Khauff Ki Wo Saat Raat , Horror Story

Khauff Ki Wo Saat Raat , Horror Story.

Khauf ki raat


आज मैं बहुत खुश हूँ।  खुश क्यों न रहू मेरे पिता का मान सम्मान जो बढ़ गया हैं।  लोग अब मेरे घर सलाह मशवरे के लिए आते हैं।  मेरे पिता आज गांव के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति में गीने जाते हैं।  एक समय ऐसा भी था जब मेरे पिता और मेरी माँ दूसरो के खेतों में काम करने जाया करते थे।  रोज की मजदूरी से हमारा घर चलता था।  उस समय हम लोग बहुत गरीब थे। घर चलाने की जिम्मेदारी मेरे माता पिता के कन्धों पर था।  हमारा गुजारा किसी तरह होता था।  मुझे अपने माता  पिता को खेतों में काम करते हुए अच्छा नहीं लगता।

  मेरे मन में था की मैं एक दिन अपने घर का गरीबी दूर कर दूंगा और मैंने ऐसा ही किया।  मेरा नाम मृग पटेल हैं और मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूँ।  अब एक सरकारी नौकरी करता हूँ।  मेरा इंजीनियर बनते ही मेरे घर की गरीबी भी दूर हो गई।  लोग मेरे पिता को अब इंजीनियर साहेब का पिता कहते हैं।  क्यों की मैं अपने गांव का इकलौता ऐसा इंजीनियर हूँ जो सरकारी नौकरी करता हो।  लोग सही ही कहते हैं की हर इंसान के ज़िन्दगी में एक ऐसा भी मोड़ आता हैं जब इंसान को सही और गलत का फैसला करना पड़ता हैं।

  अगर इंसान उस समय सही फैसला करता हैं तो ज़िन्दगी बन जाती हैं और अगर गलत फैसला करता हैं तो उसका पछतावा ज़िन्दगी भर रहता हैं।  गलत फैसले से इंसान जो सपने देखता हैं वो अधूरे ही रह जाते हैं। ख्वाब कभी पुरे नहीं हो पाते।  मैंने अपनी ज़िन्दगी में शायद सही फैसला लिया जिसके कारण  आज मैं एक कामयाब इंसान बन पाया हूँ।  मेरे ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी बीता जो मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर सकती थी। पर उस समय मैंने सही फैसला लिया।  बात उस समय की हैं जब मैं इंटर का तैयारी कर रहा था।

  परीक्षा नजदीक था।  मैं बहुत तेज विधार्थी तो नहीं था। मेरा दिमाग भी अन्य तेज विधार्थियों के तुलना में कमजोर था।  फिर भी मुझे मेरे मेहनत पर बिश्वाश था।  मुझे पता था की मैं ज्यादा पढूंगा तो मेरे दिमाग में कम घुसेगा। इस लिए मुझे ज्यादा से ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता  थी।  मैं अपनी पढाई कर रहा था।  एक दिन मेरे मामा  के घर से खबर आई की मेरे मामा  का शादी हैं और हम सभी को मामा  के घर जाना पड़ेगा।  मेरे पिता ने मुझ से कहा की तुम्हे भी अपने मामा  के शादी में जाना हैं।

  शादी में हमे सात दिन पहले पहुंचना था।  मैं सोच में पड़  गया की अगर मैं सात दिन तैयारी में लगा दू तो मेरे मार्क्स अच्छे आ सकते हैं और ऊपर से परीक्षा भी सर पर हैं।  मैं मन ही मन सोचा की मैं फेल  होना नहीं चाहता हूँ।  मुझे कड़ी मेहनत  करनी हैं।  ताकि मैं अपने ख्वाब पूरा कर सकू।  ये सोच कर मैं अपने माता पिता से कहा की मैं नहीं जाऊंगा मेरा परीक्षा सर पर हैं और मुझे परीक्षा की तैयारी करनी हैं।  आप लोग मामा  के शादी में चले जाइये।  मेरे पिता मेरी बात से सहमत हो गए और वे दोनों शादी में चले गए।

  मेरे माता पिता के चले जाने के बाद घर में मैं अकेला बच गया।  घर का शांत माहौल मेरे लिए अच्छा था इन दिनों मैं ज्यादा से ज्यादा मेहनत  करना चाहता था।  इसलिए मैं अपना सारा काम रूटीन से करता था।  ये सात दिन ही मेरे ज़िन्दगी का अहम मोड़ साबित हुआ।  मैं दिन में कम और रात में ज्यादा पढता था।  मुझे पढ़ने के लिए मेरे पिता लैंप ला कर दिए थे जो किरोसिन से जलता था।  मैं अपने टेबल के पास बैठ कर रात भर पढता रहता।  जब मेरे माता पिता मेरे मामा  के शादी में गए थे तो मैं घर में बिलकुल अकेला बच गया था।

