Champak Ki Kahani - Dhurt Siyar Aur Chalak Khargosh - Bal Kahani.
एक टापू जिसका नाम खगभूमि था. उस टापू में बहुत से खरगोश रहा करते थे. पर उन खरगोशों में चंपक नाम का एक बहुत ही तेज दिमाग का खरगोश भी रहता था. ये उसी चंपक की कहानी है. चंपक तेज दिमाग का होने के साथ साथ अन्य खरगोश की मदद भी करता था.
टापू बहुत बड़ा था और हरा भरा था. टापू एक बहुत चौड़ी नदी के बीचों बीच था. जिस वजह से टापू पर रहने वाले खरगोश दुनियाँ से अलग थे. उन्हें पता ही नही था कि इसके आगे भी कोई दुनियां है. खगभूमि नाम के टापू का एक खासियत था. की उस टापू में सिर्फ खरगोश ही रहा करते थे. खगभूमि में अन्य कोई दूसरा जानवर नही था.
इसलिए उन्हें पता ही नही था कि खरगोश को छोड़ कर अन्य कोई और भी जानवर इस दुनिया मे होगा. एक तो आकर में बहुत बड़ा टापू और उस टापू में सिर्फ खरगोश का राज. अन्य कोई दूसरा जानवर था ही नही. कोई अन्य जानवर के बारे में जानते भी नही थे. बिल्कुल हरा भरा टापू दूर दूर तक हरियाली ही हरियाली.
खरगोश के खाने का कोई कमी नही. खरगोश का बहुत ही बड़ा झुंड उस टापू में रहते थे. न कोई राजा और न कोई प्रजा सिर्फ अपना राज. एक तरह से सभी खरगोश राजा थे और सभी खरगोश प्रजा भी थे. सुबह से शाम तक कूद फान, किसी को कोई रोकने वाला नही. सभी अपने मर्जी के मालिक. उस खगभूमि नाम के टापू में कोई अन्य जानवर का नामो निशान था ही नही.
जिस टापू में खरगोश रहा करते थे. उस टापू के दोनों तरफ विशाल नदी थी. दूर दूर तक सिर्फ पानी ही पानी नजर आता था. वो नदी खगभूमि नाम के टापू को अन्य दुनिया से अलग करती थी. पर एक दिन नदी के तेज बहाव में बह कर दूर कही से एक सियार उस टापू में आ गया. सियार बहुत ही धूर्त था उसका चाल चलन अच्छा नही था. दूर कही से नदी के पानी मे बह कर आया सियार जब खगभूमि में पहुचा. तो देखा कि उस टापू में बहुत से खरगोश है.
खरोगोशों का इतना विशाल झुंड तो उसने अपने जीवन मे नही देखा था. चारो तरफ खरगोश ही खरगोश. धूर्त सियार खरगोशों के बहुत विशाल झुंड को देख कर उसके मुंह मे पानी आने लगा. धूर्त सियार सोचने लगा कि इतना सारा खाना. जिसे अगर मैं ज़िन्दगी भर भी खाऊ तो खत्म नही होगा. सियार सोचने लगा कि अब इतने स्वादिस्ट भोजन का शुरूआत कैसे करूँ. एक तो बहुत विशाल खरगोशों का झुंड और उस पर वो अकेला.
पर उस धूर्त सियार के दिमाग मे तुरंत एक उपाय सूझ गया. वो धूर्त सियार खरगोशों के बीच चला गया. जब अपने बीच किसी अन्य बहुत ही बड़े जानवर को आता देख कर. सभी खरगोश डर गए. आज तक न तो किसी खरगोश ने किसी सियार को देखा था. और न ही किसी जानवर को. अचानक से इतने बड़े और डरावने जानवर को देख कर.
सभी खरगोश अपने अपने बिल में चले गए. चारो तरफ खरगोश ही खरगोश दिख रहा था. पर अचानक से उस जंगल मे सन्नाटा पसर गया. धूर्त सियार एक ऊंचे पत्थर पर चहर गया. और जोर जोर से बोला कि किसी को भी मुझ से डरने की जरूरत नही है. मैं अपनी मर्जी से यहाँ नही आया हु. बल्कि मैं एक नदी पुत्र हूँ. मुझे नदी ने तुम सभी का सुरक्षा करने के लिए भेजा है. कोई बहुत बड़ी आपदा इस टापू पर आने वाला है.
उस आपदा को रोकने के लिए ही नदी ने अपने पुत्र को आप के पास भेजा है. मेरे यहाँ रहने से आप सभी बिल्कुल सुरक्षित है. किसी भी ख़रगोश के ऊपर किसी भी तरह का कोई भी आपदा आया तो. सब से पहले नदिपुत्र ही उस आपदा को अपने ऊपर लेगा. किसी भी खरगोश के ऊपर किसी भी तरह का कोई भी हानि नही होगा. नदी ने मुझे सिर्फ आप की सुरक्षा के लिए ही भेजा है. इस टापू में एक बहुत ही बड़ा आपदा आने वाला है.
