आलसी गधा - एक कामचोर गधा की कहानी
ये तो सही से खड़ा भी नही हो पा रहा है. सेठ बाकी सभी गधे को भाड़े पर दे देता. पर वो आलसी गधा आराम से खा पी कर एक कोने में पड़ा रहता. दिन भर की बहुत ही कड़ी मेहनत कर के जब शाम के समय अन्य गधा वापस आता. तो वो आलसी गधा डिंग हाँकने लगता.
बात बनाने में तो ऐसा माहिर था कि कुछ पूछो मत. ऐसी ऐसी बात बोलता की उस से ज्यादा ज्ञानी इस दुनिया मे कोई और है ही नही. जब अन्य गधा दिन भर की कमर तोड़ मेहनत कर के वापस आते तो वो अन्य गदहों का खूब मजाक उड़ाता. कहता कि तुम सभी गधा के गधा ही राह जाओगे. मालिक जैसे ही हमारे कमरे में आता है.
तुम सभी अपने स्थान पर खड़े हो कर खुद को उसे सौप देते हो. सेठ हमे भाड़ा में दे कर पैसे कमाता है. और बदले में हमे मिलता क्या है थोड़ा सा खाना. देखो तुम सभी से तो अच्छा मैं ही हु सेठ का खाना भी खाता हूं. और कोई काम भी नही करता हूँ. बहुत ही मस्ती से दिन भर खा पी कर सिर्फ सोता हूँ. तुम सभी की तरह नही की दिन भर काम कर के थक जाता हूँ. बाकी सभी कहते कि जब हम सेठ का दिया हुआ खाते है.
तो सेठ का काम भी करना पड़ेगा. उसकी भी जीविका हम सभी गदहों के कारण ही चलता है. हम कमा कर नही देगे तो सेठ का गुजर बसर कैसे होगा. पर उस कामचोर गधे को ये बात समझ मे कहा आता. वो तो हमेशा अपना शरीर बचाने के चक्कर मे ही रहता. वो तो सिर्फ यही सोचता कि आज कौन सा उपाये सोचा जाए.
की सेठ मुझे काम पर नही भेजे. उस आलसी गधे को काम करने से इतना डर लगता था कि जब कभी काम की बाते होती तो उसका पसीना छूटने लगता. बाकी सभी गधे अपने काम मे लगे रहते. रात में आराम कर के फिर से अगले दिन के काम के लिए तैयार हो जाते. ऐसा बहुत दिनों तक चला.
जब शाम के समय गधे सभी अपना काम खत्म कर के वापस आते. तो कामचोर गधा उन सभी गधो का बहुत मजाक उड़ाता. खुद को ऐसा तीस मार खान बताता की. जैसे उसने कोई तीर मार लिया हो. पर बाकी के गधे इस बात को कभी दिल से नही लेते. सभी जानते थे कि ऐसा बहुत दिनों तक चलने वाला नही है. इसी तरह एक दिन सेठ अपने गधो को काम पर भेजा.
वो किराये पर गधो को दे दिया. पर उस दिन सभी गधो को बहुत काम करना पड़ा. जब शाम के समय गधे वापस अपने कमरे में आये तो. आते ही गिर गए. दिन भर की भारी मेहनत के कारण वो बहुत थक चूके थे. एक तो दिन भर का कड़ी मेहनत और उस पर. आलसी गधा उन सभी गधो को चिढ़ाने लगा. वो बोलने लगा कि तुम सभी सच मे गधे हो. सेठ का गुलामी करते हो. सेठ जहाँ कही काम पर भेज देता है. आराम से चले जाते हो मुझे देखो मैं कितना चालक हूँ.
कोई मुझे काम करने के लिए नही कहता है. ये सभी सिर्फ मेरे बुद्धि के कारण ही संभव है. मैं तुम सभी जैसा नही हूँ. मैं कोई भी काम दिमाग़ से करता हूं. आलसी गधा बाकी गधो को बहुत बुरा भला कहा. आलसी गधे की कही हुई बात बाकी सभी गधो को बहुत खराब लगा. रात के समय जब आलसी गधा सो गया तो. सभी गधे मिल कर आपस मे बैठक किया. सभी ने मिल कर निर्णय लिया कि जब ये आलसी गधा फोकट का खाता है. तो उसे इसका मज़ा चखाना पड़ेगा.
हम सभी दिन भर कठिन मेहनत कर के वापस आते है. और ये कामचोर गधा हम सभी का मज़ाक उड़ाता है. हम सभी को कोई ऐसा काम करना पड़ेगा जिस से इसे भी सबक मिले. सिर्फ गाल बजा कर ये हमे नीचा दिखता है. कोई काम धाम करता नही है और हमे बेवकूफ समझता है. सभी गधो ने आपस मे बैठक कर के ये निर्णय लिया. की कल सभी बीमारी का बहाना कर अपने कमरे में पड़े रहेंगे.
