Sui Dhaga , Hindi Horror Story.
बात बहुत दिनों पहले
की हैं। अकसर गाँव देहातों मे भूत प्रेत से जुड़ी किस्से कहानियाँ सुनने के लिए
मिल जाता हैं। गाँव देहात के लोग भूत प्रेत पर विश्वश भी करते हैं। गाँव देहात के
बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होने भूत , प्रेत या फिर किसी
चुड़ैल को देखा होगा। पहले जमाने मे लोग शाम के समय किसी पेड़ या फिर कही बैठका के
पास बैठ कर भूत प्रेत की बातें किया करते थे।
ये घटना उस जमाने की हैं जिस जमाने मे टेलिविजन नहीं हुआ करता
था। लोग तो इसका नाम तक नहीं जानते थे। गाँव के सीधे साधे लोग दिन भर अपने खेत मे
काम किए और फिर कही चौक चौराहा या फिर किसी बैठका के पास बैठ कर गप मारे। जब रात
हुआ तो अपने घर वापस चले गए। गाँव मे बिजली नहीं होने के कारण लोग डिबरी जलाते थे।
खाना बना और खा कर सो गए। और फिर सुबह सूरज निकलने से पहले जग कर अपने खेतों की तरफ
चल दिये। दिन भर कड़ी मेहनत करना और फिर शाम के समय कही बैठका मे जा कर गप सरक्का
मारना यही काम था।
जहां भी बैठका चलता था वहाँ तरह – तरह की बातें होती थी। कोई भूत प्रेत या
फिर किसी की आप बीती पर बातें कर लेते। लोगों का दिन बहुत ही खुशी खुशी बीतता। ये
कहानी जिस गाँव की हैं। उस गाँव मे एक पहलवान रहा करता था। पहलवान बहुत ही ताकतवर
था पर थोड़ा गरम दिमाग का था। लोगो के बीच झगरा नहीं करता, पर वो अपनी पत्नी पर बहुत रोब झरता था।
बात बात पर उसका नुस्क निकालना और फिर उसे पीट देना। ये उसे अच्छा लगता था। बेचारी
उसकी पत्नी अपने पति के हाथों से मार खा कर भी चुप रहती थी। कुछ नहीं कहती थी।
एक दिन की बात हैं पहलवान खेत से काम कर के आया और अपनी पत्नी
से खाना मांगा। उसकी पत्नी एक थाली मे खाना परोश कर उसके सामने रख दी। जब पहलवान
खाना खाया तो उसे भात मे कंकर मिल गया। वो अपनी पत्नी पे गुस्सा करने लगा की जब
भात बनाती हो तो उसमे से कंकर निकाल कर अलग क्यू नहीं कर देती हो। तो उसकी पत्नी
बोली निकाल कर अलग कर दी थी पर एक दो छुट गया तो इस मे मैं क्या करू। वो उठा और एक
हाथ अपनी पत्नी को लगा दिया। बेचारी उसकी पत्नी रोने लगी और अपने पति से बोली की
मुह झौना के बेटा बिना मतलब का मार दिया।
पहलवान को और गुस्सा आ गया। उसने एक दो हाथ और अपनी पत्नी को
मार कर खाने का थाली फेक कर घर से बाहर निकल गया। रात के समय फिर पहलवान अपने घर
वापस आया और अपनी पत्नी से खाना निकालने के लिए बोला। उसकी पत्नी एक थाली मे खाना
निकाल कर रख दी और एक कोने मे जा कर बैठ गई। दिन मे इतना मार पड़ा था की अब तक
उसके चेहरे पे गुस्सा साफ झलक रहा था। वो अपने पति से बात नहीं की और चुप चाप अपने
पति को खाना खाते हुए देखती रही।
पहलवान खाना खाया और फिर बाहर निकल गया। उस रात पहलवान अपना चारपाई
घर के बाहर ही बिछा कर सो गया। वैसे अब भी पहलवान का गुस्सा उतरा नहीं था। उसने
चारपाई बाहर बिछा दिया। गर्मी का मौसम था। गर्मी के मौसम मे बहुत से लोग अपना
चारपाई अपने घर के बाहर ही निकाल कर सो जया करते थे। दिन भर खेत मे काम करने के
बाद बहुत थक गया था जिस वजह से उसे बहुत ही ज्यल्दी गहरी नींद आ गई। वो गहरी नींद
मे सो गया। जब पहलवान गहरी नींद मे सोया हुआ था तभी उसके सामने एक चुड़ैल आई।
