अंधा कौन - आँख वाला अंधा - अकबर और बीरबल की कहानी
बहुत समय पहले की बात है. अकबर के नौ रत्न में से बीरबल भी एक बहुत बेसकीमती रत्न था. अकबर को जब मन करता वो बीरबल के बुद्धि की परीक्षा लेता रहता.
अकबर यही सोचता कि आज कौन सा काम बीरबल को दिया जाए. जिस से बीरबल काम मे असफल हो जाये. पर बीरबल इतना ज्यादा बुद्धिमान था. की अकबर के हर सवाल का जवाब दे देता. इसी तरह एक बार अकबर ने सोचा कि आज फिर से बीरबल के बुद्धि का परीक्षा लिया जाए. अकबर और बीरबल की कहानी बहुत ही मसहूर है.
ये कहानियां ज्ञानवर्धक भी होते है. आज की कहानी भी अकबर और बीरबल नाम के व्यक्ति का है. एक बार अकबर अपने दरवारी बीरबल से बोला कि बीरबल जा कर पाता लगाओ की. मेरे राज्य में अंधा कौन है. जितने अंधे है उनका एक सूची बना कर मुझे दो.
अकबर का फरमान था. अब उसे पूरा करना बीरबल की जिम्मेदारी बन गई. बीरबल गहरी चिंता में डूब गया कि ये काम कैसे किया जाए. इतने बड़े शहर में पता कैसे लगाया जाए कि कितने आदमी अंधे है. और कितने आदमी की आंखे ठीक है. रात भर दिमाग लगाते-लगाते आखिर में उनके दिमाग मे एक उपाय सूझ ही गया.
अगली सुबह बीरबल एक आदमी के हाथ मे एक खाता और कलम दे कर. उसे अपने साथ बीच चौराहे पर पहुचा. बीरबल में अपने आदमी से कहा कि मैं आज इस बीच चौराहे पर बैठ कर दारू पीने का नाटक करूँगा.
जितने आदमी को समझ मे आएगा कि मैं दारू पी रहा हु. वो मुझे मना करेगा. पर जिसे दिखाई नही देगा वो हम से सवाल करेगा. बीरबल बीच चौराहे पर बैठ कर दारू पीने लगा. शहर का चौराहा वो जगह होता है. जहां पर सब से ज्यादा भीड़ भाड़ रहता है.
बीरबल उसी भीड़ भाड वाला जगह ढूंढा. बीरबल जैसे ही दारू पीना शुरू ही किया कि एक आदमी बीरबल के पास आया और बोला. बीरबल तुम ये क्या कर रहे हो. वो भी बीच चौराहे पर. बीरबल अपने साथ आये आदमी से बोला कि तुम इसका नाम चुपके से अंधे वाले जग़ह पे लिख दो.
वो आदमी उस आदमी का नाम अपने खाता में लिख दिया. बीरबल सुबह से दारू पीना शुरू कर चुका था. जैसे जैसे दिन चाहरता जा रहा था. शहर के चौराहे पर लोगो का भीड़ भी बढ़ता जा रहा था. जो कोई भी उस चौराहे के पास आता.
वो बीरबल का मजाक उड़ाते हुए कहता. ये क्या कर रहे हो. बीरबल अपने आदमी को धीरे से बोल देता. या इशारा कर देता की अंधो के लिस्ट में इसका भी नाम लिख दो. शहर का हर आदमी का नाम उस लिस्ट में चहरता चला जा रहा था. दोपहर होते होते ये बात पूरे शहर में फैल गया कि बीरबल बीच चौराहे पर दारू पी रहा है. सभी को पता था कि बीरबल अकबर बादशाह का बहुत की ख़ास दरवारी है.
अकबर बीरबल को बहुत मानता है. बीरबल अपने राज्य में बहुत प्रचलित था. जिस वजह से लोग आ आ कर देखते की बीरबल क्या कर रहा है. शाम होते होते चौराहे पर बहुत भीड़ लग गया. लोग बीरबल को दारू पिता हुआ देखता और कहते कि ये क्या कर रहे हो. बीरबल धीरे से अपने आदमी को इशारा कर देता की इसका नाम अपने खाते में डाल दो. शहर के बहुत से आदमी का नाम बीरबल के खाते में लिखा जा चुका था.
लोग आते और देख कर हँसते. उनसभी को बहुत मजा आ रहा था कि बीरबल बीच चौराहे पर दारू पी रहा है. दोपहर से शाम हो गया. शाम के समय एक अंधा आदमी आया. जिसे आंखों से सच मे दिखाई नही दे रहा था. वो आदमी जब बीरबल के पास से गुजरा तो उसे दारू की तेज गंध लगी. अंधा आदमी बहुत गुस्से में आ गया.
क्यों कि बीच चौराहे में तरह तरह के आदमी आते है. कोई दारू पीने वाला होता है तो किसी को दारू से बहुत नफ़रत है. कोई ऐसा आदमी भी होता है जो सिर्फ दारू की गंध सूंघ ले. तो उसे बुखार चहर जाए. अंधे आदमी को जब दारू की तेज गंध लगी. तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया.
