Khoon Ki Pyasi Dakini , Chudail Ki Kahani.
ये कहानी एक डाकिनी
की हैं। जिसने दो दोस्तों मे से एक दोस्त को जान से मार डाला। डाकिनी मतलब चुड़ैल
ये ख्याल अक्सर इंसान के दिमाग मे घूमता रहता हैं की डाकिनी होती हैं या नहीं। दो
दोस्त एक का नाम माझी और दूसरे का नाम वाशू था। जिस मे से एक दोस्त जो की जान से
मारा गया। उस दिन दोनों दोस्त ने बहुत दारू पी रखी थी। हदशा दारू के नशे मे हुआ।
वाशु दारू पी कर अपने घर जा रहा था।
तभी चौराहे पर उसका बाइक फिसल गया और वो वही गिर गया। इस सब की
जिम्मेदार एक डाकिनी थी जो वहा पर आ गई और वाशु का गर्दन पकड़ कर उस वक़्त तक
दबाते रही जब तक वाशु मर नहीं गया। वो रात वाशु के ज़िंदगी का आखरी रात था। कोई
हदशा ऐसे ही नहीं घटता हैं। हर हदशे के पीछे कोई बहुत बडा राज़ छुपा रहता हैं। पर
अफसोस बहुत कम लोग ही राज़ को जान पाते हैं। अक्सर लोग किसी हादसे को एक्सिडेंट का
नाम दे कर अपना पल्ला झार देते हैं। पर उसके
पीछे भी तो कोई कारण रहा होगा। लोग जानते हैं की भूत, प्रेत, चुड़ैल
जैसी ताकत इस दुनिया मे मौजूद हैं और हमारे साथ होने वाले बहुत से घटना के पीछे उन
आदृश्य आत्माओ का हाथ हैं।
जो हमे आगे बढ्ने से रोकती हैं। एक ऐसी ही कहानी वाशु और मांझी
नाम के दो दोस्त का हैं। एक बार वाशु के घर के सभी लोग कही गए हुए थे। घर मे अकेले
वाशु ही था। वाशु और मांझी दोनों दारू पीने के बहुत शौखिन थे। जब मौका मिला दारू
पी ली। अब तो घर मे भी कोई नहीं था। जिस वजह से उसने अपने दोस्त मांझी को अपने घर
दारू पीने के लिए बुलाया। रात के समय दारू पीने का प्लान बना। रात नौ बजे मांझी
अपने दोस्त वाशु के घर चल दिया। जब रात के समय वाशु के घर जा रहा था तो उसे एक
सुनशान रास्ते से होते हुए जाना था। उस सुनसान रास्ते मे एक चौराहा पड़ता था और
उसी चौरहे के बगल मे एक पुराना नीम का पेड़ भी था।
लोग कहते थे की उस पेड़ पर एक चुड़ैल रहती हैं। पर अब तक किसी
ने उस चुड़ैल को देखा नहीं था। उस रात जब मांझी उसी नीम के पेड़ वाले रास्ते से
होते हुए वाशु के घर जा रहा था तो। उसे वो चुड़ैल दिख गई। जैसे ही वो उस चौराहे के
पास पहुँचा तो देखा की एक बिलकुल सफ़ेद रंग का साड़ी पहने हुए एक औरत नीम के पेड़
के पास खड़ी हैं। वो औरत लगातार मांझी के तरफ देख रही थी। मांझी धीरे धीरे उसकी
तरफ बढ़ता चला जा रहा था। उसके मन मे बार बार ये शक पैदा हो रहा था की ये जो औरत
चौराहे के पास नीम के पेड़ से सट कर खड़ी हैं वो कौन हैं।
जब वो उसके सामने पाहुचा तो उसके होश ही उड़ गए। उसने देखा की
एक औरत जो की सफ़ेद रंग का साड़ी पहने हुई हैं और उसका रंग बिलकुल काला हैं।
चाँदनी रात मे मांझी उसे सही तरीके से और बिलकुल सामने से देख रहा था। उसने देखा
की उस काले रंग की औरत के आँख बिलकुल सफ़ेद हैं। मानो सफ़ेद आँख चमक रहा हो। आँखों
के बीच का घिरनी गायब था। एक डरावना और भयानक औरत को देखते ही उसके पसीने छुट गए।
मांझी बिलकुल उसके सामने से पार हुआ था। इसलिए उसे बहुत ही करीब से देखा।
वो चुड़ैल लगातार मांझी को देख रही थी। अगर चाहती तो वो उसे
उसी समय मार भी सकती थी। पर उस ने ऐसा नहीं किया। मांझी उसे देखते ही काँपने लगा
उसके तो समझ मे ही कुछ नहीं आ रहा था की अब क्या करे। किसी तरह हिम्मत बांध कर आगे
