Khooni Talab , Hindi Horror Story.
भूत प्रेत जैसी ताकते हर जगह मौजूद हैं। कब किसे अपना
शिकार बना ले ये कोई नहीं जनता हैं। कोई नहीं जनता हैं की उस से जो काम करवाया जा
रहा हैं उसके पीछे किसी शैतानी ताकत का हाथ हैं। कोई कैसे किसी के बहकावे मे आ जाता
हैं। जब की वो सब कुछ जनता हैं।
एक ऐसा ही कहानी हैं खूनी तालाब। एक ऐसा खूनी
तालाब जो हर साल एक बच्चे की बली लेता हैं। उस जगह कोई जाना तो नहीं चाहता हैं पर उस
तालाब का भूत अपने शिकार को वहाँ तक किसी भी तरह बहला फुसला कर ले आता हैं और मार
देता हैं। एक दर्दनाक मौत जो हर साल उस तालाब मे होता हैं। ये कहानी एक शेखू नाम
के छोटे से बच्चे की हैं।
अन्य बच्चों की तरह वो भी शरारती था। अपने माँ पिता का
एकलौता था। जिस कारण उसे बहुत लाड़ प्यार मिलता था। छोटे से घर मे उसके माँ पिता और
शेखू रहा करता था। थोड़ा ज्यादा शरारती और चंचल होने के कारण मोहल्ले वाले उसे
बहुत मानते थे। कोई भी लाड़ प्यार से उसके ऊपर हाथ फेर देता। छोटा बच्चा था जिस
कारण कोई भी उसे खेलाने लगता।
चंचल स्वभाओ का प्यारा सा बच्चा शेखू था। अभी वो
कक्षा एक मे पढ़ता था। रोज सुबह उसकी माँ उसे स्कूल तक छोड़ कर चले जाती और जब छुट्टी
का समय होता तो लेने के लिए चले आती। स्कूल उसी मोहल्ले मे था। पर छोटा बच्चा
होने के कारण हर माँ पिता का नज़र उस पर रहता। उसकी माँ तो उसे एक पल भी अपने नज़रों से
ओझल नहीं होने देती। जब स्कूल से पढ़ कर आता और घर के बाहर खेलता तो हमेशा उसकी माँ
उसके ऊपर निगरानी करते रहती। छोटा बच्चा था जिस वजह से उसे पढ़ाई लिखाई मे थोड़ा
भी मन नहीं लगता। कभी भी स्कूल का होम वर्क कर के स्कूल नहीं जाता। टीचर भी उसे कुछ
नहीं कहते।
एक दिन की बात हैं। शेखू स्कूल गया हुआ था। नहीं पता उसे पढ़ते
पढ़ते क्या हुआ। वो अपने टीचर से पानी पीने का इजाजत मांग कर स्कूल से बाहर निकाल गया
और वही पर खेलने लगा। खेलते खेलते स्कूल से दूर निकल गया। जब टीचर ने देखा की
बहुत देर से शेखू गायब हैं तो वो भी अपने स्कूल के आस पास खोजे पर उसे कही भी शेखू नजर
नहीं आया।
स्कूल मे चार दिवारी नहीं थी। जिस वजह से कोई भी बच्चा आसानी से स्कूल से
बाहर की तरफ चला जाता था। टीचर सोचे की हो सकता हैं शेखू अपने घर गया होगा।
टीचर एक स्टूडेंट से बोला की जा कर देखो तो शेखू कही अपने घर तो नहीं चला गया हैं। एक
स्टूडेंट शेखू के घर ये पता करने गया की शेखू कही स्कूल से घर वापस तो नहीं आ गया
हैं। घर जा कर जब पता लगाया गया तो शेखू की माँ बोली की वो तो स्कूल मे हैं अब तक
घर वापस नहीं आया हैं।
बच्चा बोला की शेखू तो बहुत देर से स्कूल से गायब हैं। उसकी
माँ बेचैन हो गई। स्टूडेंट स्कूल मे आ कर टीचर से बताए की शेखू घर मे नहीं हैं।
सभी टीचर शेखू को खोजने के लिए निकले। स्कूल के आप पास खोजते रहे पर कही भी शेखू
का अता पता नहीं चला। अपने बेटे को खोजते खोजते उसकी माँ भी स्कूल चले आई।
वो भी
अपने बेटे को खोजने लगी। आस पास सभी जगह शेखू को खोजा गया पर कही भी उसका पता
नहीं चला। किसी से पूछा गया की कीसी ने शेखू को देखा हैं तो जवाब मिला की अभी अभी तो
यही पर खेल रहा था। पर वो उस जगह नहीं था। किसी ने न देखने की बात कही। सभी का
हालत खराब हो चुका था। मोहल्ले मे हर जगह शेखू को खोजा गया। पर उसका कही अता पता
नहीं चल रहा था।
उसकी माँ का तो हाल बेहाल हो चुका था। माँ पिता का एक लौता बेटा वो
भी नहीं पता किधर चला गया। कहाँ जा सकता हैं। वो तो इतना छोटा था की अभी कक्षा
एक मे पढ़ता था। उसके पिता को सूचना दे कर बुलवाया गया। उसके पिता भी अपना काम छोड़
