Laash Ne Dauraya , Bhoot Ki Kahani.
लाश शब्द दिमाग मे
आते ही शरीर के अंदर एक डर बैठ जाता हैं। लाश मतलब कोई मरा हुआ इंसान। अक्सर गाँव
देहात मे लाश को लेकर अनेक किस्से कहानियाँ सुनने के लिए मिल जाएगी। कुछ कहानियों
को सिर्फ लोगो को डराने के लिए गढ़ा जाता हैं तो बहुत सी कहानियाँ सच भी होती हैं।
कही न कही से उसका संबंध किसी के साथ होता हैं। कोई कहानी ऐसे ही दिमाग की उपज
नहीं हो सकती हैं। भले ही किसी ने किसी बात को बढ़ा चढ़ा कर बोल दिया हो। पर कही न
कही उसका संबंध हकीकत के साथ होगा।
आप जो भी समझे झूठ या सच। पर कहानियाँ तो कहानियाँ होती हैं। एक ऐसी ही कहानी मैं गाँव देहात से खोज कर लाया हूँ। जो थोड़ा रोमांचक हैं। पर आप इसे हकीकत समझने की गलती न करे। ये झूठ भी हो सकती हैं। मैं जब गाँव एक के आदमी के पास था तो उसने मुझे ये कहानी सुनाया था। जिसे मैं यहाँ लिख कर आप सभी को बता रहा हूँ। बहुत समय पहले की बात हैं। किसी गाँव मे एक किसान और उसका बेटा रहा करता था। किसान खेतों मे काम करता और उसका बेटा अपने पिता के काम मे हाथ बटाता। पिता पुत्र मे बहुत जमता था। छोटा सा परिवार और खुशी परिवार।
पर एक दिन किसान का तबीयत खराब हो गया। बहुत से वैध से उस किसान के लड़के ने अपने पिता का इलाज़ करवाया। पर बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बच नहीं सका एक रोज वो किसान मर गया। बेचारा लड़का अभी कम उम्र का था। अब वो करे तो क्या करे कोई हित नात नहीं। घर मे मातम छा गया। गाँव वालों ने निर्णय किया की हम सभी मिल कर उसके पिता को शमशान ले जाते हैं और वही पर दाह संस्कार कर देते हैं। गाँव वाले उस किसान की लाश को कंधा दे कर शमशान घाट तक ले गए।
उस किसान का बेटा भी अपने पिता के लाश के साथ आगे आगे चलता हुआ शमशान घाट पाहुच गया। पर शमशान घाट पाहुच कर गाँव वालों ने देखा की जिस आदमी को चीता की लकड़ी लाने के लिए बोला गया था। वो आदमी चीता की लकड़ी ले कर शमशान घाट नहीं पाहुचा था। अब गाँव वाले इंतेजर करने लगे की वो आदमी चीता की लकड़ी ले कर कब आएगा। बहुत देर तक इंतेजर करने के बाद भी कोई चीता की लकड़ी ले कर नहीं आया।
उसके बाद गाँव वालों ने तय किया की हम सभी वापस गाँव जाते हैं और चीता की लकड़ी ले कर वापस शमशान घाट आ जाते हैं। एक तो बहुत ही कम आदमी शमशान घाट पाहुचे थे और उस पर भी लाश को शमशान घाट मे छोड़ कर वापस जाना उचित नहीं था। अगर लाश को छोड़ कर जाते हैं तो फिर कोई जंगली जानवर लाश को खा भी सकता था। कोई जंगली जानवर लाश को न खाये। इसलिए लाश के पास किसी को रहना जरूरी था। बहुत सोच विचार करने के बाद ये निर्णय लिया गया की उस किसान के बेटे को ही अपने पिता के लाश के पास छोड़ दिया जाए। वो उस लाश का बेटा हैं उस से अच्छा लाश का हिफाजत और कौन कर सकता हैं।