हम सभी कल काम पर नही जाएंगे. ऐसा ही हुआ जब फिर से सुबह हुआ. सेठ के पास एक आदमी आया और अपने काम के लिए उसे गधा भाड़े में चाहिए था. उसने सेठ से गधा भाड़े में देने के लिए कहा. सेठ जब गधे के कमरे में पहुचा तो देखा कि सभी गधा बीमारी के हालत में पड़े है. आलसी गधा भी देखा कि आज इन सभी गधे को क्या हुआ है. आज कोई भी गधा अपने जगह से हिल डोल नही रह है.
आखिर में आज इन सभी गधो को हो क्या गया है. आलसी गधा बहुत ही निराश हो कर बाकी सभी गधो को देख रहा था. सेठ भी सभी गधो को देख कर बहुत तंग था. की आखिर सभी गधो को हुआ क्या है. आज तो मेरे सभी गधे बीमार हो गए है. अब क्या किया जाए. सेठ को उन सभी गधो को देख कर बहुत तरस आ रहा था. सेठ सोच भी रहा था कि आज मैं क्या करूँ.
अगर आज अपने गधो को काम पर नही भेजूंगा तो आज कोई कमाई नही हो पायेगा. सेठ ये सोच कर बहुत चिंतित था. तभी उसका नजर आलसी गधे पर पड़ा. आलसी गधा खा पी कर बहुत मोटा तगड़ा हो गया था. उसे तो कोई काम करना नही था. सिर्फ बड़ी बड़ी बात करना ही आता था. सेठ सोचा कि आज इस गधे को काम पर भेजता हूँ. आज सभी गधे बीमार है और कमजोर भी दिख रहे है. सिर्फ यही गधा मोटा तगड़ा दिख रहा है.
पर आलसी गधा बीमारी का नाटक कर के एक कोना पकड़ा हुआ था. सेठ उस आलसी गधा के पास गया और उसे वहाँ से उठाया. आलसी गधा इतना नाटक कर रहा था कि जैसे वो बहुत बीमार हो. पर सेठ ने जैसे ही उनके पीठ पर एक डंडा मारा उसके तो होश ही उड़ गए. झट से आलसी गहदा अपने जगह पर खड़ा हो गया. सेठ जब उसे ले कर जा रहा था. तो वो अन्य गधो को बहुत ही दया की दृष्टि से देख रहा था. सोच रहा था कि कोई ऐसा गधा मील जाए जो उसका काम कर दे.
सभी गधे उसे देख रहे थे और सोच रहे थे कि आज ये कामचोर गधा फसा है. सेठ आलसी गधा को ले जा कर उस आदमी को दे दिया. वो आदमी भी उसे पिटता हुआ अपने साथ ले गया. दिन भर उस से ईटा ढोवाया. उसके पीठ पर एक बोरा बांध कर और उस पर ईटा डाल कर दिन भर उस से काम करवाया. सुबह से शाम तक काम करते करते उसकी तो हालत खराब हो गई. पर वो रहम की भीख किस से मांगे.
जब भी वो अपने काम से जी चोराने का सोचता. काम करवाने वाला आदमी उसके पीठ पर जोर से एक डंडा मार देता. दिन भर डंडा खाते और काम करते करते उसका जान अटक गया. दिन भर जी तोड़ मेहनत करवाने के बाद. वो आदमी उसे उसके मालिक के घर छोड़ दिया. आलसी गधे ने इतना काम अपने पूरे जीवन मे नही किया था. जैसे ही आलसी गधा अपने कमरे में पहुचा की वही गिर गया.
बाकि के सभी गधे उनकी ये हालत देख कर जोर जोर से हँसने लगे. पर बेचारा आलसी गधा के पास कोई जवाब नही था. सभी गधे आलसी गधे से बोलने लगे. अगर काम करने का आदत रहता तो आज तुम्हारी ये हालात नही होता. सिर्फ खाना खा कर कब तक सोते रहोगे. काम तो करना पडेगा तभी अच्छा रहेगा. आलसी गधा भी बहुत सोच में पड़ गया.
की अगर काम करने का आदत रहता तो आज ये काम मुझे पहाड़ की तरह नही लगता. उसने भी मन ही मन संकल्प लिया कि अब से काम करूंगा. आलस नही करूँगा. उस दिन के बाद से आलसी गधा भी अन्य सभी गधो के साथ काम पर जाने लगा.