Raste Wali Chudail , Chudail Ki Kahani.
भूत प्रेत जिन्न जिन्नात या फिर चुड़ैल. ये सभी ऐसी ताकत हैं
जो बहुत कम नजर आते है. पर जब किसी का सामना इन ताकतों से हो जाए तो होश ठिकाने मे
आ जाते हैं. बहुत ही कम लोग होंगे जो चाहते होंगे की उसका सामना किसी आत्मा या भूत
प्रेत से हो.
भूत प्रेत होते हैं और ये सच हैं. उन सभी ताकतों का मिलना किसी
आश्चर्य से कम नही हैं. पर ये तो सच हैं जिस किसी का सामना इन ताकतों से हुआ. उसका
हाल बहुत ही खराब हो गया. लोग जिंदा
इंसान के साथ रहना चाहते हैं. पर जब साथ रहने वाला इंसान मर जाए तो उस से डरने लगते हैं.
मेरा भी सामना एक बार इन भूत प्रेत से हुआ हैं. एक बार मैं भी
एक लड़की की आत्मा को देखा था. वो भी रास्ते की चुड़ैल से मेरा सामना हुआ था. जिस
जगह पर मैं चुड़ैल देखा था वो जगह सच मे बहुत डरावना था. उस समय लोग कहते भी थे की
रास्ते मे उस जगह पर एक चुड़ैल रहती हैं.
जो की रास्ते की चुड़ैल हैं. बात आज से बहुत पहले की हैं. उस
जमाने मे लोग फिल्म देखने के लिए cinema
hall मे
जाया करते थे. उस जमाने मे तो मोबाइल फोन का नाम तक नही था. घरों मे telivision हुआ करता था. लोग दूरदर्शन मे फिल्म
देखा करते थे.
शुक्रवार और शनिवार को फिल्म देता हैं. बहुत कम ही घरों मे telivision हुआ करता था. जिसके पास भी tv था उसका पूरे मोहल्ले मे बहुत नाम होता
था. लोग समय निकाल कर tv देखने जाया करते थे.
चाहे कोई भी फिल्म हो लोग बहुत ही शौक से देखते थे. उस जमाने के लोग नए फिल्म
देखने के लिए किसी चलचित्र मंदिर जाया करते थे. जिसे cinema hall कहा जाता हैं.
मैं भी फिल्म देखने का बहुत शौखीन था. अक्सर फिल्म देखने चला
जाता था. दिन के मे तो मुझे समय नही मिलता था. क्यू की मेरा एक दुकान हैं जिसे मैं
चलाता हूँ. दुकान चलाने मे
मैं इतना व्यस्त रहता हूँ की समय ही नही मिलता हैं. इसलिए अक्सर मैं रात के समय
फिल्म देखने जाया करता था. मेरे पिता जी भी दुकान चलाते थे.
मैं रात का show देखता था. मुझे याद
हैं उस समय अनिल कपूर का फिल्म तेज़ाब चल रहा था. मैं उस फिल्म को बहुत बार देखा
हूँ. अनिल कपूर तो मेरा सब से पसंदीदा hero
हैं.
उनका तो मैं कोई भी फिल्म नही छोड़ता हूँ. उस पर तेजाब फिल्म की बात ही निराली थी.
हर किसी के जुबान पर तेजाब फिल्म का सूपर हिट गाना एक दो तीन
था. जिस दिन तेजाब फिल्म पहली बार हॉल मे लगा. मैं उसी दिन फिल्म देखने चला गया.
जब शाम हुआ तो मैं अपने पिता से नजर बचा कर अपने दुकान से कुच्छ पैसा लिया और चला
गया. मेरे पिता को पता था की मैं फिल्म देखता हूँ. फिल्म देखने के कारण मुझे बहुत
बार डाट भी पड़ा था.
पर मैं सुधरने वाला कहा था. किसी ना किसी बहाने से चला ही
जाता. मैं पाँच बजे वाला show देखने के लिए गया.
इसी फिल्म देखने के क्रम मे मैने एक चुड़ैल देखा. वो भी रास्ते की चुड़ैल. मैं
फिल्म देखने के लिए गया हुआ था. फिल्म पाँच से आठ का show था. पर मुझे फिल्म इतना पसंद आया की मैं
आठ से ग्यारह वाला show का ticket भी कटवा लिया.
hall मेरे घर से करीबन दस kilimeter की दूरी पर था. मैं रात का show देखा और अपने घर वापस चल दिया. बार बार
मेरे दिमाग मे तेज़ाब फिल्म का सीन दौड़ रहा था. अभी मैं हॉल से कुच्छ दूर ही बढ़ा
था की मैने रास्ते के किनारे एक लड़की को देखा. वो लड़की उस सुनसान रास्ते मे
अकेली खड़ी थी. रात का ग्यारह बजे का बाद का समय भी हो चुका था. ठंड का मौसम था.
ठंड के मौसम मे बहुत ज्यल्द सन्नटा पसर जाता हैं.
रास्ता बिल्कुल सुनसान हो चुका था. रास्ता मे कोई भी नही था. वो
अकेली लड़की सड़क के किनारे खड़ी थी. मैं उसे देखा और सोचा की ये कौन लड़की हैं जो
सड़क के किनारे खड़ी हैं. जब की आस पास तो क्या दूर तक कोई भी नही हैं. चारो तरफ
सन्नटा ही सन्नटा पसरा हुआ हैं.