गाँव वाले उसके बेटे को बोले की तुम अपने पिता के लाश के पास रहना और लाश का देख भाल करना। हम सभी गाँव वापस जाते हैं और चीता का लकड़ी ले कर वापस आते हैं। देखना जब तक हम सभी वापस नहीं आ जाए तुम यहा से कही जाना मत। यही लाश के पास रहना। उस किसान का बेटा तैयार हो गया। वो वही पर रुक गया और गाँव वाले चीता की लकड़ी लाने के लिए वापस गाँव चले गए। जहा पर लाश रखा हुआ था ठीक उसके सामने से एक नदी बह रही थी। बेचारा किसान का लड़का अपना मायूस चेहरा लिए नदी के किनारे उस लाश के पास बैठा हुआ था।
तभी नदी मे कही से तैरते हुआ एक और लाश दिखा। वो लड़का भी नदी मे तैरता हुआ लाश देखा। वो लाश तैरते हुए उसी के तरफ आ रहा था। जैसे ही वो लाश सामने से पार करने ही वाला था की लाश के अंदर से आवाज आई। वो जो लाश नदी मे तैर रहा था। वो बोल पड़ा। उसने किसान के लाश से बोला। ऐ लेटा तू यहा पर क्यू लेटा। तो उस लड़के के पिता की लाश से आवाज आई मैं बहुत ही लंबी बीमारी का शिकार हो गया। बहुत से वैध से अपना इलाज़ करवाया पर बच नहीं सका। मैं मर गया इस लिए यहा पर लेटा।
फिर उस लड़के के पिता के लाश के अंदर से आवाज़ आई ऐ तैरता तू नदी मे क्यू तैरा तो नदी मे तैरता हुआ लाश बोला की मुझे एक नाग ने डश लिया जिस वजह से मैं मर गया। लोगो ने मेरे लाश को नदी मे बहा दिया इसलिए मैं नदी मे तैरा। वो लड़का नदी के किनारे खड़ा हो कर उन दोनों लाश को आपस मे बातें करते हुए सुना। एक शमशान का सुनसान जगह और उस पर वो लाशों के सामने था। अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था। तभी तैरता हुआ लाश तैरते हुए उस लड़के के पिता के लाश से बोला। ऐ लेटा ये जो लड़का तुम्हारे सामने खड़ा हैं ये कौन हैं और यहा क्या कर रहा हैं।
तो लेटे हुए लाश ने कहा की ये मेरा बेटा हैं और मेरा अंतिम संस्कार करने आया हैं। बाकी सब लकड़ी लाने गए हैं और ये मेरी देख रेख कर रहा हैं। तो तैरते हुए लाश ने कहा की ये तो ज़िंदा हैं। वैसे भी मरने के बाद कोई रिस्ता नाता नहीं रहता हैं। जब आदमी दुनिया मे ज़िंदा रहता हैं तब तक ही रिस्ता नाता होता हैं मरने के बाद कौन सा रिस्ता नाता। तू एक काम कर इस लड़के को मार दे और इसे भी अपने साथ ले जा। उस तैरते हुए लाश की बातें सुन कर उस किसान के लाश मे हरकत शुरू हो गई। ऐसा लगा की वो लाश अपनी जगह से अब उठ खड़ी हो जाएगी। किसान का बेटा जब देखा की उसके पिता का लाश उठा रहा हैं वो डर के मारे वहा से भागना चाहा। पर उसके पिता का लाश उठ कर खड़ा हो गया।
वो लड़का अब आओ देखा न ताओ सीधे गाँव की तरफ भागना शुरू कर दिया। उसके पिता का लाश भी उसे दौराना शुरू कर दिया। अगर वो पकड़ मे आ जाता तो उसे वही पर मार देता। पर वो लड़का अपनी पूरी रफ्तार से दौरे जा रहा था। रास्ते मे एक बहुत बड़ा सरसों का खेत था वो लड़का सीधे सारसो के खेत के अंदर घुस गया। अब वो सारसो के खेत से होते हुए भागने लगा। लाश भी उसे सारसो के खेत के अंदर दौराने लगी। लड़का भागता भागता वाहा से गाँव पहुच गया। लाश भी उसका पीछा करते करते जहा से गाँव शुरू होता हैं वह तक आ गई। जेब लाश अपने मनसूबे को पूरा नहीं कर पाया तो वापस फिर से शमशान घाट चला गया। इधर वो लड़का दौड़ता दौड़ता गाँव मे पाहुच चुका था।