मुझ से डरने की कोई जरूरत नही है. मैं भी आप की ही तरह घास फुश खाने वाला जानवर हूँ. अपनी लुभावनी लुभावनी बातों से धूर्त सियार खरगोशों को इतना आकर्षित कर दिया कि. सभी ख़रगोश भी उस धूर्त सियार की बातों में आ गए. ख़रगोश उस धूर्त सियार की कही हुई बात को सच मान गए.
वे भी सोचने लगे कि सियार सही बोल रहा है. जरूर हमारी टापू पर कोई बहुत बड़ी आपदा आने वाली है. तभी तो नदी ने अपने पुत्र को हमारे पास भेजा है. नही तो आज तक हम ने इतने बड़े जानवर को देखा नही था. ये जानवर भी तो हमारी ही तरह है ये भी तो घास फूस ही खाता है. घास फूस खाने वाले जानवर से हमे डर कैसा. यही सोच कर सभी ख़रगोश अपने अपने मांद से बाहर निकल गए.
सियार बहुत ही चालक था उसने अपने आप को ऐसा पेस किया कि जैसे. वो ही सभी ख़रगोशों का रखवाला हो. सियार सभी ख़रगोश से दोस्ती कर लिया. बहुत ही कम समय में सियार सभी ख़रगोश से बिल्कुल घुल मिल गया. खरगोशों के अन्दर से डर हटाने के लिए वो तरह तरह की बाते करता. जिस से ये पता चलता कि सच मे वो एक नदिपुत्र है. ख़रगोश भी धूर्त सियार को अपना दोस्त मनाने लगे. किसी भी ख़रगोश को सियार से कोई डर नही रहा. ख़रगोश सियार को अपना मसीहा मनाने लागे.
उन्हें लगने लगा कि जब हमारे टापू पर कोई आपदा आएगा तो सियार ही उस आपदा से हमारी रक्षा करेगा.
धूर्त सियार और ख़रगोश में बहुत गहरी दोस्ती हो गई. दिन गुजरने लगा. पर जैसे जैसे दिन पार होता वैसे वैसे खरगोशो को लगता कि उसका एक साथी काम होता चला जा रहा है. जब कोई ख़रगोश अपने साथी के तलाश में उस सियार के पास पहुचता तो सियार बोलता की. जंगल बहुत बड़ा है, हो सकता है तुम्हारा दोस्त जंगल मे बहुत दूर चला गया होगा.
चिंता मत करो लौट कर आ जायेगा. पर खरगोशों को पता नही था कि जो साथी गायब हो रहा है. वास्तव में सियार उसे खा जा रहा है. सियार का दिन भी बहुत मजे में गुजरने लगा. जब भी किसी ख़रगोश को अकेला देखता तुरंत उसे मार कर खा जाता. था तो धूर्त सियार मांसाहारी पर अन्य ख़रगोशों को बताता की वो शुद्ध शाकाहारी है.
आज तक उसने कभी मांस खाया ही नही है. खरोगोशों को भी पता नही था कि जो ख़रगोश गायब हो रहे है. उसे सियार खा जा रहा है. धूर्त सियार का तो मानो लॉटरी ही लग गया था. जी भर खरगोशों का मांस खाता और ढेकार भी नही लेता. धीरे धीरे उस टापू से ख़रगोश कम होने लगे. अपनी संख्या को कम होता देख कर ख़रगोश सियार के पास गए.
सियार से बोले कि हमारी संख्या कम होते चले जा रही है. आप तो नदिपुत्र है आप को नदी ने हमारी रक्षा करने के लिए भेजा है. आप ही कुछ कीजिये. धूर्त सियार बहुत ही ज्यादा धूर्त और चालक था. उसने आंखे बंद कर के कुछ देर तक कुछ सोचा और फिर बोला. मुझे इस टापू पर एक बहुत ही बड़ा आपदा आने का सूचना मिल रहा है. ये जो भी हो रहा है वो सिर्फ आपदा आने का संकेत मात्र है. इसमे किसी को घबराने की जरूरत नही है.
मैं सभी कुछ ठीक कर दूंगा. किसी भी तरह का कोई भी आपदा इस टापू पर नही आएगा. मुझे नदी ने इस टापू की सुरक्षा के लिए ही भेजा है. किसी को घबराने की जरूरत नही है. सियार बेचारे ख़रगोशों को बेवकूफ बनाने में कामयाब रहा. जब भी ख़रगोश कोई शिकायत ले कर सियार के पास आते तो सियार आसानी से उन्हें बेवकूफ़ बना देता. ऐसा डरता की ख़रगोश भी उसकी बात को सच मान जाते. पर सियार तो सियार होता है.
वो कहा मनाने वाला था. उसे जैसे ही मौका मिलता तुरंत एक खरगीश को पकडता और उसे मार कर खा जाता. किसी को भनक तक लगने नही देता. ऐसा बहुत दिनों तक चलता रहा. ख़रगोशों का संख्या भी कम होने लगा. जब भी कोई शिकायत ले कर सियार के पास जाता तो सिर्फ सांत्वना ही मिलता. सियार भी ख़रगोशों को डरा कर रखा था कि जरूर उनके ऊपर कोई बहुत बड़ी आपदा आने वाली है.
