Machhli Bhat , Chudel Ki Kahani

 

Machhli Bhat , Chudel Ki Kahani.

अक्सर रोजी रोटी के तलाश मे लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाते हैं। जहां पर मेहनत मजदूरी करते हैं और अपना किसी तरह गुजर बसर कर पाते हैं। ज़िंदगी का सब से बड़ा जरूरत पैसा कमाना हैं। पैसा कमाने के लिए मजदूर एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं। कही किसी जगह काम कर लिया और जो पैसा मिला उस से अपने ज़िंदगी का गाड़ी आगे की तरफ बढ़ा लिए। ये कहानी भी एक मजदूर की हैं जो मेहनत मजदूरी करने के लिए अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर गया हुआ था।

मकसद सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना था। जो पैसा कमाता उस मे से अपने हिसाब भर रख लेता और बाकी का पैसा अपने घर भेज देता। उस मजदूर का नाम रमेश था। रमेश एक प्राइवेट कंपनी मे काम करता था। दिन भर कड़ी मेहनत करना और फिर रात के समय अपने किराए के घर मे आ जाना। दिन भर बारह घंटे की नौकरी करना कोई आसान बात नहीं हैं। पर जरूरत ऐसी चीज हैं जो इंसान से कठिन मेहनत करवा देती हैं। पैसा की जरूरत जो ज़िंदगी भर लगा रहता हैं। रमेश भी पैसा कमाना चाहता था। बहुत सारा पैसा। पर उसकी ये ख़्वाहिश पूरा नहीं हो पाया। एक रात की बात हैं रमेश अपना ड्यूटि खत्म कर के रात के नौ बजे अपने घर आ रहा था।

रास्ते मे उसने मछली खरीदा और फिर साइकल मे टांग कर अपने किराए के कमरे की तरफ चला गया। जब वो अपने किराए के मकान मे पाहुचा तो रात के दस बज चुके थे। रात के दस बजे उसे मछली बना कर खाना था और फिर सुबह तैयार हो कर फिर से ड्यूटि चले जाना था। जितना ज्यल्दी मछली बन सके उसे बना लेना था। वो किराए के मकान मे पाहुचा और अपना साइकल दीवार मे खड़ा कर के अपने रूम का ताला खोला। मछली को घर के अंदर रख कर बाहर पानी के टब के पास पाहुच गया। उसके घर के पास ही एक पानी का टब था जिस मे हमेशा पानी जमा रहता था।

जहा पर वो नहाता और कपड़े धोता। पानी के टब के पास पाहुच कर ज्यल्दी ज्यल्दी हाथ मुह धो कर फिर से अपने किराए के मकान के अंदर चला गया। रमेश को मछली बनाने की ज्यल्दीबाजी थी वो तुरंत मछली बना लेना चाह रहा था। इसलिए वो झोला से मछली निकाला और उसे धोने लगा। जब मछली को धो कर उसका पानी बाहर फेकने निकला तो उसे बहुत हैरानी हो गई। क्यू की वो जिस टब के पास नहाता और कपड़े धोता था उस जगह पास उसने देखा की एक लड़की खड़ी हैं। उसकी नजर जब उस लड़की पर पड़ी तो वो सोच मे पड़ गया। इतने रात गए रात के दस बजे यहा पर इतनी छोटी सी बच्ची क्या कर रही हैं।

रमेश उस लड़की के पास गया और बोला बेटी आप कहा से आए हैं और इस जगह पर क्या कर रहे हैं। तो वो छोटी सी बच्ची कुछ भी जवाब नहीं दी। रमेश ने उस बच्ची से उसके माता पिता का नाम पूछा। पर वो लड़की अपने जगह पर खड़ी रह गई। उसने कोई जवाब नहीं दिया। लड़की कुछ बोल ही नहीं रही थी। फिर वो लड़का पूछा बेटी आप का घर किधर हैं। तो वो छोटी सी बच्ची अपने हाथों से इशारा करते हुए जंगल की तरफ अपना उंगली की। रमेश सोचा की इस बच्ची का घर जंगल के उस पार जो बस्ती हैं वही पर होगा।

रमेश जहा पर रहता था। उसके घर के सामने से ही जंगल शुरू हो जाता था। जंगल बहुत बड़ा तो नहीं था पर घाना और डरावना था। जब छोटी सी बच्ची ने अपने हाथो का इशारा उस जंगल की तरफ किया तो रमेश सोचा की इस लड़की का घर जंगले के उस पार वाले बस्ती मे होगा। अब बिडंबना ये था की इतनी रात गए बच्ची को उसके घर तक कैसे छोड़ा जाए। अगर बस्ती के एक एक घर का दरवाजा खटखटाया जाए तो लोग हो सकता हैं की अभी सो गए होंगे और उसकी बात का बुरा मान जाएंगे। अब रमेश सोच मे पड़ गया की करे तो क्या करे। इतनी रात गए क्या हो सकता।