क्यों कि वो अंधा आदमी नही चाहता था कि शराब से किसी को किसी भी प्रकार का परेशानी हो. अंधा आदमी बीरबल के पास गया और गुस्से से बोला. तुम्हे शर्म नही आ रही है कि लोगो के आने जाने वाले जगह पर शराब पी रहे हो. वो भी खुले जगह पर. तुम्हारी इस करतूत से लोगो को कितना कष्ट पहुचता हैं.
तुम्हे पता है. यहाँ पर शराब पीना बंद कर दो. नही तो मैं राजा से तुम्हारी शिकायत करूँगा. बीरबल को तो सुबह से इसी का इन्तेजार था. वो यही तो पता लगाने आया था. की शहर में कितने आदमी अंधे है और कितनो को दिखाई देता है.
अंधा कौन है और कौन आंख वाला अंधा है. बीरबल को बहुत खुशी था कि उसका ये नाटक सफल हुआ. बीरबल भी उस अंधे आदमी के ऊपर चिल्लाते हुए बोला. जाओ राजा को बोल दो. मैं किसी से नही डरता हूँ. मैं तो बीच चौराहे पर मदिरा पिऊंगा. जिसको जो करना है कर ले. बीरबल चिल्लाते हुए बोला कि जाओ राजा से बोल दो की.
बीरबल बीच चौराहे पे दारू पी रहा है. अंधा आदमी भी बहुत गुस्से में आ गया. वो वहाँ से सीधे अकबर के दरबार के लिए निकल गया. बीरबल अपने आदमी को बोला कि इसका नाम आंख वालो में लिख दो. बीरबल वैसे दारू नही पी रहा था. वो तो दारू पीने का नाटक कर रहा था. अंधा आदमी राजा के दरबार मे पहुचा.उसने राजा अकबर से दोनों हाथ जोड़ कर कहा. महाराज आप के राज में ये कैसी आपदा आ गई है.
आप का दरबारी बीरबल दिन दहाड़े बीच चौराहे पे दारू पी रहा है. उसके इस वर्ताव से आम जनता को कितना ज्यादा कष्ट का सामना करना पड़ रहा है. राजा साहेब बीरबल के इस व्यवहार से मुझे बहुत पीड़ा पहुचा है. आप महाराज है आप ही इसे रोकिये. राजा बीरबल के इस व्यवहार से बहुत परेशान हो गया.
अकबर ने सोचा भी नही था कि बीरबल ऐसा कुछ कर सकता हैं. आज तक अकबर यही जानता था कि बीरबल शराब नही पिता है. राजा अपने सैनिकों को आदेश दिया कि . जाओ बीरबल को पकड़ कर राजदरबार में हाजिर करो. सैनिक भी बीरबल को पकड़ कर राजा के दरवार में हाजिर कर दिए. अकबर बीरबल से बोला कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई. बीच चौराहे पे दारू पीने की.
बीरबल अकबर से बोला महाराज, मैं बीच चौराहे पर दारू पी रहा था. वो भी सुबह से शाम तक तो मुझे दारू पीते हुए किसने देखा. अकबर गुस्से से बोला "इस आदमी ने तुम्हे बीच चौराहे पर दारू पीते हुए देखा है". बीरबल अकबर से बोला महाराज इस आदमी ने मुझे देखा. अकबर भी गुस्से से बोला हाँ इसी ने देखा.
बीरबल बोला महाराज मैं भी पता लगा रहा था कि आप के राज्य में अंध कौन है. और कितने आदमी आंख वाला अंधा है. पर अफसोस आप के राज्य में सिर्फ़ एक आदमी को छोड़ कर बाकी सब के सब अन्धे हैं. राजा बोला वो कैसे? बीरबल बोला महाराज मैं सुबह से दारू पी रहा था. पर किसी ने आप से शिकायत नही की.
किसी को भी नही पता कि मैं क्या कर रहा हूँ. उल्टा लोग ही मुझ से पूछ रहे थे कि बीरबल ये तुम क्या कर रहे हो. पर आप के सामने जो अंधा आदमी खड़ा है. वो सीधे मुझ से आ कर बोला कि तुम शराब पी रहे हो. वो भी बीच चौराहे पर. महारज मेरे पास उन सभी व्यक्ति के नाम है जो आँख होते हुए भी अंधे है. किसी को भी पता नही था कि मैं क्या पी रहा हूँ.
सर्फ एक आदमी को छोड़ कर. अकबर को समझ मे आ गया कि बीरबल मेरे सवाल का उत्तर दे रहा है. जो सवाल दे कर मैं भूल गया. अकबर बोला कि मैं जानता हूँ. की तुम शराब नही पीते हो पर आज साबित कर दिये कि जिसे दिखाई नही दे. सिर्फ वो आदमी ही अंधा नही होता है. बल्कि अंधा कौन होता है. जिसे सब कुछ दिखाई दे पर नही दिखने का ढोंग करे.
वो आंख वाला अंधा होता हैं. बीरबल के सूझ बूझ से अकबर बहुत खुश हुआ. इसी तरह अकबर और बीरबल की कहानी चलती रही.