अपने कम होते संख्या से ख़रगोश बहुत दुखी रहने लगे. पर उन्हें पता चला कि जंगल के अन्तिम छोड़ पर एक ख़रगोश रहता है. जिसका नाम चंपक है. उसके पास हर समस्या का समाधान है. कुछ ख़रगोश मिल कर आपस मे सलाह किये की. हमे खगभूमि के अंतिम छोड़ पर जाना पड़ेगा और चंपक ख़रगोश से मिलना पड़ेगा.
कुछ ख़रगोश अपने टापू खगभूमि के अंतिम छोड़ के लिए निकल गए. चंपक के पास पहुच कर चंपक को सारी घटना बताये. की कैसे एक बड़ा सा जानवर खगभूमि में आया और उसके आने के बाद खरगोशों कि संख्या धीरे धीरे कम होने लगा. चंपक बोला कि चलो देखते है कौन सा जानवर हमारे खगभूमि में आया है. चल कर देखना पड़ेगा कि आखिर में कौन सा जानवर है.
जिसके आने के बाद खगभूमि में ख़रगोश का संख्या कम होने लगा. चंपक जब आ कर धूर्त सियार को देखा तो अचम्भित हो गया. उसने भी अपने पूरी जीवन मे इतना बड़ा जानवर नही देखा था. अब एक बहुत बड़ा समस्या था कि कौन सा युक्ति की जाए. जिस से उस बड़े जानवर से छुटकारा मिल सके. चंपक ख़रगोश सियार के पास गया.
उसने सियार से बहुत ही विन्रम हो कर कहा. महाशय आप कौन है और इस खगभूमि मे क्या कर रहे है. सियार बोला कि मैं नदिपुत्र हूँ. मुझे नदी ने तुम सभी की रक्षा करने के लिए भेजा है. चंपक ने कहा आप इस टापू पर आए कैसे. धूर्त सियार बोला कि ये जो नदी बह रही है. मैं इस नदी के बीच से आया हूँ. उस जगह पर बहुत से ख़रगोश थे. चंपक ख़रगोश बोला कि महाशय कोई कैसे इस नदी के बीच से यहाँ आ सकता है.
धूर्त सियार क्रोधित हो कर बोला कि तुम्हे यकीन नही हो रहा है कि मैं नदिपुत्र हूँ. क्रोधित सियार को देख कर चंपक बोला कि नही महोदय मुझे कोई संका नही है. पर इस बात पर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल लग रहा है कि आप नदिपुत्र है. और इस नदी के बीच से आये है. आज तक किसी की हिम्मत नही हुई कि नदी में जा सके और आप नदी के बीच से कैसे आये. इसी बात पर हमें विश्वास नही हो रहा है. चंपक की बात सुन कर धूर्त सियार पूरे गुस्से से तमतमा गया.
उसने चंपक से कहा कि अगर मैं नदी के बीच मे जा कर दिखा दु. तो यकीन हो जाएगा. चंपक बोला कि हाँ अगर आप नदी के बीच मे जा कर दिखा देंगे तो हमे यकीन हो जाएगा कि सच मे आप नदिपुत्र हैं. गुस्से से लाल धूर्त सियार नदी में उतर गया. नदी बहुत चौड़ी थी. जिसका एक किनारा से दूसरा किनारा नही दिखता था. नदी का बहाव भी इतना तेज था कि वो किसी को भी बहा सकता था.
सियार नदी में तो उतर गया. थोड़ी दूर तैरने के बाद वो बोला कि नदी का बीच आ गया. इधर से चंपक बोला नही थोड़ा दूर और जाना पड़ेगा. तब नदी का बीच आएगा. सियार और भी तेजी से आगे की तरफ बढ़ने लगा. फिर उसने चिल्ला कर कहा कि नदी का बीच आ गया. चंपक नदी के किनारे खड़ा था उसने कहा कि नही अभी और आगे जाना होगा. तब जा कर नदी का बीच आएगा. धूर्त सियार तेज पानी के बहाव की तरफ चला गया.
उसने वहा से चिल्ला कर फिर से कहा कि नदी का बीच आ गया. इधर से चंपक बोला कि नही थोड़ा और दूर जाओगे तब नदी का बीच आएगा. सियार अपनी पूरी ताकत लगा कर तेज बहाव के तरफ बढ़ा. पर बहाओ इतना ज्यादा था कि धूर्त सियार खुद को संभाल नही पाया. और तेज बहाव में बह गया. चंपक और अन्य ख़रगोश उसे बहता हुआ देख रहे थे. धूर्त सियार मुझे बचाओ बचाओ चिल्लाता रह गया.
पर नदी का बहाव तेज होने के कारण धूर्त सियार उस नदी में बह कर बहुत दूर चला गया. जब धूर्त सियार नदी में बह गया तो सभी ख़रगोशों की जान में जान आई. चंपक की समझदारी के कारण ही ख़रगोश धूर्त सियार के चुंगुल से बच पाए. नही तो धूर्त सियार एक एक कर के सभी ख़रगोश को खा जाता.