उसने पहलवान को जगाया पर पहलवान दुनियाँ से बेखबर बहुत ही गहरी
नींद मे सोया हुआ था। वो चुड़ैल बार बार उस पहलवान से बोल रही थी। देह हाथ दबा दे
क्या। पर पहलवान इसका जवाब नहीं दे रहा था। कुछ देर ऐसा ही करने के पहलवान का
हल्का नींद टूटा। वो नींद मे ही बोला ठीक हैं दबा दो। चुड़ैल अच्छी तरह से पहलवान
का पैर हाथ दबाने लगी। दिनभर खेत मे काम करने के बाद पूरा शरीर मे दर्द हो गया था
और इस मे भी कोई पैर हाथ दबाये तो बहुत अच्छा लगता हैं। जब वो चुड़ैल पहलवान का
पैर हाथ दबा रही थी तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था। थोड़ा देर तक दबाने के बाद वो
चुड़ैल बोली की सुखले दबा दु की तेलो लगा दु। पहलवान नींद मे ही बोला तेल लगा दो।
चुड़ैल नाक से बोल रही थी और पहलवान भी गहरी नींद मे सो रहा था
जिस कारण उसे अपनी बीवी और चुड़ैल की आवाज़ मे कोई फर्क पता नहीं चला। पहलवान तो
सोच रहा था की उसकी पत्नी ही उसका देह हाथ दबा रही हैं। चुड़ैल उस पहलवान के पास
से बहुत दूर गई और कादो और मल उठा कर ले आई। उसने पहलवान के पूरे शरीर मे किचर और
मल लगा दिया। पहलवान सोचा की उसकी पत्नी उसके शरीर मे तेल लगा रही हैं। पर वो तो
किचर और मल लगा कर चले गई। जब सुबह हुआ तो पहलवान का नींद टूटा। उसने देखा की उसके
पूरे शरीर मे किचर लगा हुआ हैं और किसी आदमी का मल लगा हुआ हैं।
उसके पूरे शरीर से बदबू आ रही थी। वो समझा की कल रात उसकी
पत्नी ही उसके पास आई थी। उसने ही उसके पूरे शरीर मे किचर और मल लगा कर चले गई। वो
आओ देखा न ताओ एक मोटा सा डंडा उठा कर अपनी पत्नी के पास चला गया और उसे बोले की
तुमने मेरे पूरे शरीर मे ये क्या लगा दी। वो कुछ बोल पाती इस से पहले ही पहलवान दो
चार डंडा उसके शरीर पे दे मारा। बेचारी वही जमीन पर गिर गई और ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी। पहलवान भी पूरे गुस्से मे था। वो अपनी पत्नी को गाली देता हुआ घर से बाहर
निकला।
जा कर कुवे पे नहाया। घर मे नसता भी नहीं किया और कुदाल ले कर
खेत की तरफ निकल गया। बेचारी उसकी पत्नी दर्द से दिन भर रोती रही। शाम के समय उसका
पति वापस आया और फिर से अपनी पत्नी को गली देने लगा। पर उसकी पत्नी चुप चाप अपने
पति का गली सुनी। एक लफ्ज भी नहीं बोली। पहलवान रात का खाना खाया और सो गया। फिर
से उसने अपना चारपाई अपने घर से बाहर निकाला और अंधेरे रात मे अकेले ही घर से बाहर
सो गया। फिर से उसे गहरी नींद आ गई। जब आधी रात के बाद का समय आया तो फिर से वो
चुड़ैल उसके पास आई और उस सोये हुए पहलवान से बोली की देह हाथ दबा दे।
किसान गहरी नींद मे था उसने उस से कहा की दबा दो। थोड़ा देर तक
देह हाथ दबाते रही फिर बोली की सुखले दबा दी की तेलो लगा दी। पहलवान सोचा की कल
बोला था तेल लगाने के लिए तो पूरे शरीर मे कादो और मल लगा दी। आज अपनी पत्नी से
बोलता हूँ की सुखले दबा दो। पहलवान अपनी पत्नी समझ कर उस चुड़ैल से बोला की तेल
छोड़ दो सुखले दबा दो। तो चुड़ैल बहुत ही अच्छी तरह से पहलवान का देह हाथ दबा कर
चले गई। सुबह जब किसान जागा तो खुद को बहूत ही तारो ताज़ा पाया। वो सोचने लगा की
मेरी पत्नी कितनी अच्छी हैं जो की मुझ से मार खाने के बाद भी मेरा सेवा करने के