  वो पहली ही रात थी जिस रात मैं पढाई कर रहा था।  मैं रात के समय पढ़ रहा था।  तभी अचानक आधी रात के समय मुझे पेशाब लगा।  मैं पेशाब करने के लिए अपने घर से बाहर निकला।  मेरा घर गांव में हैं जिस कारन मेरे घर के सामने ही खेत हैं।  मैं जैसे ही खेत के सामने पेशाब करने लगा तो अचानक ही मेरी नजर सामने गाड़े गए बास पे पड़ी।  वो बास कपडा सूखाने के लिए गाड़ी गई थी। रात का अँधेरा और चरों तरफ ख़ामोशी ही ख़ामोशी। दूर दूर तक किसी के जगे होने की कोई उम्मीद नहीं थी। मैंने देखा की एक औरत उस बॉस के पास खड़ी थी। वो बिलकुल शांत थी।  मैंने उसे जैसे देखा मेरे तो होश ही उड़ गए।

मुझे तो बिश्वाश नहीं हो रहा था की मैंने सच में किसी चुड़ैल को देखा हैं। मैं तुरंत दौड़ कर अपने घर वापस चला आया और फिर पढ़ने लगा।   मैं सोच में पड़ गया की सच में वो कोई चुड़ैल थी या फिर मेरा वहम।  मैं सोचने लगा की हो सकता हैं किसी ने कपडा सूखने के लिए बॉस पर रखा होगा और गलती से वही छूट गया होगा।  मुझे अंदर ही अंदर डर लगने लगा।  गांव  में भूत प्रेत या फिर चुड़ैल को देखना आम बात हैं।  परन्तु मैंने कभी नहीं देखा।  मैं बहुत बार रात के समय अपने घर से बाहर निकला हूँ पर आज तक किसी को नहीं देखा।  मुझे अंदर ही अंदर डर लगने लगा , डर  के कारन मैं ज्यादा देर तक पढ़ भी नहीं पाया।

  मैं अपना लैंप बुझा कर सो गया। उस रात मैं ठीक से पढ़ भी नहीं पाया।  फिर अगली रात को भी मैं पढ़ने बैठा।  रात बहुत हो चुकी थी आधी रात के बाद मुझे फिर से पेशाब लगा।  मैं अपने घर से बहार निकला और फिर उसी जगह पेशाब करने लगा।  उस समय अचानक मेरी नजर फिर से उसी गड़े हुए बॉस के पास गई।  मैंने फिर से देखा की एक औरत साड़ी पहने वहाँ खड़ी हैं।  मुझे पूरा यकीन  हो गया की ये मेरा वहम  नहीं बल्की  सच में वहाँ कोई चुड़ैल हैं।  जो रात के समय इस गड़े हुए बॉस के पास आती हैं।

  उसे देखते ही मुझे बहुत ज्यादा डर और घबराहट होने लगी।  मैं बहुत ज्यादा डर  गया।  मैंने देखा की वो चुड़ैल मेरे तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगी।  उसकी पायल की आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी।  उस चुड़ैल को अपनी तरफ आता देख कर मैं अपने घर की तरफ भगा।  घर के अंदर जा कर अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया।  मैं अपनी जगह पर आ कर बैठ गया और सोचने लगा की आज तो मैं बाल बाल बच गया नहीं तो वो चुड़ैल मुझे मार डालती।

  मैं अपने टेबल के पास बैठ कर सोच ही रहा था की अचानक ऐसा लगा की कोई मेरे घर के दरवाजे के पास खड़ा हैं।  उसकी पायल की आवाज़ मेरे कानों में गूंज बन कर रह गई।  ऐसा लगा की वो चुड़ैल दरवाजे के पास खड़ी  हैं।  अचानक उसने मेरे दरवाजे को अपनी ऊँगली से खट खटा दिया।  उसके खट खटाने से मनो मुझे साँप  सुंग गया।  मैं डर से कापने  लगा और अपनी खिरकी के तरफ देखा।  मुझे डर  था कही वो चुड़ैल मेरे खिड़की  के पास न आ जाये। मैंने बहादुरी दिखाई और चुपके से अपने रूम का खिड़की बंद कर दिया।

  मैं एक जगह चुपके से बैठ गया और सोचने लगा की कितना अच्छा होता की मैं भी अपने माता पिता के साथ मामा के शादी में चला जाता तो आज मेरा हालत ऐसा नहीं होता।  मैं डर  से कांप  रहा था और किसी तरह आज का रात निकल जाये यही सोच रहा था। तभी वो चुड़ैल आई और मेरा खिड़की खट खटाने लगी। खिड़की की खट खटाहट सुन कर मैं और भी डर  गया।  पर थोड़ी देर के बाद खटखटाहट बंद हो गई।  मैं समझ गया की लगता हैं अब वो चुड़ैल यहाँ से चले गई।  डर  के इस हालत में मुझ से और पढ़ पाना नामुनकिन था।