कर शेखू के खोज मे भीर गए। बहुत देर तक उसे खोजा गया।
पर कही भी उसका अता पता
नहीं चल रहा था। स्कूल के टीचर का भी हाल खराब हो चुका था। गर्मी का मौसम था। भरी
दोपहर मे शेखू गायब हो चुका था। मोहल्ले वाले और बाकी सभी को डर सता रहा था की कही
शेखू को बच्चा चोरी करने वाला तो उठा कर नहीं ले गया।
गर्मी के मौसम मे अक्सर बच्चा
चोरी का अफवाह फैला रहता हैं।
सभी मोहल्ले के चारो तरफ शेखू को खोज रहे
थे। बहुत देर तक खोजने के बाद एक आदमी बोला की शेखू को कच्चा रास्ता पकड़ कर तालाब
के तरफ जाते हुए देखा गया हैं। कच्चा रास्ता वही रास्ता था जिस के थोड़ा आगे झारियों
के बीच मे एक तलब था।
लोग उस तालाब के पास बहुत ही कम आना जाना करते थे। दोपहर
मे तो कोई भी उस जगह नहीं जाता था। पर उस दिन शेखू को क्या हो गया की वो उस तालाब
के पास चला गया। मोहल्ले के सभी लोग और टीचर उस तालाब के पास पाहुचे।
उन सभी ने
देखा की शेखू का कपड़ा तालाब के पास ही रखा हुआ हैं और शेखू का कही आता पता नहीं चल रहा
हैं। उसकी माँ भी कपड़ा देखि और दहार मार कर रोने लगी। उस जगह कपड़ा का पाया जाना
और शेखू का कही अता पता नहीं चल पाना इस बात की तरफ इशारा कर रहा था की शेखू जरूर
इस तालाब मे नहाने के लिए उतरा होगा और डूब गया होगा।
टीचर का हाल खराब हो चुका
था क्यू की अगर स्कूल के टाइम मे शेखू को कुछ हुआ तो उस मे स्कूल का बहुत बड़ा बदनामी
होगा। वैसे भी लोग जान चुके थे की अब शेखू ज़िंदा नहीं हैं वो इस तालाब मे डूब कर
मर चुका हैं। अब सभी के सामने एक समस्या थी की अगर शेखू तालाब मे डूब चुका हैं तो
उसकी लाश को बाहर कैसे निकाला जाए।
मोहल्ले वाले कही से ट्रक का ट्यूब और एक
लंबा सा बांस ले आए और उसे नाव बना कर तालाब मे उतार गए। तालाब के चारों तरफ बांस
से पानी को को हिलाया गया। बहुत देर तक खोजने के बाद बांस एक ठोस चीज से टकरा गया।
कुछ देर तक उस जगह पर बांस को हिलाते रहने के बाद शेखू की लाश ऊपर की तरफ आ गई।
नाव चलाने वालों ने उसे ट्यूब के ऊपर रख कर तालाब के किनारे तक ले आया। उसकी माँ
अपने बेटे की लाश देख कर रोने लगी और बोलने लगी की आज सुबह सुबह ही शेखू को नहला
कर स्कूल भेजी थी बहुत मुसकिल से तो ये नहाता हैं। इसे नहाना पसंद ही नहीं हैं।
पर इसे भी क्या चहरा की ये तालाब तक नहाने के लिए चला आया। ये तो नहाना चाहता ही
नहीं हैं। शेखू के माता पिता दोनों बहुत रोने लगे।
मोहल्ले के सभी लोग उस लाश को देख
कर बहुत ही दुखी हो चुके थे। वो छोटा सा बच्चा जो की तालाब के बारे मे जनता तक
नहीं था आखि कार वो तालाब तक कैसे आया। उस सभी ने देखा की शेखू के मुह नाक और कान मे
बालू भरा हुआ था। ऐसा लग रहा था की किसी ने उसके मुह मे ठूस ठूस कर बालू भरा
हो। मोहल्ले वाले उसके मुह से बालू निकाले और पेट को जात कर देखा। तो उसके मुह से
पानी का एक कतरा तक नहीं निकला।
शेखू के लाश को मोहल्ले मे लाया गया और फिर उसका
अंतिम संस्कार कर दिया गया। ये पहला मौका नहीं था जब कोई उस तालाब मे डूब कर मरा था। इस
से पहले भी बहुत से लोग उस खूनी तालाब मे डूब कर मर चुका थे। हर साल कोई न कोई उस
खूनी तालाब मे डूब कर मारता था। लोग कहते हैं की उस तालाब मे भूत रहता हैं।
जो
गर्मी के मौसम मे किसी को भी अपना शिकार बना लेता हैं। लोगो को बहला फुसला कर
तालाब के पास तक ले आता हैं और उसके मुह और नाक मे बालू भर
कर तालाब मे डुबो देता हैं। बहुत से लोग ये दावा करते हैं की गर्मी के मौसम मे एक
लंबा बाल वाला छोटे कद का भूत इस तालाब के किनारे सीढ़ियों पर बैठा दिखता और
अपने अगले शिकार का तलाश करता हैं।