इस लड़की को ले कर बस्ती के तरफ चला जाए या फिर आज रात भर अपने रूम मे रख लिया जाए और फिर कल सुबह इसे ले कर बस्ती के तरफ चला जाए। एक तो ठंड का समय था और उस पर रमेश परदेशी था। उसे वहा के लोगो से जान पहचान भी नहीं था। वो तो बेचारा सुबह अपने ड्यूटि पर चला जाता और फिर रात के समय ड्यूटि से वापस आता। लोगो से जान पहचान बनाने का समय उसके पास था ही कहाँ। रमेश ने सोचा की चलो आज रात भर इस बच्ची को अपने घर मे रख लेता हू और जब कल सुबह होगा तो इसे ले कर बस्ती के तरफ चला जाऊंगा। उसने बच्ची से कहा की बेटी आज आप मेरे घर मे रह जाइए कल सुबह मैं आप को ले कर आप के घर चला जाऊंगा और आप के ममी पापा के हवाले कर दूंगा। एक तो ठंड का समय हैं और जंगल मे जुंगली जानवर का भी डर हैं.

आप यही मेरे पास रुक जाइए। रमेश ने उस लड़की का हाथ पैर धोया और उसे ले कर अपने किराए के घर के अंदर चला गया। रात के समय उसने मछली तला और दो मछली का टुकड़ा उसे खाने के लिए दे दिया। वो लड़की बहुत ही चाओ से मछली खाने लगी। रमेश मछली तल कर उसका शब्जी बनाया और फिर भात बनाया। जब मछली भात बन गया तो। उसने दो थाली मे खाना निकाला एक अपने लिए और एक उस लड़की के लिए। लड़की को खाना देते हुए रमेश बोला की लो बेटा खाना खा लो कल सुबह ज्यल्द जगना  हैं और आप के ममी पापा को खोजने भी जाना हैं।

दोनों मछली भात खाने लगे। रमेश अभी खाना खाना शुरू ही करने वाला था की वो नन्ही सी लड़की तेजी से मछली भात खाने लगी। अभी रमेश थोड़ा सा ही खाया था की वो अपने थाली का पूरा का पूरा मछली भात खा कर खत्म कर दी। रमेश अपने हंडी से और भी मछली भात निकाल कर उसे दिया और बोला की लो बेटी और खा लो। रमेश सोचा की हो सकता हैं बच्ची बहुत भूखी होगी इसे बहुत भूख लगा होगा।

रमेश ने उस रात ज्यादा ही मछ्ली भात बनया था क्यू की सुबह खाना बनाना न पड़े इस लिए ज्यादा खाना बना दिया। बासी मछली भात खाने मे मजा भी बहुत आता हैं। वो लड़की फिर से मछली भात खाना शुरू की पर रमेश अभी आधा ही खाना खाया होगा की बच्ची फिर से पूरा थाली का मछली भात खा कर खत्म कर दी। रमेश को बहुत हैरानी हुआ वो सोच मे पड़ गया की लड़की कितनी तेजी से और कितना ज्यल्द इतने सारे मछली भात खा कर खत्म कर दे रही हैं। रमेश ने फिर पूछा की बेटी आप और मछली भात खाइएगा तो वो लड़की फिर से अपना मुंडी हिला कर हामी भरी।

रमेश ने फिर से उसे मछली भात खाने के लिए दिया। फिर से वो लड़की पूरे रफ्तार के साथ मछली भात खाने लगी। अभी रमेश ने अपना पूरा खाना खा कर खत्म भी नहीं किया था की वो लड़की पूरा का पूरा मछली भात खा कर खत्म कर दी अब हंडी खाली हो चुका था। रमेश अपना खाना खा कर उठा और उस लड़की को ले कर घर के बाहर निकला। उसके दोनों हाथ धो कर फिर से उसे घर के अंदर ले आया। रमेश बर्तन को धो कर चला आया। अब पारी थी सोने की क्यू की रमेश को ज्यल्दी  सोना था ताकि सुबह सुबह जग सके। उसके कमरे मे ज्यादा जगह भी नहीं था। छोटा सा कमरा। एक तरफ चारपाई लगा हुआ था और जो थोड़ा सा जगह बचा हुआ था वहा पर साइकल रखने की जगह थी ।

रमेश वही पर खाना बनाता था। जब खाना बन जाता तो उसे एक तरफ कर के साइकल रख देता। किसी तरह गुजर बसर हो जाए। वैसे भी वो एक किराए के घर मे रहता था। एक चारपाई मे दो लोगो के सोने की जगह नहीं थी इसलिए रमेश चारपाई को एक किनारे रख कर अपना बिस्तर जमीन पर ही बिछा दिया। और उस लड़की से बोला की बेटी आप अब सो जाइए कल सुबह ही जागना पड़ेगा। वैसे भी रात बहुत हो चुकी हैं। रमेश अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और घर मे जो लालटेन जल रहा था उसे भी बुझा दिया। अब वो और उसके साथ जो छोटी सी बच्ची थी दोनों सो गए। दोनों नीचे जमीन पर बिछाए हुए बिस्तर पर सोये हुए थे। रात के बारह भी बज चुके थे। सुबह ज्यल्द जग कर लड़की के माता पिता को खोजने जाना और तैयार हो कर ड्यूटि भी जाना था। रमेश दिन भर का थका हारा था।