  मैं चुपके से फूक मार कर अपना लैंप बुझा दिया और चुप चाप अपने बिस्तर पर जा कर बैठ गया।  तभी फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी।  डर  से मेरा हालत बिलकुल ख़राब हो चूका था।  मैं सोच रहा था की इतनी रात गए मैं अकेले क्या कर सकता हूँ। रात में मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा हैं मैं सोचने लगा।  मेरा आदत था की मैं अपना ज्यादा तर पढाई रात के समय ही करता था। रात का शांत वातावरण मुझे पसंद था। पर उस रात दरवाजा का खटखटाहट मेरा प्राण निकाल  कर मुँह तक ला दिया था।

  मैं उस रात इतना डर  गया की सारा रात घर के कोने में बैठ कर बिता दिया। जब रात ढलने वाली थी तब जा कर दरवाजा का खटखटाहट बंद हुआ।  सुबह के समय ही मुझे नींद आ पाई।  मुझे पढ़ना था पर मेरा मन पढाई से हट  चूका था। मुझे रात वाली चुड़ैल का डर  सताने लगा। मेरे साथ ये क्या हो रहा था मुझे पता ही नहीं था। पर मुझे पूरा बिश्वाश हो चूका था की मैंने अपनी ज़िन्दगी में पहली बार किसी चुड़ैल को देखा हूँ।  .मुझे तो अब दिन में भी उस चुड़ैल के चुडिओं की खनखनाहट और पायल की छान छनाहट साफ़ सुनाई देती।

  मुझे एक वहम  सा हो गया था। पर मुझे पढ़ना था इसलिए मैंने सोचा की रात में ज्यलदि पढाई ख़त्म कर के फिर सुबह से अपनी पढाई शुरू करूँगा। जैसे जैसे शाम ढलती गई मेरा डर  भी बढ़ता चला गया। मैं रात में पढ़ना तो नहीं चाहता था फिर भी सोचा थोड़ा पढ़ लेता हूँ। मेरा लैंप जल रहा था और मैं किसी तरह पढ़ने की कोशिश कर रहा था। एक तो नींद नहीं आ रही थी और मेरा दिमाग पढाई पर बिलकुल नहीं लग रहा था।  सिर्फ किताबों को देख रहा था। ऐसी ही कास्मो कस  में आधी रात हो गई।

मेरा आदत भी हो चूका था की आधी रात के बाद मैं एक बार पेशाब करने जरूर जाता था। आधी रात के समय मुझे पेशाब लग गया। थोड़ा देर तक तो मैं उसे रोका पर सोचा की अगर रात और भी घनी हो जाएगी तो उस चुड़ैल का खतरा और भी बढ़ जायेगा। अभी वक़्त हैं जा कर तुरंत आ जाता हूँ। मैं अपने घर का दरवाजा थोड़ा सा खोल कर इधर उधर झाँका पर मुझे कोई भी नजर नहीं आया। मैं चुपके से दरवाजा खोला और बांस की तरफ देखा तो वहाँ  पर भी कोई नहीं था। मैं ज्यलदि से पेशाब कर के अपने घर की तरफ भगा।

मैं घर के अंदर घुस कर जैसे ही अपना दरवाजा बंद करना चाहा तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।  मैं घर के अंदर था और वो भी मेरे घर के अंदर आ चुकी थी। उसके हाथ पकड़ते ही मनो मेरे शरीर का पूरा खून जम  गया हो। प्राण निकलने ही वाला था की वो गले के पास आ कर अटक गई थी। मैं पलट कर देखा तो मैं मानो  बर्फ की तरह जम  गया।  मेरे कमरे का लैंप जल रहा था और उस से इतनी रौशनी निकल रही थी की मैं उसका चेहरा साफ़ साफ़ देख सकता था।

  जिसके डर  से मैं पिछले दो रातों से परेशान  था वो मेरे सामने खड़ी  थी और मैं उसके सामने। मुझे पता ही नहीं चला की कब वो मेरे कमरे में घुस गई।  मैं उस वक़्त भी काफी डरा हुआ था। मैं उसे देखते ही बोला  "भाभी आप" , वो बोली हाँ मैं , तुम तो दिन में बहुत शेर बनते फिरते हो और अभी तुम्हारी हालत चूहे के जैसी हो चुकी हैं।  तुम्हारी सारी हेकड़ी गायब हो गई। मैंने कहा की ऐसी बात नहीं हैं मैं कुछ और ही समझ गया था। मैंने कहा की भाभी आप इतनी रात गए यहाँ।