गाँव वालों ने देखा की जिस लड़के को अपने पिता का लाश की देख भाल करने के लिए छोड़ा गया था वो वापस गाँव आ गया हैं। तो गाँव वाले उस पर गुस्सा करने लगे और बोले की तुम कैसे लड़के हो जो अपने पिता के लाश को शमशान घाट मे अकेले छोड़ कर वापस चले आए। तो वो लड़का अपना आप बीती गाँव वालों को सुनाया की कैसे उसका पिता जीवित हो उठा और उसे मारने के लिए दौराने लगा। कैसे वो सारसो के खेत से होते हुए भागा और उसके पिता का लाश भी सारसो के खेत मे उसे दौराने लगा। उस लड़के की बातें सुन कर गाँव वाले उल्टा लड़के के ऊपर गुस्सा होने लगे और बोले की कही मारा घोडा भी घास खाता हैं। तुम जरूर शमशान घाट मे डर गए होगे तभी वापस चले आए। पर लड़का अपनी बातों पर अड़ा था।
तो गाँव वाले बोले चलो चल कर देखते हैं तुम्हारे पिता अपनी जगह पर हैं या नहीं। गाँव के बहुत से लोगो को ये बात पता चला तो झुंड के झुंड शमशान घाट की तरफ चल दिये। सभी मे कोलाहल था की कैसे कोई मारा हुआ आदमी भी ज़िंदा हो सकता हैं। जब गाँव वाले शमशान घाट पाहुचे तो देखे की लाश अपने जगह पर लेटा हुआ हैं। जैसे वे लाश को छोड़ कर गए थे लाश वैसे ही था। गाँव वालों को फिर से गुस्सा आ गया। गाँव वाले उस लड़के को डाटने लगे। पर लड़का फिर भी अपनी बातों पर अड़ा हुआ था। लाश के लिए चीता सजाया गया और जब लाश को चीता के ऊपर रखने के लिए उठाया गया तो गाँव वाले ये देख कर हैरान हो गए की लाश के पैर मे भी सारसो का फूल लगे हुआ हैं।
आप जो भी समझे झूठ या सच। पर कहानियाँ तो कहानियाँ होती हैं। एक ऐसी ही कहानी मैं गाँव देहात से खोज कर लाया हूँ। जो थोड़ा रोमांचक हैं। पर आप इसे हकीकत समझने की गलती न करे। ये झूठ भी हो सकती हैं। मैं जब गाँव एक के आदमी के पास था तो उसने मुझे ये कहानी सुनाया था। जिसे मैं यहाँ लिख कर आप सभी को बता रहा हूँ। बहुत समय पहले की बात हैं। किसी गाँव मे एक किसान और उसका बेटा रहा करता था। किसान खेतों मे काम करता और उसका बेटा अपने पिता के काम मे हाथ बटाता। पिता पुत्र मे बहुत जमता था। छोटा सा परिवार और खुशी परिवार।
पर एक दिन किसान का तबीयत खराब हो गया। बहुत से वैध से उस किसान के लड़के ने अपने पिता का इलाज़ करवाया। पर बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बच नहीं सका एक रोज वो किसान मर गया। बेचारा लड़का अभी कम उम्र का था। अब वो करे तो क्या करे कोई हित नात नहीं। घर मे मातम छा गया। गाँव वालों ने निर्णय किया की हम सभी मिल कर उसके पिता को शमशान ले जाते हैं और वही पर दाह संस्कार कर देते हैं। गाँव वाले उस किसान की लाश को कंधा दे कर शमशान घाट तक ले गए।