जैसे ही बिस्तर पर लेटा की उसे नींद आ गई। वो लड़की भी रमेश के बगल मे सोई हुई थी। आधी रात के बाद जब घर के अंदर कुछ हलचल महसूस हुआ तो उसके नींद टूट गए। उसने टॉर्च जला कर देखा की उसके बगल मे जो लड़की सोई हुई थी वो अपने जगह पर नहीं थी। फिर उसने घर के चरो तरफ टॉर्च घूमा कर देखा पर उसे लड़की कही भी नहीं दिखी। जब वो अपना टॉर्च दरवाजा के तरफ किया तो उसने देखा की दरवाजा खुला हुआ हैं। वो जान गया की बच्ची घर के बाहर हैं। रमेश तुरंत घर के बाहर चला आया। उसने देखा की वो लड़की पानी के टब के पास बैठी हुई हैं। रमेश उसके पास गया और उस लड़की से बोला बेटी इतनी रात गए आप यहा क्या कर रहे हैं। चलिये घर के अंदर चला जाए। बाहर जुंगली जानवर घूमते हैं वो आप को पकड़ लेगा। आप चलिये घर के अंदर।

सुबह आप के माता पिता को भी खोजने जाना पड़ेगा। रमेश की बातें सुनकर वो लड़की अपने जगह से उठ कर खड़ी हो गई। वो छोटी सी बच्ची अब बड़ी हो चुकी थी। रमेश कुछ सोच पाता इस से पहले वो अपना सर रमेश के तरफ घुमाई। जैसे ही वो रमेश के तरफ घूमी की रमेश के पसीने छुट गए। उसने देखा की एक औरत जिसका चेहरा बहुत ही भयानक हैं। उस औरत के हाथ बहुत ही खतरनाक लग रहे थे। बड़े बड़े नाखून , बड़ी बड़ी लाल रंग की आंखे। वो एक बहुत ही भयानक चुड़ैल लग रही थी। रमेश जो की अपने टॉर्च का फोकस उसके ऊपर किया हुआ था.

उस चुड़ैल को देखते ही उसके हाथों से टॉर्च नीचे जमीन पर गिर गया। उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था की छोटी सी दिखने वाली लड़की इतनी भयानक रूप धारण कर के एक चुड़ैल बन चुकी हैं। वो चुड़ैल धीरे धीरे रमेश के पास आई और रमेश से बोली तुम मुझे आदमी अच्छे लगे, तुम ने मुझे बेटी बोला और मछली भात खिलाया इस लिए मैं तुम्हें छोड़ रही हूँ। अगर तुम मुझे मछली भात नहीं खिलाते तो मैं तुम्हें मार देती और हमेशा के लिए अपने साथ ले जाती। ठंड के मौसम मे भी रमेश के पसीने छुट रहे थे।

रमेश तो उस चुड़ैल को देख कर थर थर काँप रहा था। इतना बोल कर वो चुड़ैल अंधेरे मे उस जंगल की तरफ चले गई। रमेश अब भी अपनी जगह पर खड़ा हो कर थर थर काँप ही रहा था। उसके हाथ से तो टॉर्च कब का छुट चुका था। जब वो चुड़ैल जंगल मे बहुत दूर चले गई। तो रमेश दौड़ता हुआ अपने कमरे के अंदर आया और ज़ोर से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। अब उसे विश्वास हो चुका था की चुड़ैल जा चुकी हैं।

पर वो इतना डर चुका था की उसका पूरा शरीर काँप रहा था। उस रात रमेश इतना डर गया की अपने कमरे का दरवाजा पूरी ज़ोर से बंद कर के बिस्तर पर जा कर बैठ गया। बार बार उसके दिमाग मे यही गूंज रहा था की जिस लड़की को वो अपने घर के अंदर ले कर आया। वो कोई छोटी सी बच्ची नहीं बल्कि एक चुड़ैल थी। उसने एक चुड़ैल को मछली भात खिलाया हैं। उस चुड़ैल का डर रमेश के अंदर घर कर चुका था। रमेश अब क्या करे कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था। एक बार तो उस चुड़ैल के हाथों जान जाने से बच गया।

पर वो फिर से दुबारा आई तो उसे मार ही देगी। इसी डर मे पूरा रात बीत गया। जब सुबह का किरण दरवाजे के फाक से अंदर की तरफ आया तो रमेश का डर थोड़ा कम हुआ। वो अपने जगह से उठा और अपना बैग पैक किया और काम छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए अपने गाँव वापस चला गया।