  भाभी ने कहा की तुमने बुलाया था और मैं आ गई। वैसे तो मैं उस से मजाक कर लिया करता था। जब कभी बाजार से कुछ लाना रहता तो भाभी मुझे बोलती मैं सामान खरीद कर जब उनके हाथ में देता तो थोड़ा मजाक भी कर लेता।  या टोन मार देता। हमारा रिश्ता  भी देवर भाभी का था।  मेरे इस व्यवहार से न कभी भईया को ही आपत्ति हुई न तो कभी चाची  ने ही मुझे कुछ कहा। पर मुझे उस वक़्त लगा की मेरे मजाक को भाभी सीरियस में ले ली।  मेरे घर में कोई भी नहीं था अगर उस वक़्त कोई था तो वहा  पर मैं और मेरी भाभी।

भाभी मेरा हाथ जोड़ो से पकड़ी हुई थी।  मैं मन ही मन डर  भी रहा था की अगर ये बात किसी तरह भैया को पता चला तो सामत आ जाएगी।  मैं इंटर फाइनल इयर का विधार्थी था और मैं इतना नासमझ भी नहीं था की भाभी के इरादों को समझ नहीं पता।  मैं किसी तरह खुद को उस से पीछा छुड़ाना चाह  रहा था ताकि मैं बच सकू।  मेरी भाभी की नियत भी मुझे ख़राब लग रही थी।  तभी मैंने अपनी भाभी से कहा की भाभी आप की हाथ की जो चुडिया हैं ये बहुत आवाज कर रही हैं।  आप अपने हाथ की चुडिया और पायल खोल कर आ जाइये।

  मैं आप का यही इंतजार कर रहा हूँ।  ऐसा न हो की इसकी आवाज सुन कर आस पास वालों को कोई शक हो।  मेरे दिमाग में अचानक से ये उपाय आ गया जो कारगर सिद्ध हुआ।  वो बोली की ठीक हैं तुम मेरा यही इंतजार करना मैं तुरंत इसे खोल कर आ रही हूँ। भाभी जब मेरे आँखों से ओझल हो गई तो मैं जिल्दी में अपने घर का दरवाजा लगा कर अंदर चला गया, लैंप को बुझा कर अपने घर को अच्छी तरह से बंद कर दिया।  मैं अपने बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगा की ये सब अच्छा चीज नहीं हैं।  मुझे अपना भविष्य बनाना हैं अगर मैं इस चक्कर में पड़ा तो अपने घर का गरीबी कभी भी दूर नहीं कर पाउँगा।

  भाभी वापस आ गई शायद उसने मेरे घर का बंद दरवाजा देख कर बहुत गुस्सा हुई होगी। उसने बहुत बार मेरे घर का दरवाजा खटखटाया।  पर मैं चुप चाप अपने बिस्तर पर बैठ कर खटखटाने की आवाज सुनता रहा।  मुझे अपने भविष्य की चिंता थी. भाभी दरवाजे के बाहर  खड़ी  हो कर मुझे बहुत बुरा भला बोल रही थी।  पर मैं चुप चाप सुनता रहा था।  जब मुझे यकीन हो गया की वो यहाँ से जा चुकी हैं तब जा कर मुझे कुछ राहत  मिला।  मैं जान चूका था की अँधेरे में दिखने वाली वो औरत कोई चुड़ैल नहीं बल्कि कुछ और ही थी।  जब सुबह हो गई तो मैंने फिर से अपना रूटीन बनाया जिस में रात के दस बजे तक पढ़ना और सुबह ज्यल्द जग कर फिर से पढाई करना था।

  रात में जब मैं सो जाता तो अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगती।  मुझे डर  और घबराहट सी लगने लगती मैं चुप चाप अपने बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करता और सोचता रहता की ये सब गलत हैं।  मुझे अपने घर की गरीबी दूर करनी हैं। मुझे अपना भविषय बनाना हैं।  वो डर  की सात रातें मेरी ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइंट बन गया।  उन सात रातों में मैं अपनी ज़िन्दगी का सब से ज्यादा डर और घबराहट महसूस किया।  ज़िन्दगी शायद उन दिनों मेरा परीक्षा लेना चाहती थी।

  जब मेरे माता पिता मेरे मामा  के शादी से वापस आये तब जा कर मेरा हौसला बढ़ा।  मै  बदनामी के डर  से ये बात अपने माता पिता को नहीं बताया।  पर उसके बाद भाभी का आना भी बंद हो गया।  मैं अपना इंटर  का पढाई समाप्त कर के इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी भी की और एक सफल इंजीनियर भी बना।  आज मुझे ये बात याद आ रही हैं की अगर मैं उन दिनों सैयम नहीं बरता होता तो आज मैं इंजीनियर नहीं होता।