बढ़ा और दौड़ता हुआ उस जगह से आगे निकाल गया। जब तक उसे पूरा विश्वास नहीं हो गया
की अब वो चुड़ैल के खतरे से बाहर निकल चुका हैं। तब तक दौड़ता रहा। वो सीधे अपने
दोस्त के घर जा कर दम धरा। उसने अपने दोस्त वशू को भी बताया की जब मैं रास्ते से आ
रहा था तो चौराहे के पास जो नीम का पेड़ हैं उस पेड़ के पास एक चुड़ैल को देखा।
उसे देखते ही मैं बहुत डर चुका हूँ। उसका दोस्त जब ये बात सुना
तो हँसने लगा और बोला की अब भी तुम किस दुनिया मे जी रहे हो। अब के समय मे चुड़ैल ? रात मे एक
दो बजे मैं कितनी बार उस चौराहे से पार किया हूँ। पर अब तक किसी चुड़ैल को उस नीम
के पास नहीं देखा हूँ और तुम कहते हो की तुमने एक चुड़ैल देखा हैं। क्यू बकवास
करते हो। माझी अपने बातों पर बिशवास दिला रहा था पर वसु को उसकी बातों पर थोड़ा भी
बिशवास नहीं था। वो इसकी बातों को वहम मात्र मान रहा था। उसे तो भूत प्रेत चुड़ैल
ये सब अंधबिशवास लगता था। रात के समय दोनों ने मुर्गा बनाया और साथ मे जम कर दारू
भी पिया। पर बहुत दारू पीने के बाद भी मांझी को नशा नहीं चहर रहा था।
उसके अंदर तो रास्ते वाली डाकिनी का डर समा चुका था। अपने
दोस्त को कैसे विश्वास दिलाये की उसने सच मे किसी चुड़ैल को रास्ते मे देखा हैं।
दोनों उस रात बहुत दारू पिये। वसु को तो नशा चहर चुका था। पर मांझी अब भी नशे मे
नहीं था उसे पूरा होश था। दारू पीते पीते रात के बारह भी बज गए। जब दारू खत्म हो
गया तो वसु मांझी से बोला की अब चला जाए चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता
हूँ। पर मांझी बोला की रहने दो आज मैं तुम्हारे घर पर ही सो जाता हूँ कल सुबह अपने घर वापस चला जाऊंगा। वसु जान रहा था की
मांझी डर चुका हैं। इसलिए वो जिद्द करने लगा की चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक
छोड़ देता हूँ। जब वसु बहुत ज़िद्द करने लगा तो मांझी राजी हो गया बोला की ठीक हैं
चलो छोड़ देना।
वसु अपना बाइक निकाला और मांझी को अपने बाइक पर बैठा कर उसके
घर की तरफ चल दिया। जब बाइक से वो उस चौराहे के पास पाहुचा जहा पर मांझी ने चुड़ैल
देखा था। उस जगह पर अपना बाइक रोक कर वसु बाइक से नीचे उतर गया और अपने दोस्त
मांझी से बोला की तुमने यही पर चुड़ैल को देखा था न। बताओ वो कहा हैं। मांझी उस से
बोला की चलो अभी यहा से चलते हैं दिन मे आ कर जांच परताल करेंगे। पर मांझी के सर
पर तो भूत सवार हो चुका था। वो ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर बोलने लगा की यहा पर जो भी
चुड़ैल हैं। सामने आओ। मैं तुम से डरने वाला नहीं हूँ। तुम मेरा कुछ भी नहीं बिगार
सकती हो। अगर यहा पर हो तो सामने आओ मैं तुम से मुक़ाबला करना चाहता हूँ।
पर उस वक़्त वहा पर कोई रहता तब न सामने आता उस वक़्त तो वहा
पर कोई था ही नहीं। मांझी वसु का हाथ पकड़ कर बाइक की तरफ ले कर जाना चाह रहा था।
पर वसु अपना हाथ झटके से छोड़ाते हुए बोला की रुको मैं आ रहा हूँ। उसने उस नीम के
पेड़ के ऊपर पेशाब कर दिया और बोला की लो मैंने तुम्हारे घर के ऊपर पेशाब कर दिया।
तुमको जो उखारना हैं उखार लेना। मांझी जबर्दस्ती उसे बाइक के पास ले आया और बोला
की बहुत हो गया अब घर चलो। दोनों फिर वहा से चल दिये। वसु मांझी को उसके घर के पास
उतार दिया और बोला की अब मैं जा रहा हूँ। उस रात दोनों ने बहुत शराब पी रखी थी।