उस किसान का बेटा भी अपने पिता के लाश के साथ आगे आगे चलता हुआ शमशान घाट पाहुच गया। पर शमशान घाट पाहुच कर गाँव वालों ने देखा की जिस आदमी को चीता की लकड़ी लाने के लिए बोला गया था। वो आदमी चीता की लकड़ी ले कर शमशान घाट नहीं पाहुचा था। अब गाँव वाले इंतेजर करने लगे की वो आदमी चीता की लकड़ी ले कर कब आएगा। बहुत देर तक इंतेजर करने के बाद भी कोई चीता की लकड़ी ले कर नहीं आया।
उसके बाद गाँव वालों ने तय किया की हम सभी वापस गाँव जाते हैं और चीता की लकड़ी ले कर वापस शमशान घाट आ जाते हैं। एक तो बहुत ही कम आदमी शमशान घाट पाहुचे थे और उस पर भी लाश को शमशान घाट मे छोड़ कर वापस जाना उचित नहीं था। अगर लाश को छोड़ कर जाते हैं तो फिर कोई जंगली जानवर लाश को खा भी सकता था। कोई जंगली जानवर लाश को न खाये। इसलिए लाश के पास किसी को रहना जरूरी था। बहुत सोच विचार करने के बाद ये निर्णय लिया गया की उस किसान के बेटे को ही अपने पिता के लाश के पास छोड़ दिया जाए। वो उस लाश का बेटा हैं उस से अच्छा लाश का हिफाजत और कौन कर सकता हैं।
गाँव वाले उसके बेटे को बोले की तुम अपने पिता के लाश के पास रहना और लाश का देख भाल करना। हम सभी गाँव वापस जाते हैं और चीता का लकड़ी ले कर वापस आते हैं। देखना जब तक हम सभी वापस नहीं आ जाए तुम यहा से कही जाना मत। यही लाश के पास रहना। उस किसान का बेटा तैयार हो गया। वो वही पर रुक गया और गाँव वाले चीता की लकड़ी लाने के लिए वापस गाँव चले गए। जहा पर लाश रखा हुआ था ठीक उसके सामने से एक नदी बह रही थी। बेचारा किसान का लड़का अपना मायूस चेहरा लिए नदी के किनारे उस लाश के पास बैठा हुआ था।
तभी नदी मे कही से तैरते हुआ एक और लाश दिखा। वो लड़का भी नदी मे तैरता हुआ लाश देखा। वो लाश तैरते हुए उसी के तरफ आ रहा था। जैसे ही वो लाश सामने से पार करने ही वाला था की लाश के अंदर से आवाज आई। वो जो लाश नदी मे तैर रहा था। वो बोल पड़ा। उसने किसान के लाश से बोला। ऐ लेटा तू यहा पर क्यू लेटा। तो उस लड़के के पिता की लाश से आवाज आई मैं बहुत ही लंबी बीमारी का शिकार हो गया। बहुत से वैध से अपना इलाज़ करवाया पर बच नहीं सका। मैं मर गया इस लिए यहा पर लेटा।
फिर उस लड़के के पिता के लाश के अंदर से आवाज़ आई ऐ तैरता तू नदी मे क्यू तैरा तो नदी मे तैरता हुआ लाश बोला की मुझे एक नाग ने डश लिया जिस वजह से मैं मर गया। लोगो ने मेरे लाश को नदी मे बहा दिया इसलिए मैं नदी मे तैरा। वो लड़का नदी के किनारे खड़ा हो कर उन दोनों लाश को आपस मे बातें करते हुए सुना। एक शमशान का सुनसान जगह और उस पर वो लाशों के सामने था। अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था। तभी तैरता हुआ लाश तैरते हुए उस लड़के के पिता के लाश से बोला। ऐ लेटा ये जो लड़का तुम्हारे सामने खड़ा हैं ये कौन हैं और यहा क्या कर रहा हैं।
