटता तो देखता
की सच मे घर मे झारू पोछा किया हुआ मिलता. घर अच्छी तरह से धोया हुआ रहता.
उस कमरे के अंदर किसी की आत्मा हैं अब मुझे इस
बात का यकीन हो चुका था. पर कभी उसे देखा नहीं था. इसी तरह कुछ रातें और बीत गई.
पर कुछ और रात के बाद मुझे अब घर के अंदर बर्तन के टकराने की आवाज भी आने लगी.
ऐसा लगता की कोई घर मे झारू पोछा कर के खाना बना
रहा हो. वो कोई और नहीं बल्कि काम करने वाली रेज़ा का भूत ही था. जो मेरे घर मे
खाना बना रही थी. जब मैं सो जाता तो वो घर के अंदर आती और झारू पोछा कर के खाना
बनाने लगती.
ऐसा ही होने लगा. नींद मे ऐसा होता पर उसकी
पैरों मे बंधे घुंगरू की आवाज से मेरा नींद टूट जाता. मैं चुप चाप सिर्फ उसकी आवाज
ही सुनता रहता. अपने बिस्तर से उठ कर नहीं देखता. पर जब मैं दिन निकलने पर अपने
बिस्तर से उठ कर देखता.
तो पता की घर मे झारू पोछा किया हुआ हैं और खाना
भी बन कर तैयार हैं. एक रात मुझ से रहा नहीं गया. मैंने फैसला किया की आज रात पता
लगा कर रहूँगा की मेरे सो जाने के बाद वो कौन हैं. जो मेरे कमरे के अंदर आती हैं
और खाना बना कर जाती हैं.
ये सोच कर मैं रात मे सोया. पर आधी रात के बाद
फिर से किसी के पैरों की घुंगरू के आवाज आने लगे. मैं सोया कहा था मैं तो उसका
इंतेजर कर रहा था. वो आई और घर के अंदर झारू पोछा की उसके बाद kitchen मे गई.
वहाँ से बर्तन टकराने की आवाज आने लगी. ऐसा लगा
की वो रेज़ा का भूत kitchen मे शब्जी काट रही हैं. मैं अपने बिस्तर से जागा और
उस तरफ चल दिया जहां पर मेरे घर का kitchen
था. जब मैं kitchen मे पहुच कर देखा तो एक औरत जो की वहाँ पर बैठी हुई हैं.
सर को झुका कर शब्जी काट रही हैं. मैं kitchen के दरवाजे के पास आ कर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा. घर तो
चारों तरफ से बंद हैं पर इस के अंदर ये औरत जो की मामूली लग रही थी. मैं वैसे भी
निडर बनने की कोशिश कर रहा था.
मैंने उस से कहाँ की कौन हो और मेरे घर के अंदर
क्या कर रही हो. तभी मुझे उसके गुर्राने की आवाज आने लगी. वो बहुत ही क्रोधित हो
चुकी थी और मेरे तरफ देखने के लिए अपना सर उठाई. जैसे ही वो अपना सर उठाई की मैं
बहुत डर गया.
उसका सर उठते ही मैंने देखा की उसका चेहरा बहुत
ही डरावना था. पूरा का पूरा चेहरा जला हुआ था. आंखे लाल लाल और बिखरे हुए बाल. मैं
उसे देखते ही डर गया. वो जिस चाकू से सब्जी काट रही थी. वो चाकू ले कर खड़ी हो गई.
मैं डर से वहाँ से भागा.
पर वो मुझे चाकू ले कर दौराने लगी. अब किया तो
क्या किया जाए समझ मे नहीं आ रहा था. उसके हाथ मे तेज चाकू अगर मैं पकरा जाता हूँ
तो मैं मारा भी जा सकता हूँ. वो मुझे दौरा चुकी थी. मैं भी डर से वहाँ से भागता
हुआ सीधे दरवाजे के पास पहुचा.
पर जैसे ही दरवाजा खोलने वाला था. वो मेरे पास आ
गई. अब मैं करू तो क्या करू. वही सामने हनुमान जी का फोटो लगा हुआ था. जिन्हे मैं
रोज नहा कर अगरबत्ती दिखाता था. वो चुड़ैल चाकू से मेरे सिने पर वार करने ही वाली
थी की मैं हनुमान जी का फोटो उखार कर सिने मे चिपका लिया. मैं बहुत डर चुका था.
मुझे नहीं पता की उसके बाद क्या हुआ.
पर मैं बेहोश हो चुका था. सुबह जब मैंने अपने घर
का दरवाजा नहीं खोला तो आस पास वालों को शक हुआ की क्या बात हैं. इतना समय हो गया
ये आदमी अभी तक अपने घर का दरवाजा नहीं खोला. लोग मेरे घर का दरवाजा तोड़ कर देखे
तो मैं घर के अंदर बेहोश पड़ा हुआ था. मेरे सिने से हनुमान जी का फोटो चिपका हुआ
था. लोगों ने मेरे मुह पर पानी झोका उसके बाद मुझे होश आया.
मैंने सारा बात उन सभी को बता दिया की रात मे
मेरे साथ क्या हुआ था. लोग बोलने लगे की किस्मत अच्छा था जो हनुमान जी ने तुम्हारा
जान बचा लिया. नहीं तो रात मे मारे जाते. मैं भी हनुमान जी का बहुत अभार व्यक्त
किया.
लोग कहने लगे की जब तुमने उस काम करने वाली रेज़ा
का चुड़ैल देख ही लिया था. तो उसे टोकने की क्या जरूरत लगी थी. जब वो रेज़ा जिंदा थी
तब ही उसे कोई टोक देता तो वो बहुत गुस्सा मे आ जाती. अपना काम तो बहुत ही
ईमानदारी से करती पर कोई उसे टोके ये उसे मंजूर नहीं था.
पर जो भी हो अगर उस वक़्त हनुमान जी मेरा मदद
नहीं करते तो शायद मैं जिंदा नहीं रहता. उस घटना के बाद मैं भाटापाड़ा छोड़ कर अपने
घर वापस आ गया.