मांझी पूरे होश मे था पर वसु को कुछ ज्यादा ही चहर चुका था।
मांझी वसु से बोला की आज रात मेरे घर पर ही रुक जाओ। कल सुबह
चले जाना। पर वसु बोला की नहीं मैं अब जा रहा हूँ। भूत प्रेत तुम्हारा कुछ बिगार
सकते हैं पर मेरा कुछ भी नहीं बिगार पाएंगे। मांझी बहुत कोशिश किया की रात के समय
वसु को ना जाने दिया जाए। पर वसु मनाने वाला था ही नहीं। वो तो अपने ज़िद्द पर अड़
चुका था। रात के समय अपना बाइक घुमाया और फिर से अपने घर की तरफ रवाना हो गया।
अभी वो चौराहे से कुछ दूरी पर ही था की ऐसा लगा की कोई हवा का
झोखा उसके गालों को छु कर पार हुआ हैं। ऐसा लगा की कोई अपना हाथ उसके गालों पर फेर
चुका हैं। वसु घबरा गया। उसका नशा कुछ उतर गया। फिर उसने अपने बाइक के शीशे से
पीछे की तरफ देखा तो भक्क रह गया। कोई हैं जो सफ़ेद रंग का साड़ी पहने हुए उसके
बाइक के पीछे खड़ी हैं। जब पलट कर देखा तो वहा पर कोई भी नहीं था।
वसु जान गया की यहा पर कुछ तो जरूर हैं। वो अपने बाइक से पूरी
स्पीड के साथ वहा से पार हो जाना चाह रहा था। पर जैसे ही वो उस चौराहे के पास पाहुचा
और बाइक को पूरी रफ्तार के साथ घुमाया तो उसका बाइक स्लीप हो गया। वो वही पर गिर
गया। उसके पैर बाइक मे बुरी तरह से फस चुके थे। उसका पैर टूट चुका था। अपना पैर को
बाइक से निकाल पता उस से पहले एक सफ़ेद साड़ी पहने चुड़ैल वहा पर आ गई।
वो बिलकुल वैसा ही थी जैसा की उसके दोस्त मांझी ने उसे बताया
था। वही सफ़ेद साड़ी बिखरे हुए बाल। बिलकुल सफ़ेद और चमकीले आँख। खूखार पंजे। जिसे
कोई भी देख ले तो डर से वो वही मर जाए। दारू का नशा तो कब का उतर चुका था। वो
चुड़ैल उसके पास आई और बोली की तुमने मुझे बहुत कष्ट पहुचाया हैं। आज मैं तुम्हें
नहीं छोडूगी। वसु का तो डर से बहुत बुरा हाल था।
उसके तो एक पैर ही टूट चुका था। जो वो वहा से भाग सके। उसने
चुड़ैल के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा की मुझे छोड़ दो मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई।
अब से कभी भी मैं तुम्हें तंग नहीं करूंगा। पर चुड़ैल पूरे गुस्से मे थी। वो वसु
को छोडना नहीं चाह रही थी। उसने अपने पंजे से वसु का गर्दन पकड़ लिया और खीच कर
बाइक के नीचे से निकाला। चुड़ैल ने कहा की मैं तुम्हें छोड़ सकती थी पर अब नहीं
छोदूंगी। तुमने मेरे घर के ऊपर पेशाब कर के मुझे बहुत अपमानित किया हैं।
मैं चाहती तो तुम्हें उसी वक़्त मार सकती थी पर नहीं मारी।
क्यू की तुम्हारे साथ जो लड़का था वो मुझे थोड़ा सरीफ़ लगा। मैं तुम्हारे वापस आने
का इंतेजर कर रही थी। अब तो मैं तुम्हें हरगिज नहीं छोदूंगी। इतना कहते हुए वो वसु
का गर्दन ज़ोर से दबाने लगी। वसु खुद को उस चुड़ैल से छोड़ने का भर पुर कोशिश करता
रहा पर वो उसे नहीं छोड़ी। उसकी चीख उसी जगह दबी की दबी रह गई।
चुड़ैल उस वक़्त तक उसका गर्दन नहीं छोड़ी जब तक वसु मर नहीं
गया। सुबह हुआ तो ये खबर आग की तरफ पूरे मोहल्ले मे फैल गई की वसु का एक्सिडेंट
हुआ हैं। लोग जा कर देखने लगे की वसु उस चौराहे के पास कैसे मरा पड़ा हैं। लोग
चर्चा करने लगे की हो सकता हैं की रात मे बहुत दारू पी लिया होगा और बाइक किसी
ट्रक या बस मे ठोक दिया होगा। इस वजह से वसु की छत विछत लाश सड़क पर पड़ी हैं। पर
उसका दोस्त मांझी जान चुका था की वसु कैसे मारा होगा।