लिए चले आती हैं।
सुबह कूवा के पास मुह हाथ दो कर और नहा कर अपने घर गया। घर जा
कर अपनी पत्नी से सुबह का खाना मांग कर खाया और फिर खेत के तरफ चला गया। खेतों मे
काम करने के बाद फिर से शाम के समय अपने घर पहुचा और अपनी पत्नी से खाना मांगा।
रात का खाना खा कर फिर से अपना खाट ले कर घर से बाहर सोने के लिए चला गया। रात मे
उसे गहरी नींद आ गई। जब वो बहुत ही गहरी नींद मे सोया हुआ था तभी फिर से चुड़ैल आई
और बोली की देह हाथ दबा दे। पहलवान बोला की हाँ दबा दो। थोड़ी देर तक दबाने के बाद
फिर से वो बोली तेल लगा कर दबा दे की सुखले दबा दे। पहलवान बोला की सुखले दबा दो।
चुड़ैल नाक से बोलती उसके आवाज़ मे तोतलाहट थी। पर किसान तो
गहरी नींद मे सोया रहता जिस कारण वो अपनी पत्नी की आवाज़ और उस चुड़ैल की आवाज़ मे
फर्क नहीं कर पाता। जब भी पहलवान बोलता की सुखले दबा दो तो वो बिना मल किचर लगाए
अच्छी तरह से देह हाथ दबा कर चले जाती।
ऐसा
ही रोज होने लगा। पहलवान सोचता की उसकी पत्नी आधी रात के बाद उसके पास आती हैं और
उसका शरीर अच्छी तरह से दबा कर चले जाती हैं। अपनी पत्नी की सेवा से पहलवान अपनी पत्नी पर बहुत खुश
रहने लगा। पर जब भी अपनी पत्नी से खाना मांगता तो चुप चाप उसे खाना दे कर एक कोने
मे जा कर बैठ जाती। वो पहलवान से कुछ भी नहीं बोलती। उसे तो मार याद था वो अपने
पति से बहुत गुस्सा थी जिस वजह से वो उस से बात तक नहीं करती।
पर पहलवान सोचता की मेरी पत्नी कितनी अच्छी हैं मुझ से बात
नहीं करती हैं पर जब मैं सो जाता हूँ तो मेरा सेवा करने के लिए मेरे पास आ जाती
हैं और मेरा पूरा शरीर दबा कर चले जाती हैं। ऐसा ही बहुत दीनो तक चला रोज वो
चुड़ैल आती और पहलवान का देह हाथ दबाती और पुछती की सुखले दबा दी की तेलो लगा दी।
पहलवान बोलता की सुखले दबा दो। एक रात पहलवान अपने खाट पर सोया हुआ था। आधी रात के
बाद का समय भी हो चुका था। उसे गहरी नींद आ चूकी थी।
तभी वो चुड़ैल आई और पहलवान से बोली देह हाथ दबा दी। पहलवान
बोला की हाँ दबा दो। थोड़ी देर तक वो पहलवान का देह हाथ दबाते रही फिर उस से पुछी
की सुखले दबा दे की तेलों लगा दे। तो पहलवान सोचा की बहुत दिन तक तो सुखले दबाते
रही आज इस से बोलता हूँ की तेल लगा कर दबा दो। पहलवान बोला की तेल लगा कर दबा दो।
उसके बाद चुड़ैल वहाँ से उठी और कही से किचर और मल ले कर आई और
पहलवान के पूरे शरीर मे लगा दी। पुर शरीर मे अच्छी तरह से किचर और मल लगा कर वहाँ
से चले गई। पहलवान भी गहरी नींद मे सोया हुआ था जिस कारण उसे किचर और तेल मे अंतर
पता नहीं चला। जब सुबह पहलवान का नींद टूटा दो देखा की उसके पूरे शरीर मे किचर और
मल लगा हुआ हैं उसके शरीर से बदबू आ रही हैं।
पहलवान फिर से पूरे गुस्से मे आ गया। उसने एक मोटा सा डंडा
उठाया और अपनी पत्नी को पीटने चला गया। उसकी पत्नी सुबह का नास्ता बना रही थी। वो
आओ देखा न ताओ दो चार डंडा अपनी पत्नी को दे मारा। वो मार भी रहा था और बोल भी रहा
था की जब देह हाथ दबाने का मन नहीं रहता हैं तो आधी रात के बाद मेरे पास क्यू आती
हो। उसकी पत्नी मार खा रही थी और बोल रही थी की हमरा का जरूरत लगल बा की तोहर जइसन
कठ करेज के सेवा करू। हमरा पागल कुत्ता कटले बा का। पहलवान उसे बहुत मारा और उसे
