Bhagwan Shiv Malhar Ka Mandir – khandobachi Jejuri Bharat Ka Tirth Sthal.
खंडोबाची जेजुरी – भगवान शिव मल्हार का
मंदिर (भारत के तीर्थ स्थल)
महाराष्ट्र मे पुणे के जेजुरी नामक स्थान पर हैं भगवान शिव मल्हार का प्राचीन मंदिर। भगवान शिव मल्हार को विभिन्न नामो से पुकारा जाता हैं जैसे की – खंडोबा, मर्तण्ड, भैरव, मल्हार इत्यादि। ये मंदिर पूरे महाराष्ट्र और कर्नाटक मे बहुत प्रसिद्ध हैं। क्यू की ये भगवान शिव के अवतार मर्तण्ड भैरव का मंदिर हैं। जिनहे महाराष्ट्र मे कुल देवता के रूप मे पुजा जाता हैं। यह मंदिर जेजुरी के पहाड़ियों पर स्थित हैं। भव्य मंदिर का निर्माण ईट नुमा बड़े बड़े पत्थरों से किया गया हैं। हजारों तीर्थ यात्री और पर्यटक इस भव्य मंदिर मे दर्शन के लिए आते हैं। मन कि शांति और अपने मुराद पूरा करने के लिए भगवान शिव मल्हार के दर्शन करते हैं। मंदिर पहाड़ पर स्थित हैं। मंदिर तक पाहुचने के लिए 200 से ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़ना पड़ता हैं। मंदिर जाने के रास्ते मे सजी हुई दुकाने मिलती हैं। पुजा मे चहरवा के लिए हल्दी और नारियल का प्रयोग होता हैं। माथे पर हल्दी का लेप और तिलक दर्शन करने वालों को और भी आकर्षित करता हैं। पहाड़ के उपर बना हुआ मंदिर का मनोरम दृश्य हमेशा के लिए मन मे बस जाता हैं और दर्शन मात्र से परम आनंद का अनुभव होता हैं। मंदिर के अंदर भगवान खंडोबा की प्रतिमा घोड़े की सवारी करते हुए युद्ध की तरह विराजमान हैं। सालों भर यहा पर दर्शन करने वाले भक्तों का भीड़ लगा रहता हैं। लोग देश के कोने कोने से दर्शन के लिए आते हैं। यात्री के ठहरने के लिए कई लॉज और होटल की भी व्यवस्था हैं। मंदिर का अधभूत दृश्य दूर से ही दिखाई देता हैं। मुख्य मंदिर पर दर्शन करने के बाद अन्य मंदिरों तक जाने का रास्ता भी यही से हैं। पहाड़ की चोटियों पर अन्य मंदिर भी हैं जहा पर मुख्य मंदिर से होते हुए पद यात्रा के जरिये जया जा सकता हैं। मंदिर के समिप उधान भी हैं जहा पर भक्त विश्राम करते हैं। जेजुरी के बारे मे कहा जाता हैं की यहा पर कुलदेवता का आशीर्वाद सदा बना रहता हैं। उनके आशीर्वाद के कारण ही कोई यहा भूखा या आश्रय विहीन नहीं रहता हैं।
जेजुरी मे कल कारखाने
भी बहुत ज्यादा हैं। ये कल कारखाने MIDC के अंतर्गत आते हैं। दूर दूर से लोग रोजी रोटी के तलाश मे भी यहा
आते हैं। भगवान खंडोबा की कृपा सदा जेजुरी पर बनी रहती हैं। भगवान शिव मल्हार
जिनहे बिभिन्न नामो से से भी पुकारा जाता हैं। उनकी महिमा यहा की लोकगीतों मे गया
जाता हैं। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार राक्षस मल्ला और मणि को भगवान ब्रह्मा के
वरदान द्वारा संरक्षण प्राप्त था। जिस कारण वे खुद को अजय समझने लगे और संतो तथा
नकरिकों को आतंकित करने लगे। ये देख भगवान शिव को गुस्सा आ गया। भगवान शिव पृथ्वी को
बचाने के लिए नंदी की सवारी कर मर्तण्ड भैरव के रूप मे जिनहे खंडोबा भी कहते हैं
अवतरित हुए। उनके पूरे शरीर मे हल्दी लगा हुआ था जो की सुनहरे सूरज की तरह लग रहे
थे। पूरे शरीर मे हल्दी लगा होने के कारण उन्हे हरिद्रा भी कहा गया। भगवान शिव
मर्तण्ड ने दोनों राक्षसो को मार डाला। पर मरने से पूर्व दोनों राक्षसों ने भगवान
से वरदान मांगा। मणि ने भगवान को सफ़ेद घोडा प्रदान किया और भगवान खंडोबा से वरदान
मांगा की वो खंडवा के मंदिर मे स्थापित होगा और मानव जाती का कल्याण होगा। भगवान ने
खुशी खुशी उसकी ये इच्छा पूरी कर दी। परंतु मल्ला ने भगवान से वरदान मांगा की पूरी
मानव जाती का विनाश हो जाए। जिस से भगवान मर्तण्ड भैरव बहुत क्रोधित हुए। मल्ला
का सर धार से अलग कर के वही सीढ़ियों पर छोड़ दिये। ताकि भक्त लोग उसे कुचल कर मंदिर मे
प्रवेश करे। भगवान शिव मल्हार की महिमा अपरामपार हैं। मानव जाती तथा पृथ्वी की रक्षा
के लिए राक्षसों का वध किए। भगवान शिव मल्हार के मंदिर मे हमेशा भीड़ लगी रहती
हैं। परंतु दशहरा के समय दुनियाँ के कोने कोने से भक्त जेजुरी पहुचते हैं और हल्दी
उत्सव मानते हैं। हल्दी उत्सव मे लोग हल्दी की होली खेल कर पूरे मंदिर को हल्दी नुमा
बना देते हैं। ऐसा लगता हैं मानो पूरा का पूरा मंदिर सोने के रंग से शुशोभित हो
गया हो। हर साल दशहरे के दिन 42 किलो का तलवार उठाने का प्रतियोगिता होता हैं। कौन
कितना देर तक तलवार को उठा सकता हैं। 42 किलो के तलवार से ही भगवान मर्तण्ड भैरव ने मल्ला और
मनी का सर धर से अलग कर दिये थे।