मैं अपना bike ले कर उसके तरफ बढ़
रहा था. लड़की सड़क के किनारे खड़ा हो कर मानो मेरा ही इन्तेज़ार कर रही हो. मैं
जैसे ही bike से वहा पहुचने वाला
था की लड़की ने अपना हाथ आगे कर के. रुकने का इशारा कर दिया. मैं अपना bike उसके सामने ले गया और रोक दिया. वो
कुच्छ बोलती उस से पहले मैं ही उस से बोला.
आप कौन हैं और इतनी रात गए यहा क्या कर रहे हैं. चारो तरफ
सन्नटा ही सन्नटा पसरा हुआ हैं. आप इस अकेले सुन शान रास्ते मे क्या कर रहे हैं.
तो वो लड़की बोली मुझे अपने घर जाना हैं. आज मैं मार्केट मे समान खरीदने गई थी पर
बहुत देर हो गया. उसे जहा जाना था.
उस
जगह का नाम बताया वो जगह रास्ते मे ही
पड़ता था.
मैं बोला की ठीक हैं आप मेरे bike पर
बैठ जाइए. मैं इसी रास्ते से होते हुए अपना घर जा रहा हूँ. आप को आप के घर के पास
छोड़ कर मैं आगे की तरफ बढ़ जाऊंगा. मुझे भी ज्यल्दी थी क्यू की बहुत रात हो चुका
था. मेरे माता पिता बराबर मुझे फिल्म देखने से रोकते थे. आज अगर घर पहुचा तो वे
सभी और भी गुस्सा मे आ जाएंगे.
उन्हे पता चल ही चुका होगा की मैं फिल्म देखने के लिए गया हूँ.
मैं उस लड़की को अपने bike पर बैठाया और अपने घर
की तरफ चल दिया. जब कभी हाइवे से कोई बड़ा गाड़ी आता तो उसका चेहरा शीशे मे दिखता.
पर मुझे क्या था मुझे तो घर जाना था. मैं पूरी रफ्तार से अपना bike चला रहा था.
कुछ दूर चलने के बाद वो जगह भी आ गया. जहा पर उस लड़की को
उतरना था. मैं अपना bike रोका और उस लड़की से
कहा की मैडम आप का मंजिल आ गया. अब आप उतर जाइए. पर bike के पीछे कोई हलचल नही हुई. मैं फिर से
बोला की मैडम उतरीये आप का मंजिल आ गया.
फिर से कोई हलचल नही हुआ. पीछे मूड कर देखा तो तंग रह गया. जिस
लड़की को मैं अपनी bike पर बैठाया था. वो उस
जगह पर थी ही नही. पीछे तो कोई भी नही था. ये बिल्कुल एक सपने जैसा लग रहा था.
आँखों के सामने धोखा हो रहा था. मुझे तो कुछ सूझना ही बंद हो गया.
हकीकत बोलू तो मैं डर गया. मैं जनता था की उस रास्ते मे एक
चुड़ैल रहती हैं. रास्ते की चुड़ैल पहले किसी से लिफ्ट मांगती हैं और जो भी उसे
लिफ्ट देता हैं. वो मारा जाता हैं. लोगो की कही हुई बात बार बार मुझे याद आने लगा.
मुझे विश्वाश ही नही हो रहा था की आज मैं इस काण्ड मे फंस
जाऊंगा. मैं डर गया और अपना bike शुरू कर के आगे की
तरफ बढ़ गया. पर मुझे फिर से लगा की कोई मेरे bike
के
पीछे बैठी हुई हैं. उसका आभास होने लगा. ये डर ऐसे ही नही बढ़ा जब कभी कोई गाड़ी
सामने से आता तो उसका चेहरा साफ मेरे गाड़ी के शीशे मे नजर आता.
उस लड़की की भयानक चेहरा देख कर मैं और भी डर गया. अब करू तो
क्या करू. कुछ सूझ ही नही रहा था. मैं bike
पूरे
रफ्तार से चला रहा था. अब मुझ मे हिम्मत नही थी की मैं bike को रफ्तार मे चला सकूं. वो रास्ते की
चुड़ैल बार बार कोशिश करने लगी की मैं अपना bike
किसी
गाड़ी मे ठोक दु. पर मैं किसी तरह उसे संभाल लेता.
बहुत बार तो वो कोशिश भी करती की मैं अपना bike सड़क के नीचे उतार दु. पर मैं धीरे धीरे
bike चलाते हुए अपने घर की
तरफ बढ़ा जा रहा था. पसीने से पूरा तर ब तर हो चुका था. किसी तरह bike चलाते हुए अपने घर पहुचा. जब घर पहुच
गया तो मुझे जान मे जान आया.
मैं देखा की मेरा घर का दरवाजा खुला हुआ था. मेरी मा और मेरे
पिता मेरा इन्तेज़ार कर रहे थे. उन्हे मेरा फिक्र हैं. मेरे पिता मुझे डाटते हुए
बोले की कितनी बार बोला हूँ की नाइट मे फिल्म मत देखने जाओ. पर ये छोकरा मानता कहा
हैं. वो मुझे डाट रहे थे. मैं पीछे मूड कर देखा तो वो रास्ते की चुड़ैल कुछ दूर पर
खड़ी हो कर मुझे देख रही थी.
शायद वो भी सोच रही थी की आज इसकी जान बच गई. नही तो मैं इसे
मार देती. मैं अपना bike घर के अंदर लगाया और
अपने कमरे मे चला गया. रात का खाना भी नही खाया. पूरा रात डर और घबराहट मे कटा.
रात भर मैं सोचता रहा की थोड़ा सा भी गलती होता तो मैं किसी गाड़ी के नीचे आ जाता.
पर भगवान की कृपा हैं जो मैं सही सलामत घर पहुच गया. उसके बाद तो मैं कभी भी रात
के समय फिल्म देखने जाना ही छोड़ दिया.