रोते हुए छोड़ कर सीधे खेत की तरफ चल दिया। दिन भर उसका गुस्सा सतवे आसमान पर था।
जब शाम हुआ तो वो बैठका मे पाहुचा।
जहां पर गाँव के बड़े बुजुर्ग बैठ कर आपस मे बातें किया करते
थे। कुछ देर तक इधर उधर का बात चला पर पहलवान के दिमाग मे तो रात वाली बात घुम रही
थी। वो बैठका मे चुप चाप बैठा हुआ था। तभी एक आदमी ने उस से पूछा की पहलवान क्या
बात हैं आज तूम बहुत उदाश बैठे हुए हो कुछ बोल क्यू नहीं रहे हो। अब पहलवान बोले तो
क्या बोले अगर बोलता हैं तो घर की बदनामी होगी। ये सोच कर वो चुप चाप बैठा हुआ था।
पर वहाँ पर सामील कुछ गाँव वालों ने उस से पूछा की कोई बात जरूर हैं जो तुम आज
इतने चिंतित लग रहे हो।
तो पहलवान अपने साथ बीती हर घटना बैठका मे सभी को बता दिया।
गाँव वाले बोले की ये काम जरूर तुम्हारी पत्नी का ही हैं। वो ही तुम्हारे साथ ये
शरारत कर रही हैं। नहीं तो गाँव मे किसको क्या जरूरत लगा हैं की वो किसी गैर मर्द
के पास जाए। पहलवान बोला की मेरी पत्नी साफ माना कर रही हैं। गाँव वाले बोले की
तुम घर जा कर अपनी पत्नी से प्यार से पुछना की वो ये सब क्यू कर रही हैं। तो
तुम्हें पता चल जाएगा।
अब बैठका भी समाप्त होने वाला था। पहलवान अपनी जगह से उठने ही
वाला था की वहाँ पर मौजूद सब से बुजुर्ग आदमी ने पहलवान से कहाँ। की तुम जानना
चाहते हो की वो औरत तुम्हारी पत्नी हैं या कोई और। तो तुम्हें मेरी एक सलाह माननी
पड़ेगी। पहलवान बोला हाँ बोलिए हैं आप की सलाह मनाने के लिए तैयार हूँ। तो वो
बूढ़ा आदमी बोला की रोज रात की तरह आज रात भी तुम अपना खाट घर को बाहर लगाना और
सोने का झूठ मूठ का नाटक करना। तुम अपने साथ एक सुई मे लंबा धागा पिरो कर रखना।
जैसे ही वो औरत तुम्हारे पास आएगी तुम बहुत ही चालाकी से सुई को अच्छी तरह उसके
शरीर मे चुभो देना।
जैसे ही सुई चुभेगा वो भाग जाएगी। तुम देखना की वो किस तरफ बाग
रही हैं। अगर वो तुम्हारी पत्नी होगी तो घर की तरफ भागेगी और अगर कोई और औरत होगी
तो वो दूसरे तरफ भागेगी। तुम्हें पता चल जाएगा की वो तुम्हारी पत्नी हैं या कोई
और। पहलवान को उस बुजुर्ग की बातें अच्छी लगी। वो इस बात पर सहमत हो गया। रोज रात
की तरह उस रात भी रात का खाना खाया और अपने घर के बाहर खाट लगा कर सो गया। वो सोया
नहीं था सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था। उसने एक सुई मे लंबा धागा भी पिरो कर अपने
तकिये के नीचे रख लिया था। आधी रात के बाद एक औरत उसके पास आई और नाक से जिस तरह
बोला जाता हैं ठीक उसी आवाज़ मे उस पहलवान से बोली की देह हाथ दबा दे।
पर पहलवान झूठ मुझ का खर्राटे मार रहा था। वो औरत फिर से बोली
की देह हाथ दबा दे। तो पहलवान बोला की दबा दो। जैसे ही वो औरत देह हाथ दबाने के
लिए आई। पहलवान बहुत ही चालाकी से सुई अपने तकिये के नीचे से निकाला और उस चुड़ैल
के शरीर मे पूरा धसा दिया। जब सुई उस चुड़ैल को चुभा तो वो पहलवान को गाली देते
हुए वहाँ से भागी। पहलवान भी पूरे धागा का गोला ले कर रखा था। जिसे ही वो चुड़ैल
भागी पहलवान धागा के गोले से धागा छोडना शुरू किया। चुड़ैल खेत के रास्ते से होते
हुए जंगल की तरफ भाग गई। पूरा का पूरा धागा भी खत्म हो गया। अब पहलवान सोच मे पड़