तो लेटे हुए लाश ने कहा की ये मेरा बेटा हैं और मेरा अंतिम संस्कार करने आया हैं। बाकी सब लकड़ी लाने गए हैं और ये मेरी देख रेख कर रहा हैं। तो तैरते हुए लाश ने कहा की ये तो ज़िंदा हैं। वैसे भी मरने के बाद कोई रिस्ता नाता नहीं रहता हैं। जब आदमी दुनिया मे ज़िंदा रहता हैं तब तक ही रिस्ता नाता होता हैं मरने के बाद कौन सा रिस्ता नाता। तू एक काम कर इस लड़के को मार दे और इसे भी अपने साथ ले जा। उस तैरते हुए लाश की बातें सुन कर उस किसान के लाश मे हरकत शुरू हो गई। ऐसा लगा की वो लाश अपनी जगह से अब उठ खड़ी हो जाएगी। किसान का बेटा जब देखा की उसके पिता का लाश उठा रहा हैं वो डर के मारे वहा से भागना चाहा। पर उसके पिता का लाश उठ कर खड़ा हो गया।
वो लड़का अब आओ देखा न ताओ सीधे गाँव की तरफ भागना शुरू कर दिया। उसके पिता का लाश भी उसे दौराना शुरू कर दिया। अगर वो पकड़ मे आ जाता तो उसे वही पर मार देता। पर वो लड़का अपनी पूरी रफ्तार से दौरे जा रहा था। रास्ते मे एक बहुत बड़ा सरसों का खेत था वो लड़का सीधे सारसो के खेत के अंदर घुस गया। अब वो सारसो के खेत से होते हुए भागने लगा। लाश भी उसे सारसो के खेत के अंदर दौराने लगी। लड़का भागता भागता वाहा से गाँव पहुच गया। लाश भी उसका पीछा करते करते जहा से गाँव शुरू होता हैं वह तक आ गई। जेब लाश अपने मनसूबे को पूरा नहीं कर पाया तो वापस फिर से शमशान घाट चला गया। इधर वो लड़का दौड़ता दौड़ता गाँव मे पाहुच चुका था।
गाँव वालों ने देखा की जिस लड़के को अपने पिता का लाश की देख भाल करने के लिए छोड़ा गया था वो वापस गाँव आ गया हैं। तो गाँव वाले उस पर गुस्सा करने लगे और बोले की तुम कैसे लड़के हो जो अपने पिता के लाश को शमशान घाट मे अकेले छोड़ कर वापस चले आए। तो वो लड़का अपना आप बीती गाँव वालों को सुनाया की कैसे उसका पिता जीवित हो उठा और उसे मारने के लिए दौराने लगा। कैसे वो सारसो के खेत से होते हुए भागा और उसके पिता का लाश भी सारसो के खेत मे उसे दौराने लगा। उस लड़के की बातें सुन कर गाँव वाले उल्टा लड़के के ऊपर गुस्सा होने लगे और बोले की कही मारा घोडा भी घास खाता हैं। तुम जरूर शमशान घाट मे डर गए होगे तभी वापस चले आए। पर लड़का अपनी बातों पर अड़ा था।
तो गाँव वाले बोले चलो चल कर देखते हैं तुम्हारे पिता अपनी जगह पर हैं या नहीं। गाँव के बहुत से लोगो को ये बात पता चला तो झुंड के झुंड शमशान घाट की तरफ चल दिये। सभी मे कोलाहल था की कैसे कोई मारा हुआ आदमी भी ज़िंदा हो सकता हैं। जब गाँव वाले शमशान घाट पाहुचे तो देखे की लाश अपने जगह पर लेटा हुआ हैं। जैसे वे लाश को छोड़ कर गए थे लाश वैसे ही था। गाँव वालों को फिर से गुस्सा आ गया। गाँव वाले उस लड़के को डाटने लगे। पर लड़का फिर भी अपनी बातों पर अड़ा हुआ था। लाश के लिए चीता सजाया गया और जब लाश को चीता के ऊपर रखने के लिए उठाया गया तो गाँव वाले ये देख कर हैरान हो गए की लाश के पैर मे भी सारसो का फूल लगे हुआ हैं।