गया की अगर वो मेरी पत्नी होती तो घर के तरफ भागती पर वो तो खेत के तरफ भागी हैं।
पहलवान अब सुबह होने का इंतेजर करने लगा। जब सुबह हुआ तो वो
अपनी पत्नी के पास गया और उस से पूछा की कल रात फिर से तुम मेरे पास आई थी। तो
उसकी पत्नी बोली की मुझे क्या जरूरत लगा हैं की मैं आप के पास जाऊ। पहलवान घर से
बाहर निकला और ये बात गाँव वालों को बताया।
गाँव वाले भी सोच मे पड़ गए की जब रात के समय पहलवान के पास
उसकी पत्नी नहीं आती हैं तो फिर और कौन आता हैं। सभी के अंदर एक जिज्ञाशा बैठ गया
की चल कर देखा जाए की वो औरत कौन हैं। गाँव के बहुत से लोग पहलवान के घर के पास
जमा हुए। पहलवान ने कहा की वो औरत खेत के तरफ भागी हैं। अब सभी को सिर्फ धागे का
एक छोर का तलाश था। अगर धागे का एक छोड़ पकड़ मे आ जाए तो उस औरत तक पाहुचना बहुत
आसान था।
सभी खेत कि तरफ बढ़े और धागे के एक छोड़ खोजने लगे। थोड़ा देर
तक खोजने के बाद जंगल जाने वाले रास्ते मे धागा का एक छोड़ भी मिल गया। जैसे ही
धागा का एक छोड़ पकराया की गाँव का एक आदमी उसे पाकर कर आगे की तरफा बढ्ने लगा।
गाँव का सभी आदमी उसके पीछे पीछे चलने लगा। बहुत दूर जाने के बाद उन्हे सुई मिल ही
गया। गाँव वालों ने देखा की एक झड़ी के पास एक छोटा सा हड्डी पड़ा हैं और सुई उस
हड्डी के अंदर पूरी तरह से धासा हुआ हैं। अब गाँव वालों के सामने एक आश्चर्य जैसा
चीज था। वैसे भी गाँव वाले जानते थे की चुड़ैल रात के समय अपने असली चेहरे मे रहती
हैं और दिन के समय हड्डी बन जाती हैं।
लोग जान चुके थे की ये चुड़ैल का हड्डी हैं। गाँव वाले जान गए
की जो औरत पहलवान के पास आती हैं वो कोई और नहीं बल्कि एक चुड़ैल हैं। अब गाँव
वालों के पास एक समस्या था की चुड़ैल का हड्डी तो मिल गया पर अब इसके साथ क्या
किया जाए। किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था। तभी वही बुजुर्ग आदमी सामने आया और बोला
की इस चुड़ैल से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता
हैं। तो गाँव वाले बोले की क्या किया जाए। बुजुर्ग बोला की एक मिट्टी का हंडी लाया
जाए और इस हड्डी को उसके अंदर रख दिया जाए।
फिर उसके बाद हंडी मे ढक्कन लगा कर उसका मुह अच्छी तरफ से बंद
कर दिया जाए। उस मे मिट्टी का लेप लगा कर बंद कर देना हैं। ध्यान दिया जाए की कही
से हवा निकलने का जगह नहीं रहना चाहिए और फिर उस हंडी को तब तक गरम किया जाए जब तक
हड्डी जल कर राख नहीं बन जाता हैं। गाँव वालों ने ऐसा ही किया एक मिट्टी का हंडी
लाया गया। उसके अंदर हड्डी को रख कर हंडी का मुह ढक्कन से बंद कर के उसके ऊपर
मिट्टी का लेप लगा दिया गया। वही जंगल मे एक जगह आग लगाया गया। हंडी को आग के ऊपर
रख कर हंडी को पूरा लाल किया गया।
जैसे ही हंडी लाल हुआ की हंडी के अंदर से आवाज़ आने लगी।
चुड़ैल हंडी के इस दीवार से टकराती तो उस दीवार से। वो नाक से बोलती की मुझे छोड़
दो अब से मैं किसी को तंग नहीं करूंगी। पर वहाँ तो डर का माहौल बन चुका था। चुड़ैल
बहुत देर तक हंडी के अंदर से बोलती रही और धीरे धीरे खामोश हो गई। जब गाँव वालों
को पूरा विश्वास हो गया की अब चुड़ैल मर चुकी हैं तो हंडी को उस जगह जमीन के अंदर
गड दिया गया। गाँव वाले वापस अपने अपने घर चेले आए।